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शुक्रवार, 5 मई 2017

आनन्दित हृदय


   सिंगापुर के चाँगी हवाई अड्डे पर अपनी यात्रा के लिए वायु यान में चढ़ने की प्रतीक्षा करते हुए मैंने एक युवा परिवार को देखा - माता, पिता और बेटा। प्रतीक्षालय भीड़ से भरा था, और वे लोग कहीं बैठने का स्थान ढूँढ़ रहे थे। अचानक ही उनका वह लगभग छः वर्षीय लड़का ऊँची आवाज़ में गाने लगा, "खुश हो खुदावन्द आया है।" मैं यह देखकर बहुत प्रभावित हुआ कि इस छोटी आयु में भी उसे वह स्तुति-गीत पूरा कण्ठस्त था। लेकिन इस से भी अधिक जिस बात ने मेरा ध्यान उसकी ओर खेंचा वह था उस लड़के के चेहरे के भाव - उसके चेहरे पर खिली हुई मुस्कुराहट उस स्तुति-गीत के शब्दों से मेल खा रही थी, जिसके द्वारा वह प्रतीक्षालय में एकत्रित लोगों को प्रभु यीशु के आगमन के आनन्द का सुसमाचार सुना रहा था।

   प्रभु यीशु के संसार में आने के सुसमाचार का आनन्द केवल क्रिसमस समय या प्रफुल्लित बच्चों तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। क्रूस पर चढ़ाए जाकर बलिदान होने से तुरंत पहले जो शिक्षाएं प्रभु यीशु ने अपने शिष्यों को दीं, उनमें से एक थी सदैव हमारे जीवन में मसीह यीशु के बने रहने का असीम आनन्द। प्रभु ने शिष्यों को उनके प्रति अपने प्रगाढ़ प्रेम के बारे में बताया - वैसा ही प्रेम जैसा पिता परमेश्वर ने प्रभु से किया (यूहन्ना 15:9)। उनसे यह बाँटने के पश्चात कि उसके साथ उनका यह अनन्तकाल का संबंध कैसा होगा, प्रभु यीशु ने कहा, "मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए" (यूहन्ना 15:11)।

   कैसी अद्भुत प्रतिज्ञा! प्रभु यीशु में होकर हमारे हृदय सदा आनन्दित रह सकते हैं - वास्तविक एवं चिरस्थाई आनन्द से। - बिल क्राउडर


जीवन की हर परिस्थिति में हम प्रभु यीशु में आनन्दित रह सकते हैं।

फिर उसने उन से कहा, कि जा कर चिकना चिकना भोजन करो और मीठा मीठा रस पियो, और जिनके लिये कुछ तैयार नहीं हुआ उनके पास बैना भेजो; क्योंकि आज का दिन हमारे प्रभु के लिये पवित्र है; और उदास मत रहो, क्योंकि यहोवा का आनन्द तुम्हारा दृढ़ गढ़ है। - नहेम्याह 8:10

बाइबल पाठ: यूहन्ना 15:1-11
John 15:1 सच्ची दाखलता मैं हूं; और मेरा पिता किसान है। 
John 15:2 जो डाली मुझ में है, और नहीं फलती, उसे वह काट डालता है, और जो फलती है, उसे वह छांटता है ताकि और फले। 
John 15:3 तुम तो उस वचन के कारण जो मैं ने तुम से कहा है, शुद्ध हो। 
John 15:4 तुम मुझ में बने रहो, और मैं तुम में: जैसे डाली यदि दाखलता में बनी न रहे, तो अपने आप से नहीं फल सकती, वैसे ही तुम भी यदि मुझ में बने न रहो तो नहीं फल सकते। 
John 15:5 मैं दाखलता हूं: तुम डालियां हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझ से अलग हो कर तुम कुछ भी नहीं कर सकते। 
John 15:6 यदि कोई मुझ में बना न रहे, तो वह डाली की नाईं फेंक दिया जाता, और सूख जाता है; और लोग उन्हें बटोरकर आग में झोंक देते हैं, और वे जल जाती हैं। 
John 15:7 यदि तुम मुझ में बने रहो, और मेरी बातें तुम में बनी रहें तो जो चाहो मांगो और वह तुम्हारे लिये हो जाएगा। 
John 15:8 मेरे पिता की महिमा इसी से होती है, कि तुम बहुत सा फल लाओ, तब ही तुम मेरे चेले ठहरोगे। 
John 15:9 जैसा पिता ने मुझ से प्रेम रखा, वैसा ही मैं ने तुम से प्रेम रखा, मेरे प्रेम में बने रहो। 
John 15:10 यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे: जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूं। 
John 15:11 मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजा 19-20
  • लूका 23:1-25