एक छोटे बच्चे के घर के बाहर साइरन बजने की
आवाज़ आने लगी। क्योंकि वह उस आवाज़ से अपरिचित था, इसलिए उसने अपनी माँ से उसके
बारे में पूछा। उसकी माँ ने उसे समझाया कि वह लोगों को आने वाले खतरनाक तूफ़ान से
सचेत करने के लिए था; यदि लोग तूफ़ान से बचने के लिए सुरक्षित स्थानों में चले नहीं
जाएँगे तो उनकी जान जोखिम में होगी और वे तूफ़ान से मर भी सकते हैं। तो बच्चे ने
पूछा, “माँ तो यह बुरा क्यों है? यदि हमें मर जाएँगे तो क्या हम प्रभु यीशु से
नहीं मिलेंगे?”
छोटे बच्चे मरना क्या होता है अकसर समझ नहीं
पाते हैं। परन्तु परमेश्वर के वचन बाइबल के एक प्रमुख पात्र, पौलुस प्रेरित ने भी,
जीवन का लंबा अनुभव होने के बावजूद, अपने विषय कुछ ऐसा ही लिखा: “क्योंकि मैं
दोनों के बीच अधर में लटका हूं; जी तो चाहता है कि
कूच कर के मसीह के पास जा रहूं, क्योंकि यह बहुत ही अच्छा है”
(फिलिप्पियों 1:23)। उसने जब यह लिखा उस समय वह घर में नज़रबंद था, परन्तु उसका यह
कथन किसी निराशा के कारण नहीं था। वह तो आनन्दित था क्योंकि उसका परेशानी और पीड़ा
सहना सुसमाचार के प्रसार का कारण हो रहा था (पद 12-14)।
तो फिर पौलुस क्यों जीवन और मृत्यु की इच्छा
के मध्य अधर में था? क्योंकि जीवित रहने का अर्थ था “फलवन्त परिश्रम”; परन्तु यदि
वह मर जाता तो उसे पता था कि वह प्रभु यीशु के साथ एक विशेष निकटता के सुखदायक अनुभव
में पहुंच जाएगा। हम मसीही विश्वासियों के लिए यह तय है कि शरीर से अनुपस्थित होते
ही हम प्रभु यीशु के सम्मुख उपस्थित हो जाएँगे (2 कुरिन्थियों 5:6-8)।
जो लोग प्रभु यीशु मसीह की मृत्यु और
पुनरुत्थान के बचाने वाले सामर्थ्य में विश्वास रखते हैं, वे सदा प्रभु के साथ ही
रहेंगे। ऐसा कहा गया है कि “जो कुछ स्वर्ग में अन्त होता है,वह सब भला है।” इसलिए
हम मसीही विश्वासी, चाहे जीएँ या मरें, हमारे लिए तो बेहतर ही है, जैसा पौलुस ने
कहा है: “क्योंकि मेरे
लिये जीवित रहना मसीह है, और मर जाना लाभ है”
(फिलिप्पियों 1:21)।
प्रभु यीशु
की मृत्यु और पुनारुथान में लाया गया विश्वास,
उसके साथ अनन्त जीवन के आश्वासन को
लाता है।
इसलिये हम
ढाढ़स बान्धे रहते हैं,
और देह से अलग हो कर प्रभु के साथ रहना और भी उत्तम समझते हैं। - 2
कुरिन्थियों 5:8
बाइबल पाठ:
फिलिप्पियों 1:12-26
Philippians
1:12 हे भाइयों, मैं चाहता हूं, कि तुम यह जान लो, कि मुझ पर जो बीता है, उस से सुसमाचार ही की बढ़ती हुई है।
Philippians
1:13 यहां तक कि कैसरी राज्य की सारी पलटन और शेष सब लोगों में यह
प्रगट हो गया है कि मैं मसीह के लिये कैद हूं।
Philippians
1:14 और प्रभु में जो भाई हैं, उन में से
बहुधा मेरे कैद होने के कारण, हियाव बान्ध कर, परमेश्वर का वचन निधड़क सुनाने का और भी हियाव करते हैं।
Philippians
1:15 कितने तो डाह और झगड़े के कारण मसीह का प्रचार करते हैं और
कितने भली मनसा से।
Philippians
1:16 कई एक तो यह जान कर कि मैं सुसमाचार के लिये उत्तर देने को
ठहराया गया हूं प्रेम से प्रचार करते हैं।
Philippians
1:17 और कई एक तो सीधाई से नहीं पर विरोध से मसीह की कथा सुनाते हैं,
यह समझ कर कि मेरी कैद में मेरे लिये क्लेश उत्पन्न करें।
Philippians
1:18 सो क्या हुआ? केवल यह, कि हर प्रकार से चाहे बहाने से, चाहे सच्चाई से,
मसीह की कथा सुनाई जाती है, और मैं इस से आनन्दित
हूं, और आनन्दित रहूंगा भी।
Philippians
1:19 क्योंकि मैं जानता हूं, कि तुम्हारी
बिनती के द्वारा, और यीशु मसीह की आत्मा के दान के द्वारा इस
का प्रतिफल मेरा उद्धार होगा।
Philippians
1:20 मैं तो यही हादिर्क लालसा और आशा रखता हूं, कि मैं किसी बात में लज्ज़ित न होऊं, पर जैसे मेरे
प्रबल साहस के कारण मसीह की बड़ाई मेरी देह के द्वारा सदा होती रही है, वैसा ही अब भी हो चाहे मैं जीवित रहूं या मर जाऊं।
Philippians
1:21 क्योंकि मेरे लिये जीवित रहना मसीह है, और
मर जाना लाभ है।
Philippians
1:22 पर यदि शरीर में जीवित रहना ही मेरे काम के लिये लाभदायक है तो
मैं नहीं जानता, कि किस को चुनूं।
Philippians
1:23 क्योंकि मैं दोनों के बीच अधर में लटका हूं; जी तो चाहता है कि कूच कर के मसीह के पास जा रहूं, क्योंकि
यह बहुत ही अच्छा है।
Philippians
1:24 परन्तु शरीर में रहना तुम्हारे कारण और भी आवश्यक है।
Philippians
1:25 और इसलिये कि मुझे इस का भरोसा है सो मैं जानता हूं कि मैं
जीवित रहूंगा, वरन तुम सब के साथ रहूंगा जिस से तुम विश्वास
में दृढ़ होते जाओ और उस में आनन्दित रहो।
Philippians
1:26 और जो घमण्ड तुम मेरे विषय में करते हो, वह मेरे फिर तुम्हारे पास आने से मसीह यीशु में अधिक बढ़ जाए।
एक साल में
बाइबल:
- 2 इतिहास 30-31
- यूहन्ना 18:1-18