वह खिसियाया हुआ था, क्रोधित था और बार-बार हर बात के लिए, वजह-बेवजह दोषी ठहराए जाने से थक चुका था। साल-दर-साल वह उन्हें एक के बाद एक समस्याओं से निकालता आया था; वह लगातार उनके लिए विनती निवेदन करके उन्हें कोप में पड़कर नाश होने से बचाता आया था। लेकिन बड़े धीरज के साथ इतना सब करने पर भी प्रत्युत्तर में उसे केवल और अधिक दुख ही मिला था। अब फिर वही परिस्थिति एक बार फिर बन गई थी और वह अपने आप को बेवजह इलज़ाम में पड़े हुए पा रहा था। रोष से भड़ककर उसने उन लोगों से कहा: "... हे दंगा करने वालो, सुनो; क्या हम को इस चट्टान में से तुम्हारे लिये जल निकालना होगा?" (गिनती 20:10)।
उसकी यह बात सुनने में असंगत लगती है, लेकिन थी नहीं। लगभग चालीस वर्ष पहले उन लोगों की पिछली पीढ़ी ने भी यही शिकायत करी थी - पानी नहीं है। तब परमेश्वर ने मूसा को एक चट्टान दिखाकर उससे कहा कि अपनी लाठी से वह चट्टान को मारे (निर्गमन 17:6)। जब मूसा ने परमेश्वर के निर्देश के अनुसार किया तो उस चट्टान में से बहुतायत से पानी बह निकला। अब जब वही परिस्थिति उसके सामने फिर से खड़ी थी तो मूसा ने फिर एक बार वही किया जो उसने पहले किया था - चट्टान पर लाठी मारी, लेकिन वह नहीं किया जो उसे करना चाहिए था और जो वह इस्त्राएलियों को करना सिखा रहा था - परमेश्वर की सुनना। इस बार परमेश्वर ने मूसा से चट्टान से पानी देने को कहने के लिए बोला था ना कि उसे मारने के लिए। अपने रोष और खिसियाहट में मूसा परमेश्वर की अनाज्ञाकारिता कर बैठा; चट्टान से पानी तो अवश्य निकला लेकिन अनाज्ञाकारिता का दण्ड भी मूसा को उठाना पड़ा, चालीस साल की यात्रा और दिक्कतों का सामना करने के बाद भी परमेश्वर ने उसे उस वाचा किए हुए देश में जाने से रोक दिया जिसकी आस लगाए वह इस्त्राएलियों को लिए चल रहा था।
कई बार थकान, रोष खिसियाहट आदि में हम परमेश्वर की ओर ध्यान नहीं देते हैं; उसकी सुनने की बजाए बस वही करते जाते हैं जो पहले करते आए हैं। हम यह मान लेते हैं कि जो पहले होता था वही अब भी होगा। परमेश्वर जैसे पहले काम करता था वैसे ही अब भी करेगा; लेकिन सदा ही यह नहीं होता। परमेश्वर कभी हम से कार्य करने को कहता है, कभी करने की बजाए कुछ बोलने को कहता है और कभी ना तो कुछ बोलने को और ना ही कुछ करने को वरन केवल धीरज के साथ प्रतीक्षा करने को कहता है। हमारी आशीष और प्रतिफल उसकी सुनकर समझकर उसके बाद निर्देशानुसार ही कार्य करने में है। बिना जाने-सोचे-समझे अपनी ही इच्छानुसार परमेश्वर के नाम से कोई भी कार्य करने या कुछ कहने के अन्जाम अच्छे नहीं होते क्योंकि परमेश्वर को हल्के में नहीं लिया जा सकता।
परमेश्वर के लिए कार्य करना है तो पहले उसकी सुनो फिर उसके कहे अनुसार करो। - जूली एकैरमैन लिंक
पहले आज्ञा जानो - फिर आज्ञा मानो।
उस लाठी को ले, और तू अपने भाई हारून समेत मण्डली को इकट्ठा कर के उनके देखते उस चट्टान से बातें कर, तब वह अपना जल देगी; इस प्रकार से तू चट्टान में से उनके लिये जल निकाल कर मण्डली के लोगों और उनके पशुओं को पिला। - गिनती 20:8
बाइबल पाठ: गिनती 20:1-13
Numbers 20:1 पहिले महीने में सारी इस्त्राएली मण्डली के लोग सीनै नाम जंगल में आ गए, और कादेश में रहने लगे; और वहां मरियम मर गई, और वहीं उसको मिट्टी दी गई।
Numbers 20:2 वहां मण्डली के लोगों के लिये पानी न मिला; सो वे मूसा और हारून के विरुद्ध इकट्ठे हुए।
Numbers 20:3 और लोग यह कहकर मूसा से झगड़ने लगे, कि भला होता कि हम उस समय ही मर गए होते जब हमारे भाई यहोवा के साम्हने मर गए!
Numbers 20:4 और तुम यहोवा की मण्डली को इस जंगल में क्यों ले आए हो, कि हम अपने पशुओं समेत यहां मर जाएं?
Numbers 20:5 और तुम ने हम को मिस्र से क्यों निकाल कर इस बुरे स्थान में पहुंचाया है? यहां तो बीज, वा अंजीर, वा दाखलता, वा अनार, कुछ नहीं है, यहां तक कि पीने को कुछ पानी भी नहीं है।
Numbers 20:6 तब मूसा और हारून मण्डली के साम्हने से मिलापवाले तम्बू के द्वार पर जा कर अपने मुंह के बल गिरे। और यहोवा का तेज उन को दिखाई दिया।
Numbers 20:7 तब यहोवा ने मूसा से कहा,
Numbers 20:8 उस लाठी को ले, और तू अपने भाई हारून समेत मण्डली को इकट्ठा कर के उनके देखते उस चट्टान से बातें कर, तब वह अपना जल देगी; इस प्रकार से तू चट्टान में से उनके लिये जल निकाल कर मण्डली के लोगों और उनके पशुओं को पिला।
Numbers 20:9 यहोवा की इस आज्ञा के अनुसार मूसा ने उसके साम्हने से लाठी को ले लिया।
Numbers 20:10 और मूसा और हारून ने मण्डली को उस चट्टान के साम्हने इकट्ठा किया, तब मूसा ने उस से कह, हे दंगा करने वालो, सुनो; क्या हम को इस चट्टान में से तुम्हारे लिये जल निकालना होगा?
Numbers 20:11 तब मूसा ने हाथ उठा कर लाठी चट्टान पर दो बार मारी; और उस में से बहुत पानी फूट निकला, और मण्डली के लोग अपने पशुओं समेत पीने लगे।
Numbers 20:12 परन्तु मूसा और हारून से यहोवा ने कहा, तुम ने जो मुझ पर विश्वास नहीं किया, और मुझे इस्त्राएलियों की दृष्टि में पवित्र नहीं ठहराया, इसलिये तुम इस मण्डली को उस देश में पहुंचाने न पाओगे जिसे मैं ने उन्हें दिया है।
Numbers 20:13 उस सोते का नाम मरीबा पड़ा, क्योंकि इस्त्राएलियों ने यहोवा से झगड़ा किया था, और वह उनके बीच पवित्र ठहराया गया।
एक साल में बाइबल:
- 2 इतिहास 4-6
- यूहन्ना 10:24-42