ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शनिवार, 30 अप्रैल 2016

बहुत देर


   ऐसा लगभग प्रत्येक सत्र में होता है; मैं कॉलेज में प्रवेश लेने वाले आरंभिक विद्यार्थियों की कक्षा को यह बड़े स्पष्ट रीति से बताता और समझाता हूँ कि स्त्र के अंत में उत्तीर्ण होने के लिए उन्हें घर पर करने के लिए दिए जाने वाले उन अनेक लेखन कार्यों को समय से पूरा करते तथा आँकलन के लिए समय से जमा करते रहना होगा। लेकिन लगभग प्रत्येक सत्र में कुछ विद्यार्थी ऐसे होते हैं जो मेरी बात पर विश्वास नहीं करते, अपना कार्य समय रहते पूरा करके आँकलन के लिए जमा नहीं करते, और फिर सत्र की अन्तिम कक्षा के बाद वे मुझे विन्ती और मजबूरी के ईमेल भेज कर मुझे समझाने के प्रयास करते हैं कि वे क्यों अपना कार्य समय रहते पूरा नहीं करने पाए। मुझे ऐसा करना बिलकुल अच्छा नहीं लगता, किंतु मुझे उन्हें कहना पड़ता है कि, "क्षमा करें; अब बहुत देर हो चुकी हैं, समय निकल गया और आप इस सत्र में अनुत्तीर्ण हो गए हैं।"

   एक नए विद्यार्थी के लिए यह एहसास, कि उसके हज़ारों डॉलर और समय खर्च भी हो गए और व्यर्थ भी हो गए काफी बुरा है; लेकिन इससे भी कहीं अधिक गंभीर और अटल वह बात है जब अपनी अंतिम श्वास के समय तक लोग परमेश्वर के साथ अपने पापों और अपने संबंधों का समाधान नहीं करते, जबकि परमेश्वर बारंबार उन्हें इसका अवसर और उपाय देता रहता है। जो लोग इस जीवन में परमेश्वर के साथ रहने का निर्णय नहीं लेते, वे फिर अनन्तकाल तक कभी परमेश्वर के साथ रहने नहीं पाएंगे, वरन उनका भाग अनन्तकाल तक परमेश्वर से दूर ही रहेगा।

   उस व्यक्ति के लिए वह कितना भयानक पल होता है जब वह परमेश्वर प्रभु यीशु के सामने अपने जीवन का हिसाब देने को खड़ा हो, और प्रभु को उससे कहना पड़े, "तब मैं उन से खुलकर कह दूंगा कि मैं ने तुम को कभी नहीं जाना, हे कुकर्म करने वालों, मेरे पास से चले जाओ" (मत्ती 7:23)। परमेश्वर के वचन बाइबल का लेखक इब्रानियों के नाम लिखी पत्री में पाठकों को सचेत करता है कि वे उस अनन्त विश्राम और आनन्द से जो परमेश्वर अपने लोगों को देना चाहता है वंचित ना रह जाएं (इब्रानियों 4:1)। आज और अभी भी आपके लिए ’बहुत देर’ नहीं हुई है; यदि अभी तक आपने अपने पापों के लिए क्षमा माँग कर अपना जीवन प्रभु यीशु को समर्पित नहीं किया है, तो ऐसा अभी कर लें; प्रभु यीशु सारे संसार के सभी लोगों को सेंत-मेंत क्षमा और उद्धार दे रहा है। आज उसके इस प्रस्ताव को ठुकराना, बाद में अनन्तकाल की पीड़ा को स्वीकारना है। कहीं ऐसा ना हो कि जब तक यह बात समझ में आए, आप के लिए बहुत देर हो चुकी हो। - डेव ब्रैनन


कलवरी के क्रूस पर प्रभु यीशु का बलिदान और तीसरे दिन उसका मृतकों में से पुनरुत्थान, 
पापों की गंभीरता और परमेश्वर की क्षमा तथा प्रेम की वास्तविकता का प्रमाण है।

जैसा कहा जाता है, कि यदि आज तुम उसका शब्द सुनो, तो अपने मनों को कठोर न करो, जैसा कि क्रोध दिलाने के समय किया था। - इब्रानियों 3:15

बाइबल पाठ: इब्रानियों 4:1-11
Hebrews 4:1 इसलिये जब कि उसके विश्राम में प्रवेश करने की प्रतिज्ञा अब तक है, तो हमें डरना चाहिए; ऐसा ने हो, कि तुम में से कोई जन उस से रहित जान पड़े। 
Hebrews 4:2 क्योंकि हमें उन्‍हीं की नाईं सुसमाचार सुनाया गया है, पर सुने हुए वचन से उन्हें कुछ लाभ न हुआ; क्योंकि सुनने वालों के मन में विश्वास के साथ नहीं बैठा। 
Hebrews 4:3 और हम जिन्हों ने विश्वास किया है, उस विश्राम में प्रवेश करते हैं; जैसा उसने कहा, कि मैं ने अपने क्रोध में शपथ खाई, कि वे मेरे विश्राम में प्रवेश करने न पाएंगे, यद्यपि जगत की उत्‍पत्ति के समय से उसके काम पूरे हो चुके थे। 
Hebrews 4:4 क्योंकि सातवें दिन के विषय में उसने कहीं यों कहा है, कि परमेश्वर ने सातवें दिन अपने सब कामों को निपटा कर के विश्राम किया। 
Hebrews 4:5 और इस जगह फिर यह कहता है, कि वे मेरे विश्राम में प्रवेश न करने पाएंगे।
Hebrews 4:6 तो जब यह बात बाकी है कि कितने और हैं जो उस विश्राम में प्रवेश करें, और जिन्हें उसका सुसमाचार पहिले सुनाया गया, उन्होंने आज्ञा न मानने के कारण उस में प्रवेश न किया। 
Hebrews 4:7 तो फिर वह किसी विशेष दिन को ठहराकर इतने दिन के बाद दाऊद की पुस्‍तक में उसे आज का दिन कहता है, जैसे पहिले कहा गया, कि यदि आज तुम उसका शब्द सुनो, तो अपने मनों को कठोर न करो। 
Hebrews 4:8 और यदि यहोशू उन्हें विश्राम में प्रवेश कर लेता, तो उसके बाद दूसरे दिन की चर्चा न होती। 
Hebrews 4:9 सो जान लो कि परमेश्वर के लोगों के लिये सब्त का विश्राम बाकी है। 
Hebrews 4:10 क्योंकि जिसने उसके विश्राम में प्रवेश किया है, उसने भी परमेश्वर की नाईं अपने कामों को पूरा कर के विश्राम किया है। 
Hebrews 4:11 सो हम उस विश्राम में प्रवेश करने का प्रयत्न करें, ऐसा न हो, कि कोई जन उन की नाईं आज्ञा न मान कर गिर पड़े।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजा 8-9
  • लूका 21:1-19


शुक्रवार, 29 अप्रैल 2016

प्रगट


   प्रसिद्ध चित्रकार रेमब्रांट ने 27 वर्ष की आयु में परमेश्वर के वचन बाइबल में मरकुस 4 में दी गई घटना पर आधारित एक चित्र बनाया, Christ in the Storm on the Sea of Galilee. प्रकाश और छाया के तुलनात्मक उपयोग की उनकी विशिष्ट शैली में बना रेमब्रांट का यह चित्र एक छोटी नाव को प्रचण्ड तूफान में घिरा हुआ दिखाता है। चेले नाव को संभालने में संघर्षरत हैं किंतु प्रभु यीशु शान्त और निश्चिंत सोया हुआ है। लेकिन इस चित्र की सबसे विलक्षण बात है नाव में 13 चेलों का होना; और कला विशेषज्ञों का मानना है कि उस 13वें चेले की शकल स्वयं रेमब्रांट की शक्ल के समान है।

   मरकुस रचित सुसमाचार की यह घटना प्रभु यीशु मसीह के चेलों के लिए प्रभु यीशु मसीह के व्यक्तित्व और सामर्थ का एक जीवन्त पाठ है। जबकि चेले नाव को डूबने से बचाने का कठिन संघर्ष कर रहे हैं, प्रभु यीशु उसी नाव में सो रहा है। क्या प्रभु को चिन्ता नहीं है के वे सब नष्ट होने पर हैं? (पद 38)। प्रभु यीशु ने तूफान को शान्त करके (पद 39), चेलों से तीखा प्रश्न पूछा, "और उन से कहा; तुम क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं?" (पद 40)। इस पर वे चेले और भी भयभीत होकर आपस में कहने लगे, "...यह कौन है, कि आन्‍धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं?" (पद 41)।

   इस घटना में रेमब्रांट के समान ही आज हम भी अपने आप रख कर उन चेलों के समान ही सीख सकते हैं कि प्रभु यीशु कौन है। उन चेलों के समान ही हम भी यह जान सकते हैं कि जो कोई अपना विश्वास उसमें लाता है, प्रभु यीशु उस पर अपनी उपस्थिति, अनुकंपा और प्रेम प्रगट करते हैं और यह भी प्रगट करते हैं कि जीवन के हर तूफान में सहायता और सुरक्षा के लिए वे अपने प्रत्येक विश्वासी के साथ सदा बने रहते हैं। - डेविड मैक्कैसलैंड


जीवन के तूफानों में हमारा सबसे सुरक्षित और विश्वासयोग्य शरणस्थान प्रभु यीशु मसीह ही है।

परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक। इस कारण हम को कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएं; चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से कांप उठें। - भजन 46:1-3

बाइबल पाठ: मरकुस 4:35-41
Mark 4:35 उसी दिन जब सांझ हुई, तो उसने उन से कहा; आओ, हम पार चलें,। 
Mark 4:36 और वे भीड़ को छोड़कर जैसा वह था, वैसा ही उसे नाव पर साथ ले चले; और उसके साथ, और भी नावें थीं। 
Mark 4:37 तब बड़ी आन्‍धी आई, और लहरें नाव पर यहां तक लगीं, कि वह अब पानी से भरी जाती थी। 
Mark 4:38 और वह आप पिछले भाग में गद्दी पर सो रहा था; तब उन्होंने उसे जगाकर उस से कहा; हे गुरू, क्या तुझे चिन्‍ता नहीं, कि हम नाश हुए जाते हैं? 
Mark 4:39 तब उसने उठ कर आन्‍धी को डांटा, और पानी से कहा; “शान्‍त रह, थम जा”: और आन्‍धी थम गई और बड़ा चैन हो गया। 
Mark 4:40 और उन से कहा; तुम क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं? 
Mark 4:41 और वे बहुत ही डर गए और आपस में बोले; यह कौन है, कि आन्‍धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं?

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजा 6-7
  • लूका 20:27-47


गुरुवार, 28 अप्रैल 2016

प्रश्न


   अमेरीकी गृह युद्ध के कुछ वर्ष पश्चात जनरल ल्यु वॉलेस का ट्रेन में यात्रा करते हुए कर्नल रॉबर्ट इन्गरसौल से सामना हुआ। इन्गरसौल 19वीं शताबदी के प्रमुख नास्तिकवादियों में से एक थे, जबकि ल्यु वॉलेस प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करते थे। परस्पर बातचीत के दौरान, वार्तालाप उनके आपसी आत्मिक मतभेदों की ओर मुड़ी, और वॉलेस को एहसास हुआ कि वे इन्गरसौल द्वारा उठाए जा रहे प्रश्नों और शंकाओं के समुचित उत्तर नहीं दे पा रहे हैं। अपने विश्वास की जानकारी और समझ के बारे में अपनी कमी से शर्मिंदा होकर ल्यु वॉलेस ने उत्तरों को परमेश्वर के वचन बाइबल तथा प्रभु यीशु मसीह के जीवन काल के समय के संबंधित ऐतिहासिक द्स्तावेज़ों से खोजना आरंभ किया। उनकी इस खोज से मिले उत्तरों को उन्होंने एक ऐतिहासिक उपन्यास Ben-Hur: A Tale of Christ के रूप में प्रस्तुत किया और जगत के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह की सच्चाई की विश्वस्त घोषणा करी।

   हमारे मसीही विश्वास को स्वीकार ना करने वाले लोगों द्वारा उठाए जाने वाले प्रश्नों को हमें अपने विश्वास के लिए खतरा या धमकी नहीं समझना चाहिए। वरन इसे अपने मसीही विश्वास को और गहराई से जानने और समझने, तथा किसी अन्य के द्वारा जब ऐसे ही प्रश्न उठाए जाएं तो प्रेम और बुद्दिमता से उनका कैसे उत्तर दिया जाए यह सीखने का एक अवसर समझना चाहिए। बाइबल में प्रेरित पतरस ने परमेश्वर की बातों को सीखते-समझते रहने के लिए लिखा है: "...और जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, तो उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय के साथ" (1 पतरस 3:15)।

   ज़रूरी नहीं है कि हमारे पास हर एक के प्रत्येक प्रश्न का उत्तर हो; लेकिन हमारे पास ऐसा विश्वास, हिम्मत और संकल्प अवश्य होना चाहिए जो हमें मसीह यीशु के प्रेम और आशा को दूसरों के साथ बाँटने की सामर्थ देता है। - बिल क्राउडर


जीवन के बड़े-से-बड़े प्रश्न का एकमात्र उत्तर प्रभु यीशु मसीह में है।

क्योंकि उसके ईश्वरीय सामर्थ ने सब कुछ जो जीवन और भक्ति से सम्बन्‍ध रखता है, हमें उसी की पहचान के द्वारा दिया है, जिसने हमें अपनी ही महिमा और सद्गुण के अनुसार बुलाया है। - 2 पतरस 1:3

बाइबल पाठ: 1 पतरस 3:8-17
1 Peter 3:8 निदान, सब के सब एक मन और कृपामय और भाईचारे की प्रीति रखने वाले, और करूणामय, और नम्र बनो। 
1 Peter 3:9 बुराई के बदले बुराई मत करो; और न गाली के बदले गाली दो; पर इस के विपरीत आशीष ही दो: क्योंकि तुम आशीष के वारिस होने के लिये बुलाए गए हो। 
1 Peter 3:10 क्योंकि जो कोई जीवन की इच्छा रखता है, और अच्‍छे दिन देखना चाहता है, वह अपनी जीभ को बुराई से, और अपने होंठों को छल की बातें करने से रोके रहे। 
1 Peter 3:11 वह बुराई का साथ छोड़े, और भलाई ही करे; वह मेल मिलाप को ढूंढ़े, और उस के यत्‍न में रहे। 
1 Peter 3:12 क्योंकि प्रभु की आंखे धर्मियों पर लगी रहती हैं, और उसके कान उन की बिनती की ओर लगे रहते हैं, परन्तु प्रभु बुराई करने वालों के विमुख रहता है।
1 Peter 3:13 और यदि तुम भलाई करने में उत्तेजित रहो तो तुम्हारी बुराई करने वाला फिर कौन है? 
1 Peter 3:14 और यदि तुम धर्म के कारण दुख भी उठाओ, तो धन्य हो; पर उन के डराने से मत डरो, और न घबराओ। 
1 Peter 3:15 पर मसीह को प्रभु जान कर अपने अपने मन में पवित्र समझो, और जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, तो उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय के साथ। 
1 Peter 3:16 और विवेक भी शुद्ध रखो, इसलिये कि जिन बातों के विषय में तुम्हारी बदनामी होती है उनके विषय में वे, जो तुम्हारे मसीही अच्‍छे चालचलन का अपमान करते हैं लज्ज़ित हों। 
1 Peter 3:17 क्योंकि यदि परमेश्वर की यही इच्छा हो, कि तुम भलाई करने के कारण दुख उठाओ, तो यह बुराई करने के कारण दुख उठाने से उत्तम है।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजा 3-5
  • लूका 20:1-26


बुधवार, 27 अप्रैल 2016

प्रेम


   जब हैन्स ऐग्डे 1721 में मिशनरी होकर ग्रीनलैंड गए, तब वे वहाँ की स्थानीय इन्युइट लोगों की भाषा नहीं जानते थे। साथ ही, क्योंकि वे स्वभाव से अपना रौब बना कर रखने वाले थे, इस कारण उन्हें स्थानीय लोगों के प्रति प्रेम तथा दया दिखाने के लिए काफी प्रयास करना पड़ता था। सन 1733 में ग्रीनलैंड में चेचक की महामारी फैली जिससे दो तिहाई इन्युइट लोगों का सफाया हो गया; मृतकों में ऐग्डे की पत्नि भी थीं। इन्युइट लोगों के समान ही दुखः भोगने के इस अनुभव ने ऐग्डे के कठोर स्वभाव को पिघला दिया, और वे लोगों की शारीरिक तथा आत्मिक सेवा जी-जान से करने लगे। क्योंकि उनकी यह नई जीवन शैली परमेश्वर के प्रेम की उन बातों के अनुरूप थी जिन्हें वे लोगों को बताते और सुनाते थे, इन्युइट लोग जान और समझ सके कि परमेश्वर उन से भी प्रेम करता है, उनका भला चाहता है। अपने दुखः के समय में भी वे लोग परमेश्वर की ओर मुड़े और उसे ग्रहण किया।

   हो सकता है कि इस घटना के इन्युइट लोगों के समान आप की भी स्थिति हो, और आप अपने आस-पास के लोगों में परमेश्वर और उसके प्रेम को नहीं देख पा रहे हों। या, हो सकता है कि आप हैन्स ऐग्डे के समान हों, जो परमेश्वर के प्रेम को अपने जीवन से ऐसे जी कर दिखाने के लिए संघर्ष कर रहे थे जिससे लोग परमेश्वर की ओर मुड़ें।

   क्योंकि परमेश्वर जानता है कि हम मनुष्य कमज़ोर और ज़रुरतमन्द हैं, इसलिए अपने प्रेम को हमें दिखाने और समझाने के लिए परमेश्वर ने अपने पुत्र प्रभु यीशु मसीह को हमारे पापों के निवारण के लिए बलिदान होने को भेजा (यूहन्ना 3:16)। हमारी भलाई के लिए अपने निष्पाप और निष्कलंक पुत्र के बलिदान कर देने के द्वारा परमेश्वर ने सप्रमाण दिखाया कि वह हम से कितना प्रेम करता है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में 1 कुरिन्थियों 13 में लिखित प्रेम की व्याख्या का सदेह उदाहरण प्रभु यीशु मसीह हैं। केवल प्रभु यीशु से ही हम सच्चा निस्वार्थ प्रेम करने का अर्थ सीखते हैं और उसे अपना उद्धारकर्ता ग्रहण करने से हम उससे दूसरों के प्रति सच्चा प्रेम करने की सामर्थ पाते हैं। - रैंडी किलगोर


मैं कभी किसी के लिए परमेश्वर के स्वरूप को देखने से बाधित करने वाली बाधा ना बनूँ।

क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। - यूहन्ना 3:16

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 13:1-13
1 Corinthians 13:1 यदि मैं मनुष्यों, और सवर्गदूतों की बोलियां बोलूं, और प्रेम न रखूं, तो मैं ठनठनाता हुआ पीतल, और झंझनाती हुई झांझ हूं। 
1 Corinthians 13:2 और यदि मैं भविष्यद्वाणी कर सकूं, और सब भेदों और सब प्रकार के ज्ञान को समझूं, और मुझे यहां तक पूरा विश्वास हो, कि मैं पहाड़ों को हटा दूं, परन्तु प्रेम न रखूं, तो मैं कुछ भी नहीं। 
1 Corinthians 13:3 और यदि मैं अपनी सम्पूर्ण संपत्ति कंगालों को खिला दूं, या अपनी देह जलाने के लिये दे दूं, और प्रेम न रखूं, तो मुझे कुछ भी लाभ नहीं। 
1 Corinthians 13:4 प्रेम धीरजवन्‍त है, और कृपाल है; प्रेम डाह नहीं करता; प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता, और फूलता नहीं। 
1 Corinthians 13:5 वह अनरीति नहीं चलता, वह अपनी भलाई नहीं चाहता, झुंझलाता नहीं, बुरा नहीं मानता। 
1 Corinthians 13:6 कुकर्म से आनन्‍दित नहीं होता, परन्तु सत्य से आनन्‍दित होता है। 
1 Corinthians 13:7 वह सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है। 
1 Corinthians 13:8 प्रेम कभी टलता नहीं; भविष्यद्वाणियां हों, तो समाप्‍त हो जाएंगी, भाषाएं हो तो जाती रहेंगी; ज्ञान हो, तो मिट जाएगा। 
1 Corinthians 13:9 क्योंकि हमारा ज्ञान अधूरा है, और हमारी भविष्यद्वाणी अधूरी। 
1 Corinthians 13:10 परन्तु जब सवर्सिद्ध आएगा, तो अधूरा मिट जाएगा। 
1 Corinthians 13:11 जब मैं बालक था, तो मैं बालकों की नाईं बोलता था, बालकों का सा मन था बालकों की सी समझ थी; परन्तु सियाना हो गया, तो बालकों की बातें छोड़ दी। 
1 Corinthians 13:12 अब हमें दर्पण में धुंधला सा दिखाई देता है; परन्तु उस समय आमने साम्हने देखेंगे, इस समय मेरा ज्ञान अधूरा है; परन्तु उस समय ऐसी पूरी रीति से पहिचानूंगा, जैसा मैं पहिचाना गया हूं। 
1 Corinthians 13:13 पर अब विश्वास, आशा, प्रेम थे तीनों स्थाई है, पर इन में सब से बड़ा प्रेम है।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजा 1-2
  • लूका 19:28-48


मंगलवार, 26 अप्रैल 2016

नम्र


   मैंने एक रोचक वीडियो देखा - एक पिल्ला, डेज़ी, सीढ़ी के ऊपरी छोर पर खड़ा है, भयभीत है और सीढ़ियों से नीचे नहीं आ पा रही है। नीचे बहुत से लोग खड़े उसे बुला रहे हैं, प्रोत्साहित कर रहे हैं किंतु वह नीचे नहीं उतरना समझ नहीं पा रही है। वह चाह तो रही है कि नीचे की ओर आए किंतु उसका भय उसे यह करने नहीं दे रहा है। फिर एक बड़ा कुत्ता, साइमन, डेज़ी की सहायता के लिए आता है। साइमन भाग कर सीढ़ियाँ चढ़ता हुआ डेज़ी के पास आता है और फिर वापस नीचे की ओर जाता है, डेज़ी को दिखाता है कि ऐसा करना कितना सरल है। डेज़ी अभी भी भयभीत है और नहीं कर पा रही है; साइमन फिर से उसके पास आता है और अबकी बार और धीरे से उसे उतर कर दिखाता है, डेज़ी को प्रोत्साहित करता है, किंतु डेज़ी अभी भी हिचकिचा रही है। साइमन फिर से उसके पास जाता है और डेज़ी को नीचे उतरने का तरीका करके दिखाता है। अन्ततः डेज़ी की हिम्मत बंधती है, वह हिम्मत करके अपने पिछले पैरों को अगले पैरों के साथ मिला कर निचली सीढ़ी पर आ जाती है, साइमन उसके साथ ही बना रहता है, फिर ऐसे ही प्रयास करते हुए डेज़ी सीढ़ियाँ उतरना सीख लेती है; और सभी आनन्दित होते हैं।

   शिष्यता सिखाने का यह एक बहुत सुन्दर वीडियो था। हम अपना बहुत सा समय दूसरों को ऊपर चढ़ना सिखाने में बिता देते हैं, लेकिन अधिक आवश्यक और अधिक कठिन है दूसरों को सिखाना कि नम्र होकर कैसे अपने आप को नीचा किया जाए। बाइबल में सभी स्थानों पर हम पाते हैं कि परमेश्वर ने अपने लोगों से नम्रता का स्वभाव चाहा है, अनेक स्थानों पर परमेश्वर ने स्वयं अपने आप को नीचा कर के नम्रता का यह पाठ पढ़ाया है (निर्गमन 3:7-8; 19:10-12; मीका 1:3)। और जब जब परमेश्वर के लोग नम्र हुए हैं, परमेश्वर ने उनके अपराधों को क्षमा किया और उनके दण्ड को टाल दिया (2 इतिहास 12:7)। 

    परमेश्वर के वचन बाइबल मात्र में ही हम पाते हैं कि कैसे परमेश्वर ने, प्रभु यीशु के रूप में, अपने ही उदाहराण द्वारा, हमें नम्र होना, सहनशील तथा धैर्यवान होना, दुशमनों तथा विरोधियों के प्रति भी क्षमाशील होना और अपने आप को दूसरों के हित के लिए बलिदान कर देना स्वयं अपने जीवन में करके दिखाया तथा सिखाया है। क्योंकि प्रभु यीशु ने अपने आप को सबसे अधिक दीन और नम्र कर लिया, इसीलिए उसे सृष्टि में सबसे अधिक महिमामय और गौर्वपूर्ण स्थान भी मिला है; अन्ततः उसी के सामने सृष्टि का हर घुटना झुकेगा और और प्रत्येक जीभ उसकी प्रभुता का अंगीकार करेगी (फिलिप्पियों 2:10-11)। - जूली ऐकैरमैन लिंक


जब तक कोई नम्र होना नहीं सीख लेता, वह अन्य कुछ भी नहीं सीख सकता।

जब यहोवा ने देखा कि वे दीन हुए हैं, तब यहोवा का यह वचन शमायाह के पास पहुंचा कि वे दीन हो गए हैं, मैं उन को नष्ट न करूंगा; मैं उनका कुछ बचाव करूंगा, और मेरी जलजलाहट शीशक के द्वारा यरूशलेम पर न भड़केगी। - 2 इतिहास 12:7

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 2:1-11
Philippians 2:1 सो यदि मसीह में कुछ शान्‍ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है। 
Philippians 2:2 तो मेरा यह आनन्द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो। 
Philippians 2:3 विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो। 
Philippians 2:4 हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों की हित की भी चिन्‍ता करे। 
Philippians 2:5 जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो। 
Philippians 2:6 जिसने परमेश्वर के स्‍वरूप में हो कर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। 
Philippians 2:7 वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्‍वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। 
Philippians 2:8 और मनुष्य के रूप में प्रगट हो कर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली। 
Philippians 2:9 इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है। 
Philippians 2:10 कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें।
Philippians 2:11 और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।
Philippians 2:11 और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 23-24
  • लूका 19:1-27


सोमवार, 25 अप्रैल 2016

जीवन का दान


   मुझे शीघ्र ही पता चल गया कि समुद्री मछलियों को पालने के लिए समुद्री जल के अक्वेरियम की देख-रेख करना कोई सरल कार्य नहीं है। मुझे इसके लिए एक रासयनिक प्रयोगशाला बना कर रखनी पड़ी जिसमें पानी के विभिन्न तत्वों और लवणों की मात्रा बारंबार जाँची जाती और उसके अनुसार आवश्यक तत्व और लवण समय-समय पर पानी में मिलाए जाते। पानी को साफ और मछलियों को स्वस्थ रखने के लिए पानी में आवश्यकतानुसार विटामिन, एन्ज़ाईम्स, और किटाणुरोधक एन्टिबायोटिक्स तथा सल्फा ड्रग्स मिलाए जाते; पानी को विभिन्न प्रकार की रासायनिक छलनियों से निकाला जाता जिससे वह छनकर साफ हो जाए और उसमें यदि कोई हानिकारक वस्तु विद्यमान हो तो वह निकल जाए।

   इतनी मेहनत करने के पश्चात आप सोचेंगे कि मेरी पालतु समुद्री मछलियाँ मेरे प्रति आभारी रहती होंगी; जी नहीं! उन्हें खाना डालने के लिए जैसे ही मेरी परछाईं भी उनके पानी पर पड़ती वे सबसे निकट के कोने या पत्थर के पीछे छिपने के लिए भाग लेतीं। मेरा आकार उनके लिए बहुत बड़ा था और मेरी गतिविधियां बहुत रहस्यमय तथा उनकी समझ के बाहर थीं। वे नहीं पहचान पा रही थीं कि मेरे सभी कार्य उनके प्रति मेरे प्रेम के कारण थे, उनकी भलाई के लिए थे। मेरे प्रति उनकी गलतफहमियों को दूर करने के लिए मुझे उनके समान बनकर, उनके मध्य में जाकर, उनसे उन्हीं की भाषा में बात करनी थी, लेकिन ऐसा कर पाना मेरे लिए असंभव है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के अनुसार, इस सृष्टि के सृष्टिकर्ता परमेश्वर ने यही असंभव कार्य हमारे लिए करा। वह हमारे लिए मानव रूप में, एक शिशु बनकर आ गया। यूहन्ना लिखता है कि "वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना" (यूहन्ना 1:10) इसलिए उसी परमेश्वर ने जिसने सब कुछ रचा था, स्वयं अपनी रचना का स्वरूप ले लिया; मानों एक नाटककार स्वयं अपने ही नाटक का पात्र बन गया "और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण हो कर हमारे बीच में डेरा किया..." (यूहन्ना 1:14)। परमेश्वर ने प्रभु यीशु के रूप में हमसे बातें करीं, हमें अपनी योजना और कार्यविधि समझाई, हमारे पापों के निवारण के लिए अपना बलिदान दिया और तीसरे दिन मृतकों में से पुनः जीवित हो उठा; और आज वह जीवित परमेश्वर हमारी प्रतीक्षा कर रहा है कि हम पश्चाताप और समर्पण के साथ उसके पास स्वेच्छा से आएं और उससे उद्धार एवं अनन्त जीवन का दान पाएं। - फिलिप यैन्सी


परमेश्वर ने मानव इतिहास में प्रवेश किया ताकि मानव जाति को उद्धार और अनन्त जीवन मिल सके।

और किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिस के द्वारा हम उद्धार पा सकें। - प्रेरितों 4:12

बाइबल पाठ: यूहन्ना 1:6-14
John 1:6 एक मनुष्य परमेश्वर की ओर से आ उपस्थित हुआ जिस का नाम यूहन्ना था। 
John 1:7 यह गवाही देने आया, कि ज्योति की गवाही दे, ताकि सब उसके द्वारा विश्वास लाएं। 
John 1:8 वह आप तो वह ज्योति न था, परन्तु उस ज्योति की गवाही देने के लिये आया था। 
John 1:9 सच्ची ज्योति जो हर एक मनुष्य को प्रकाशित करती है, जगत में आनेवाली थी। 
John 1:10 वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना। 
John 1:11 वह अपने घर आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया। 
John 1:12 परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। 
John 1:13 वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। 
John 1:14 और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण हो कर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 21-22
  • लूका 18:24-43


रविवार, 24 अप्रैल 2016

सदा साथ


   बचपन का मेरा एक बहुत पसन्दीदा खेल था घर के निकट के एक पार्क में सीसौ पर खेलना। एक बच्चा, बीच में घिरनी लगे लंबे से लकड़ी के तख्ते के एक किनारे पर बैठता, और दूसरा बच्चा दूसरे किनारे पर, और दोनों एक दूसरे को बारी-बारी ऊपर उछालते। कभी-कभी जो नीचे होता वह तख्ते के अपने छोर नीचे ही रखे रहता और दूसरे छोर पर जो ऊपर होता वह नीचे लाए जाने के लिए चिल्लाता रहता। लेकिन इससे भी क्रूर तब होता था जब नीचे के छोर वाल तख्ते से एकदम हट जाता और ऊपर के छोर वाला धड़ाम से नीचे आकर धरती से टकराता, चोटिल हो जाता था।

   कभी-कभी हमें लगता है कि प्रभु यीशु ने भी हमारे साथ ऐसा ही किया है। हमने उसपर विश्वास किया कि वह सदा हमारे साथ बना रहेगा, जीवन के उतार-चढ़ाव में हमारा साथ देता रहेगा; लेकिन ऐसा भी होता है कि जीवन अनायास ही कोई अनेपक्षित मोड़ ले लेता है और हम दुःखी तथा चोटिल हो कर रह जाते हैं; हमें लगता है कि प्रभु हमारे जीवनों को छोड़कर चला गया है और हम धड़ाम से नीचे गिर गए हैं।

   लेकिन परमेश्वर के वचन बाइबल में विलापगीत का तीसरा अध्याय हमें स्मरण दिलाता है, "हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महाकरुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है" (विलापगीत 3:22); अर्थात, परमेश्वर हमारे प्रति हर बात में हर समय विश्वासयोग्य है, चाहे हमें लगे कि सब कुछ समाप्त होता जा रहा है। चाहे हम अपने आप को अकेला अनुभव करें, दुःख में पाएं, तो भी हम अकेले कभी नहीं हैं। चाहे हम उसकी उपस्थिति को अनुभव ना भी करें, तो भी हमारा प्रभु परमेश्वर हमारे साथ बना रहता है, वह हमारा परमविश्वासयोग्य साथी है जो हमें छोड़ कर कभी नहीं जाता, जो कभी हमें नीचे गिरने नहीं देता। - जो स्टोवैल


चाहे सभी साथ छोड़ दें, किंतु प्रभु यीशु कभी साथ नहीं छोड़ता।

तू हियाव बान्ध और दृढ़ हो, उन से न डर और न भयभीत हो; क्योंकि तेरे संग चलने वाला तेरा परमेश्वर यहोवा है; वह तुझ को धोखा न देगा और न छोड़ेगा। व्यवस्थाविवरण 31:6

बाइबल पाठ: विलापगीत 3:13-26
Lamentations 3:13 उसने अपनी तीरों से मेरे हृदय को बेध दिया है; 
Lamentations 3:14 सब लोग मुझ पर हंसते हैं और दिन भर मुझ पर ढालकर गीत गाते हैं, 
Lamentations 3:15 उसने मुझे कठिन दु:ख से भर दिया, और नागदौना पिलाकर तृप्त किया है। 
Lamentations 3:16 उसने मेरे दांतों को कंकरी से तोड़ डाला, और मुझे राख से ढांप दिया है; 
Lamentations 3:17 और मुझ को मन से उतार कर कुशल से रहित किया है; मैं कल्याण भूल गया हूँ; 
Lamentations 3:18 इसलिऐ मैं ने कहा, मेरा बल नाश हुआ, और मेरी आश जो यहोवा पर थी, वह टूट गई है। 
Lamentations 3:19 मेरा दु:ख और मारा मारा फिरना, मेरा नागदौने और-और विष का पीना स्मरण कर! 
Lamentations 3:20 मैं उन्हीं पर सोचता रहता हूँ, इस से मेरा प्राण ढला जाता है। 
Lamentations 3:21 परन्तु मैं यह स्मरण करता हूँ, इसीलिये मुझे आाशा है: 
Lamentations 3:22 हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महाकरुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है। 
Lamentations 3:23 प्रति भोर वह नई होती रहती है; तेरी सच्चाई महान है। 
Lamentations 3:24 मेरे मन ने कहा, यहोवा मेरा भाग है, इस कारण मैं उस में आशा रखूंगा। 
Lamentations 3:25 जो यहोवा की बाट जोहते और उसके पास जाते हैं, उनके लिये यहोवा भला है। 
Lamentations 3:26 यहोवा से उद्धार पाने की आशा रख कर चुपचाप रहना भला है।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 19-20
  • लूका 18:1-23


शनिवार, 23 अप्रैल 2016

आशा और आनन्द


   कुछ दिन पहले मैंने अपने बुज़ुर्ग मित्र बॉब को निकट की एक व्यायामशाला में अपनी ऊँगली पर लगे रक्तचाप मापक यंत्र पर नज़रें गड़ाए हुए, पूरी ताकत से साईकिल चलाते देखा। मैंने उससे पूछा, "यह तुम क्या कर रहे हो?" उसने चढ़ी हुई साँस से भारी हो रखी आवाज़ में व्यंग्य किया, "देख रहा हूँ कि मैं ज़िंदा हूँ या नहीं!" मैंने भी उसी अंदाज़ में एक और प्रश्न पूछा, "और यदि तुम्हें पता चले कि तुम मर चुके हो, तो क्या करोगे?" तो उसने एक बड़ी सी मुस्कुराहट के साथ कहा, "मैं ज़ोर से चिल्लाऊँगा "हालेलुईया" (अर्थात, प्रभु की स्तुति हो)!"

   अनेक वर्षों से उसके साथ रहते हुए मैंने बॉब में एक अद्भुत भीतरी सामर्थ के अनेक चिन्ह देखे हैं: उस की शारीरिक शक्ति के कम होते, और परेशानियों के बढ़ते जाने पर भी उसमें बड़े धैर्य से सहने की सामर्थ है; और अब जब वह अपनी शारीरिक जीवन यात्रा की समाप्ति की ओर बढ़ रहा है उसमें आशा और विश्वास की कोई घटी नज़र नहीं आती। ना केवल उसके पास अद्भुत आशा है, वरन उसे मृत्यु से भी कोई भय नहीं लगता; मृत्यु की संभावना उस के जोश को दबा नहीं पाती।

   मृत्यु के सामने भी आशा और शान्ति, तथा आनन्द को भी भला कौन बनाए रख सकता है? केवल वे जो विश्वास द्वारा अनन्तकाल के परमेश्वर से जुड़ चुके हैं और जानते हैं कि उनके पास अनन्तकाल की आशा है (1 कुरिन्थियों 15:52, 54)। जिनके पास यह आश्वासन है, उनके लिए भी, मेरे मित्र बॉब के समान ही, मृत्यु का कोई भय बाकी नहीं है, वरन वे मृत्योप्रांत तुरंत ही प्रभु यीशु मसीह को साक्षात देखने के आनन्द के बारे में बता सकते हैं।

   मृत्यु से भयभीत क्यों हों, या रहें? इसके विपरीत आनन्दित क्यों ना हों? जैसा के कवि जौन डौन (1572-1631) ने लिखा, "नींद का एक छोटा सा पल और फिर हम अनन्तकाल के लिए जागृत रहेंगे।" - डेविड रोपर


एक मसीही विश्वासी के लिए, स्वर्ग की प्रातः से पूर्व, मृत्यु संसार रात की अन्तिम छाया है।

इसलिये जब कि लड़के मांस और लोहू के भागी हैं, तो वह आप भी उन के समान उन का सहभागी हो गया; ताकि मृत्यु के द्वारा उसे जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली थी, अर्थात शैतान को निकम्मा कर दे। और जितने मृत्यु के भय के मारे जीवन भर दासत्‍व में फंसे थे, उन्हें छुड़ा ले। इब्रानियों 2:14-15

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 15:50-58
1 Corinthians 15:50 हे भाइयों, मैं यह कहता हूं कि मांस और लोहू परमेश्वर के राज्य के अधिकारी नहीं हो सकते, और न विनाश अविनाशी का अधिकारी हो सकता है। 
1 Corinthians 15:51 देखे, मैं तुम से भेद की बात कहता हूं: कि हम सब तो नहीं सोएंगे, परन्तु सब बदल जाएंगे। 
1 Corinthians 15:52 और यह क्षण भर में, पलक मारते ही पिछली तुरही फूंकते ही होगा: क्योंकि तुरही फूंकी जाएगी और मुर्दे अविनाशी दशा में उठाए जांएगे, और हम बदल जाएंगे। 
1 Corinthians 15:53 क्योंकि अवश्य है, कि यह नाशमान देह अविनाश को पहिन ले, और यह मरनहार देह अमरता को पहिन ले। 
1 Corinthians 15:54 और जब यह नाशमान अविनाश को पहिन लेगा, और यह मरनहार अमरता को पहिन लेगा, तक वह वचन जो लिखा है, पूरा हो जाएगा, कि जय ने मृत्यु को निगल लिया। 
1 Corinthians 15:55 हे मृत्यु तेरी जय कहां रही? 
1 Corinthians 15:56 हे मृत्यु तेरा डंक कहां रहा? मृत्यु का डंक पाप है; और पाप का बल व्यवस्था है। 
1 Corinthians 15:57 परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमें जयवन्‍त करता है। 
1 Corinthians 15:58 सो हे मेरे प्रिय भाइयो, दृढ़ और अटल रहो, और प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते जाओ, क्योंकि यह जानते हो, कि तुम्हारा परिश्रम प्रभु में व्यर्थ नहीं है।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 16-18
  • लूका 17:20-37


शुक्रवार, 22 अप्रैल 2016

कृपा


   कुछ मित्रों के साथ यात्रा करते हुए हमने मार्ग के किनारे एक परिवार को बेबस सा खड़ा हुआ देखा। मेरे मित्रों ने तुरंत सड़क के किनारे होकर अपनी गाड़ी रोकी और उस परिवार की सहायता के लिए उनके पास पहुँचे। उन्होंने उस परिवार की गाड़ी की जांच-पड़ताल करी, उसे पुनः चालू किया और उन लोगों को पैट्रोल भरवाने के लिए कुछ पैसे भी दिए। जब परिवार की माँ बारंबार उनका धन्यवाद करने लगी, तो मेरे मित्रों ने उत्तर दिया, "आपकी सहायाता करके हमें आनन्द मिला है, और हम यह सब प्रभु यीशु के नाम में कर रहे हैं।" जब हम अपनी गाड़ी में बैठकर आगे बढ़े तो मैं विचार करने लागा कि मेरे उन मित्रों के लिए ज़रूरतमन्दों की सहायता करना और अपनी उदारता का स्त्रोत प्रभु यीशु मसीह को बताना कितना स्वाभाविक था।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के दो पात्र, प्रभु यीशु के चेले, पतरस और यूहन्ना ने भी आनन्दपूर्वक यरूशालेम के मन्दिर के बाहर बैठे जन्म के लंगड़े भिखारी के प्रति ऐसे ही उदारता दिखाई, और उसे चंगाई दी (प्रेरितों 3:1-10)। इस कारण उन्हें पकड़ कर अधिकारियों के सामने प्रस्तुत किया गया जिन्होंने उनसे पूछा, "...तुम ने यह काम किस सामर्थ से और किस नाम से किया है" (प्रेरितों 4:7)? इस पर पतरस ने उत्तर दिया, "हे लोगों के सरदारों और पुरनियों, इस दुर्बल मनुष्य के साथ जो भलाई की गई है, यदि आज हम से उसके विषय में पूछ पाछ की जाती है, कि वह क्योंकर अच्छा हुआ। तो तुम सब और सारे इस्त्राएली लोग जान लें कि यीशु मसीह नासरी के नाम से जिसे तुम ने क्रूस पर चढ़ाया, और परमेश्वर ने मरे हुओं में से जिलाया, यह मनुष्य तुम्हारे साम्हने भला चंगा खड़ा है" (प्रेरितों 4:9-10)।

   कृपा परमेश्वर के पवित्र आत्मा से मिलने वाले फलों में से एक फल है (गलतियों 5:23), और हम मसीही विश्वासियों के लिए औरों के साथ प्रभु यीशु मसीह के बारे में बाँटने का एक बहुत सामर्थी संदर्भ बना कर देती है। - डेविड मैक्कैसलैंड


कृपा का एक कार्य परमेश्वर के प्रेम के बारे में अनेकों उपदेशों से कहीं अधिक सिखा सकता है।

पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज, और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई भी व्यवस्था नहीं। - गलतियों 5:22-23

बाइबल पाठ: प्रेरितों 4:1-13
Acts 4:1 जब वे लोगों से यह कह रहे थे, तो याजक और मन्दिर के सरदार और सदूकी उन पर चढ़ आए। 
Acts 4:2 क्योंकि वे बहुत क्रोधित हुए कि वे लोगों को सिखाते थे और यीशु का उदाहरण दे देकर मरे हुओं के जी उठने का प्रचार करते थे। 
Acts 4:3 और उन्होंने उन्हें पकड़कर दूसरे दिन तक हवालात में रखा क्योंकि सन्‍धया हो गई थी। 
Acts 4:4 परन्तु वचन के सुनने वालों में से बहुतों ने विश्वास किया, और उन की गिनती पांच हजार पुरूषों के लगभग हो गई।
Acts 4:5 दूसरे दिन ऐसा हुआ कि उन के सरदार और पुरिनये और शास्त्री। 
Acts 4:6 और महायाजक हन्ना और कैफा और यूहन्ना और सिकन्‍दर और जितने महायाजक के घराने के थे, सब यरूशलेम में इकट्ठे हुए। 
Acts 4:7 और उन्हें बीच में खड़ा कर के पूछने लगे, कि तुम ने यह काम किस सामर्थ से और किस नाम से किया है? 
Acts 4:8 तब पतरस ने पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो कर उन से कहा। 
Acts 4:9 हे लोगों के सरदारों और पुरनियों, इस दुर्बल मनुष्य के साथ जो भलाई की गई है, यदि आज हम से उसके विषय में पूछ पाछ की जाती है, कि वह क्योंकर अच्छा हुआ। 
Acts 4:10 तो तुम सब और सारे इस्त्राएली लोग जान लें कि यीशु मसीह नासरी के नाम से जिसे तुम ने क्रूस पर चढ़ाया, और परमेश्वर ने मरे हुओं में से जिलाया, यह मनुष्य तुम्हारे साम्हने भला चंगा खड़ा है। 
Acts 4:11 यह वही पत्थर है जिसे तुम राजमिस्त्रियों ने तुच्‍छ जाना और वह कोने के सिरे का पत्थर हो गया। 
Acts 4:12 और किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिस के द्वारा हम उद्धार पा सकें।
Acts 4:13 जब उन्होंने पतरस और यूहन्ना का हियाव देखा, ओर यह जाना कि ये अनपढ़ और साधारण मनुष्य हैं, तो अचम्भा किया; फिर उन को पहचाना, कि ये यीशु के साथ रहे हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 14-15
  • लूका 17:1-19



गुरुवार, 21 अप्रैल 2016

प्रतीक्षा और संगति


   दिन प्रति दिन, कई वर्षों तक हैरी अपने दामाद जौन के लिए, जो परमेश्वर से दूर चला गया था, प्रार्थनाएं करता रहा; फिर हैरी का देहांत हो गया। इसके कुछ महीने पश्चात जौन परमेश्वर के पास वापस लौट आया। जब जौन की सास मार्शा ने उसे बताया कि हैरी अपने जीवन के अन्तिम दिन तक उसके लिए प्रार्थना करता रहा था, तो जौन ने उत्तर दिया, "मैंने बहुत देर कर दी।" लेकिन मार्शा ने सहर्ष उससे कहा, "लेकिन प्रभु हैरी की उन प्रार्थानाओं का उत्तर आज भी दे रहा है!"

   हैरी की यह कहानी हमारे लिए, जो प्रार्थना करते और उनके उत्तरों की प्रतीक्षा करते हैं, एक प्रोत्साहन की बात है। परमेश्वर के वचन बाइबल की भी हमारे लिए यही शिक्षा है: "प्रयत्न करने में आलसी न हो; आत्मिक उन्माद में भरो रहो; प्रभु की सेवा करते रहो। आशा में आनन्दित रहो; क्लेश में स्थिर रहो; प्रार्थना में नित्य लगे रहो" (रोमियों 12:11-12)।

   भजन 130 के लेखक को भी प्रार्थना में प्रतीक्षा करने का अनुभव था। उसने कहा: "मैं यहोवा की बाट जोहता हूं, मैं जी से उसकी बाट जोहता हूं, और मेरी आशा उसके वचन पर है" (पद 5); लेखक ने परमेश्वर में आशा पाई क्योंकि वह जानता था कि, "...क्योंकि यहोवा करूणा करने वाला और पूरा छुटकारा देने वाला है" (पद 7)।

   लेखक सैमुएल एनिया ने परमेश्वर के समय-काल के विषय में लिखते हुए कहा: "परमेश्वर हमारे समय पर निर्भर नहीं है। हमारा समय तो क्रमिक और एक आयामी है किंतु परमेश्वर....समय की सीमाओं से परे है। वह अपने समयानुसार कार्य करता है। हमारी प्रार्थनाएं....परमेश्वर को कार्य करने पर विवश नहीं करतीं....वरन वे हमें उसके साथ संगति में ले आती हैं।"

   एक मसीही विश्वासी होने के नाते हमारे लिए यह कैसा महान सौभाग्य है कि हम परमेश्वर से उसके समयानुसार उत्तर पाएं और उत्तर की प्रतीक्षा करते हुए उसके साथ संगति भी करें। - एनी सेटास


परमेश्वर हमारी प्रार्थना का उत्तर देने में विलंब कर सकता है, 
परन्तु वह हमारे विश्वास को कभी निराश नहीं करेगा।

किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी। - फिलिप्पियों 4:6-7

बाइबल पाठ: भजन 130
Psalms 130:1 हे यहोवा, मैं ने गहिरे स्थानों में से तुझ को पुकारा है! 
Psalms 130:2 हे प्रभु, मेरी सुन! तेरे कान मेरे गिड़गिड़ाने की ओर ध्यान से लगे रहें! 
Psalms 130:3 हे याह, यदि तू अधर्म के कामों का लेखा ले, तो हे प्रभु कौन खड़ा रह सकेगा? 
Psalms 130:4 परन्तु तू क्षमा करने वाला है? जिस से तेरा भय माना जाए। 
Psalms 130:5 मैं यहोवा की बाट जोहता हूं, मैं जी से उसकी बाट जोहता हूं, और मेरी आशा उसके वचन पर है; 
Psalms 130:6 पहरूए जितना भोर को चाहते हैं, हां, पहरूए जितना भोर को चाहते हैं, उस से भी अधिक मैं यहोवा को अपने प्राणों से चाहता हूं।
Psalms 130:7 इस्राएल यहोवा पर आशा लगाए रहे! क्योंकि यहोवा करूणा करने वाला और पूरा छुटकारा देने वाला है। 
Psalms 130:8 इस्राएल को उसके सारे अधर्म के कामों से वही छुटकारा देगा।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 12-13
  • लूका 16



बुधवार, 20 अप्रैल 2016

सहायक


   16 वर्ष की आयु तक आते-आते मॉरिस फ्रैंक (1908-1980) की दोनों आंखों की दृष्टि जाती रही थी। इसके कई वर्ष पश्चात वह स्विटज़रलैंड गया, जहाँ उसकी मुलाकात एक विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कुत्ते बड्डी से हुई, जिससे फ्रैंक की रुचि Seeing Eye Guide - Dog School में हुई। बड्डी की सहायता से फ्रैंक के लिए व्यस्त मार्गों और चौराहों पर चलना और उन्हें पार करना सहज हो गया। बड्डी की सहायता से फ्रैंक को अपने आस-पास के संसार में एक नया प्रवेश और सुगमता मिल गई। इस सहायक से मिली अपनी इस स्वतंत्रता का वर्णन करते हुए फ्रैंक ने कहा, "यह अद्भुत था: केवल बड्डी और मेरे तथा उसके मध्य एक चमड़े का पट्टे ने मुझे जीवन से जोड़ दिया।"

   परमेश्वर का पवित्र आत्मा भी मसीह यीशु में मिलने वाले आत्मिक जीवन में हमें एक सुगमता और सहजता देता है। जब हम प्रभु यीशु मसीह को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार करते हैं, उससे अपने पापों की क्षमा मांग कर अपना जीवन उसे समर्पित कर देते हैं, तो परमेश्वर हमारे जीवन से पाप के दाग़ धो कर साफ कर देता है और अपने पवित्र आत्मा के द्वारा हमें एक नूतन सृष्टि बना देता है (तीतुस 3:5-6)। एक बार हम मसीह यीशु के हो जाते हैं तो परमेश्वर का पवित्र आत्मा हमारा सहायक हो जाता है जिससे हम परमेश्वर के प्रेम को अनुभव कर सकें (रोमियों 5:5), परमेश्वर के वचन बाइबल को समझ सकें (यूहन्ना 14:26), प्रार्थना कर सकें (रोमियों 8:26) और आशा से परिपूर्ण रहें (रोमियों 15:13)।

   आज जब आप परमेश्वर के साथ अपने जीवन के बारे में विचार करें तो स्मरण रखें कि मसीही विश्वास के जीवन में परमेश्वर पवित्र आत्मा आपका सदैव उपलब्ध सहायक और मार्गदर्शक है; केवल उसी की सहायता से आप मसीही विश्वास का जीवन जी सकते हैं (रोमियों 8:14)। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


परमेश्वर पवित्र आत्मा आत्मिक ज्ञान और उन्नति में हमारी सहायता और मार्गदर्शन करता है।

इसलिये कि जितने लोग परमेश्वर के आत्मा के चलाए चलते हैं, वे ही परमेश्वर के पुत्र हैं। - रोमियों 8:14

बाइबल पाठ: तीतुस 3:1-11
Titus 3:1 लोगों को सुधि दिला, कि हाकिमों और अधिकारियों के आधीन रहें, और उन की आज्ञा मानें, और हर एक अच्‍छे काम के लिये तैयार रहें। 
Titus 3:2 किसी को बदनाम न करें; झगडालू न हों: पर कोमल स्‍वभाव के हों, और सब मनुष्यों के साथ बड़ी नम्रता के साथ रहें। 
Titus 3:3 क्योंकि हम भी पहिले, निर्बुद्धि, और आज्ञा न मानने वाले, और भ्रम में पड़े हुए, और रंग रंग के अभिलाषाओं और सुखविलास के दासत्‍व में थे, और बैरभाव, और डाह करने में जीवन निर्वाह करते थे, और घृणित थे, और एक दूसरे से बैर रखते थे। 
Titus 3:4 पर जब हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर की कृपा, और मनुष्यों पर उसकी प्रीति प्रगट हुई। 
Titus 3:5 तो उसने हमारा उद्धार किया: और यह धर्म के कामों के कारण नहीं, जो हम ने आप किए, पर अपनी दया के अनुसार, नए जन्म के स्‍नान, और पवित्र आत्मा के हमें नया बनाने के द्वारा हुआ। 
Titus 3:6 जिसे उसने हमारे उद्धारकर्ता यीशु मसीह के द्वारा हम पर अधिकाई से उंडेला। 
Titus 3:7 जिस से हम उसके अनुग्रह से धर्मी ठहरकर, अनन्त जीवन की आशा के अनुसार वारिस बनें। 
Titus 3:8 यह बात सच है, और मैं चाहता हूं, कि तू इन बातों के विषय में दृढ़ता से बोले इसलिये कि जिन्हों ने परमेश्वर की प्रतीति की है, वे भले-भले कामों में लगे रहने का ध्यान रखें: ये बातें भली, और मनुष्यों के लाभ की हैं। 
Titus 3:9 पर मूर्खता के विवादों, और वंशावलियों, और बैर विरोध, और उन झगड़ों से, जो व्यवस्था के विषय में हों बचा रह; क्योंकि वे निष्‍फल और व्यर्थ हैं। 
Titus 3:10 किसी पाखंडी को एक दो बार समझा बुझाकर उस से अलग रह। 
Titus 3:11 यह जानकर कि ऐसा मनुष्य भटक गया है, और अपने आप को दोषी ठहराकर पाप करता रहता है।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 9-11
  • लूका 15:11-32


मंगलवार, 19 अप्रैल 2016

व्यवस्थित


   जिस भी बात पर मैं ध्यान करती हूँ, वही मेरी इस धारणा की पुष्टि करती है कि व्यवस्थित होना स्वाभाविक नहीं है। उदाहरण के लिए चाहे मेरे कार्यस्थल को ही ले लीजिए, मैं चकित हूँ कि कितनी शीघ्रता से, बिना किसी प्रयास के भी, मेरा दफतर अव्यवस्थित हो जाता है; लेकिन उसे पुनः व्यवस्थित करने के लिए प्रयास और समय लगता है। व्यवस्था लाने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ता है; व्यवस्था स्वतः नहीं आ जाती।

   लेकिन इस बात को लेकर मुझे चकित नहीं होना चाहिए; आखिरकर परमेश्वर का वचन बाइबल भी तो बारंबार यही बात दिखाती है; और यह भी कि अव्यवस्था को व्यवस्थित करने के लिए परमेश्वर को प्रयास और हस्तक्षेप करना ही पड़ता है। इसका एक प्रमुख उदाहरण हमें परमेश्वर द्वारा इस्त्राएल को मिस्त्र की ग़ुलाम प्रजा से एक स्वाधीन राष्ट्र के रूप में स्थापित किए जाने के समय की घटनाओं में देखते हैं (निर्गमन 7-14 अध्याय)। जब परमेश्वर ने मिस्त्र के राजा फिरौन के पास इस्त्राएल को मुक्त कर देने का सन्देश मूसा और हारून के द्वारा भेजा तो फिरौन ने इसका विरोध किया। मिस्त्र की अर्थव्यवस्था और समृद्धि इस्त्राएली गुलामों द्वारा किए जा रहे कठिन श्रम पर निर्भर थी, इसलिए फिरौन उन्हें जाने नहीं देना चाहता था। फिरौन की मनशा बदलने के लिए परमेश्वर ने दस विपत्तियाँ मिस्त्र पर भेजीं। फिरौन के जादूगर पहली दो विपत्तियों की नकल तो करने पाए किंतु शेष आठ की नकल कर पाने में वे असमर्थ रहे; लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि उन दस विपत्तियों में से किसी एक को भी वे जादूगर पलट नहीं सके। वे दो बार अव्यवस्था तो लाने पाए किंतु पुनः व्यवस्था बहाल करना उनके बस की बात नहीं थी; हर बार केवल परमेश्वर ने ही उन विपत्तियों को पलटा और व्यवस्था को बहाल किया। केवल परमेश्वर ही अव्यवस्था को व्यवस्थित कर सकता है।

   एक बात और है, प्रयास करके हम अपने निवास या कार्य स्थान को व्यवस्थित तो कर सकते हैं, उसे कुछ समय तक व्यवस्थित बनाए भी रख सकते हैं; लेकिन अपने आत्मिक और भावनात्मक जीवन की अव्यवस्था को हम कभी स्वयं व्यवस्थित नहीं कर सकते या रख सकते। यह कार्य भी केवल परमेश्वर ही कर सकता है। जब हम परमेश्वर की इच्छानुसार भले कार्यों में लगे रहते हैं, आज्ञाकारिता का जीवन व्यतीत करते हैं, किसी से बुरा नहीं बोलते, नम्र और शांतिप्रीय होकर रहते हैं, सबके साथ कोमलता दिखाते हैं (तीतुस 3:1-2) इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं कि परमेश्वर ने हमारे जीवनों की अव्यवस्था को व्यवस्थित कर दिया है। - जूली ऐकैअरमैन लिंक


जब हम अपनी समस्याएं परमेश्वर के हाथों में डाल देते हैं तो वह भी अपनी शांति हमारे हृदयों में डाल देता है।

लोगों को सुधि दिला, कि हाकिमों और अधिकारियों के आधीन रहें, और उन की आज्ञा मानें, और हर एक अच्‍छे काम के लिये तैयार रहें। किसी को बदनाम न करें; झगडालू न हों: पर कोमल स्‍वभाव के हों, और सब मनुष्यों के साथ बड़ी नम्रता के साथ रहें। - तीतुस 3:1-2

बाइबल पाठ: निर्गमन 8:1-15
Exodus 8:1 और तब यहोवा ने फिर मूसा से कहा, फिरौन के पास जा कर कह, यहोवा तुझ से इस प्रकार कहता है, कि मेरी प्रजा के लोगों को जाने दे जिस से वे मेरी उपासना करें। 
Exodus 8:2 और यदि उन्हें जाने न देगा तो सुन, मैं मेंढ़क भेज कर तेरे सारे देश को हानि पहुंचाने वाला हूं। 
Exodus 8:3 और नील नदी मेंढ़कों से भर जाएगी, और वे तेरे भवन में, और तेरे बिछौने पर, और तेरे कर्मचारियों के घरों में, और तेरी प्रजा पर, वरन तेरे तन्दूरों और कठौतियों में भी चढ़ जाएंगे। 
Exodus 8:4 और तुझ पर, और तेरी प्रजा, और तेरे कर्मचारियों, सभों पर मेंढ़क चढ़ जाएंगे। 
Exodus 8:5 फिर यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी, कि हारून से कह दे, कि नदियों, नहरों, और झीलों के ऊपर लाठी के साथ अपना हाथ बढ़ाकर मेंढकों को मिस्र देश पर चढ़ा ले आए। 
Exodus 8:6 तब हारून ने मिस्र के जलाशयों के ऊपर अपना हाथ बढ़ाया; और मेंढ़कों ने मिस्र देश पर चढ़कर उसे छा लिया। 
Exodus 8:7 और जादूगर भी अपने तंत्र-मंत्रों से उसी प्रकार मिस्र देश पर मेंढक चढ़ा ले आए। 
Exodus 8:8 तब फिरौन ने मूसा और हारून को बुलवाकर कहा, यहोवा से बिनती करो कि वह मेंढ़कों को मुझ से और मेरी प्रजा से दूर करे; और मैं इस्राएली लोगों को जाने दूंगा जिस से वे यहोवा के लिये बलिदान करें। 
Exodus 8:9 तब मूसा ने फिरौन से कहा, इतनी बात पर तो मुझ पर तेरा घमंड रहे, अब मैं तेरे, और तेरे कर्मचारियों, और प्रजा के निमित्त कब बिनती करूं, कि यहोवा तेरे पास से और तेरे घरों में से मेंढकों को दूर करे, और वे केवल नील नदी में पाए जाएं? 
Exodus 8:10 उसने कहा, कल। उसने कहा, तेरे वचन के अनुसार होगा, जिस से तुझे यह ज्ञात हो जाए कि हमारे परमेश्वर यहोवा के तुल्य कोई दूसरा नहीं है। 
Exodus 8:11 और मेंढक तेरे पास से, और तेरे घरों में से, और तेरे कर्मचारियों और प्रजा के पास से दूर हो कर केवल नील नदी में रहेंगे। 
Exodus 8:12 तब मूसा और हारून फिरौन के पास से निकल गए; और मूसा ने उन मेंढकों के विषय यहोवा की दोहाई दी जो उसने फिरौन पर भेजे थे। 
Exodus 8:13 और यहोवा ने मूसा के कहने के अनुसार किया; और मेंढक घरों, आंगनों, और खेतों में मर गए। 
Exodus 8:14 और लोगों ने इकट्ठे कर के उनके ढेर लगा दिए, और सारा देश दुर्गन्ध से भर गया। 
Exodus 8:15 परन्तु जब फिरोन ने देखा कि अब आराम मिला है तक यहोवा के कहने के अनुसार उसने फिर अपने मन को कठोर किया, और उनकी न सुनी।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 6-8
  • लूका 15:1-10


सोमवार, 18 अप्रैल 2016

केंद्र


   हाल ही मुझे "कोपरनिकन पल" का अनुभव हुआ; अर्थात मुझे यह एहसास हुआ कि मैं सृष्टि का केंद्र नहीं हूँ; संसार मेरे चारों ओर नहीं चलता; और ना ही संसार मेरी गति, मेरी दिशा, मेरी इच्छाओं और मेरी योजनाओं के अनुरूप अथवा अनुसार चलता और कार्य करता है। चाहे हम इसे स्वीकार करना ना भी चाहें तो भी सत्य यही है कि जीवन केवल हमारी ही लालसाओं और पसन्द के अनुसार संचालित तथा कार्यकारी नहीं होता है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 33 में हम पाते हैं कि सारी सृष्टि का केंद्र और संचालन केवल परमेश्वर के पास है; उसी ने समुद्र की सीमाएं बांधी हैं और वही सागर के भण्डारों को तय करता है। सृष्टि की हर बात, हर भाग उसके नियमों के अनुसार चलते और कार्य करते हैं। जाति-जाति के लोग भी परमेश्वर द्वारा ही संचालित और नियंत्रित होते हैं। किसी की कोई भी युक्ति या योजना परमेश्वर की युक्ति या योजना के सामने टिक नहीं सकती। अन्ततः परमेश्वर ही की हर योजना सर्वोपरी तथा कार्यन्वित होगी और उसके सभी उद्देश्य सदा ही अटल बने रहेंगे।

   परमेश्वर संसार के सभी मनुष्यों पर सर्वदा नज़र बनाए रखता है। हमारे जीवन स्वयं हम पर नहीं वरन परमेश्वर पर केंद्रित रहने के लिए रचे गए हैं। उसने ही हमें और हमारे हृदयों को बनाया है, और हमारे मन की हर बात को वह भली-भांति जानता-समझता है। हमारे जीवनों में हस्तक्षेप करने की सामर्थ और अधिकार उसके पास है और जब भी परिस्थितियाँ हमारे बूते से बाहर होने लगती हैं वह हमें उन से बाहर निकालना जानता है।

   हमें उस महान और सर्वशक्तिमान परमेश्वर का कितना धन्यवादी और आभारी होना चाहिए जो सारी सृष्टि का केंद्र है, परन्तु फिर भी हमें व्यक्तिगत रीति से जानता है, हमारे साथ संबंध बनाए रखता है और हमारे जीवन की हर बात को नियंत्रित तथा संचालित करता है, हमें हर बात और हर परिस्थिति में सामर्थ तथा सहायता प्रदान करता है। - पो फैंग चिया


जब हम हमारे चारों ओर की संसार की बातों के लिए अपने आप को मरा हुआ मान लेते हैं, 
तब हम ऊपर रहने वाले परमेश्वार के लिए जीना आरंभ कर देते हैं।

तो प्रभु के भक्तों को परीक्षा में से निकाल लेना और अधर्मियों को न्याय के दिन तक दण्‍ड की दशा में रखना भी जानता है। - 2 पतरस 2:9

बाइबल पाठ: भजन 33:6-19
Psalms 33:6 आकाशमण्डल यहोवा के वचन से, और उसके सारे गण उसके मुंह ही श्वास से बने। 
Psalms 33:7 वह समुद्र का जल ढेर की नाईं इकट्ठा करता; वह गहिरे सागर को अपने भण्डार में रखता है।
Psalms 33:8 सारी पृथ्वी के लोग यहोवा से डरें, जगत के सब निवासी उसका भय मानें! 
Psalms 33:9 क्योंकि जब उसने कहा, तब हो गया; जब उसने आज्ञा दी, तब वास्तव में वैसा ही हो गया।
Psalms 33:10 यहोवा अन्य अन्य जातियों की युक्ति को व्यर्थ कर देता है; वह देश देश के लोगों की कल्पनाओं को निष्फल करता है। 
Psalms 33:11 यहोवा की युक्ति सर्वदा स्थिर रहेगी, उसके मन की कल्पनाएं पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहेंगी। 
Psalms 33:12 क्या ही धन्य है वह जाति जिसका परमेश्वर यहोवा है, और वह समाज जिसे उसने अपना निज भाग होने के लिये चुन लिया हो! 
Psalms 33:13 यहोवा स्वर्ग से दृष्टि करता है, वह सब मनुष्यों को निहारता है; 
Psalms 33:14 अपने निवास के स्थान से वह पृथ्वी के सब रहने वालों को देखता है, 
Psalms 33:15 वही जो उन सभों के हृदयों को गढ़ता, और उनके सब कामों का विचार करता है। 
Psalms 33:16 कोई ऐसा राजा नहीं, जो सेना की बहुतायत के कारण बच सके; वीर अपनी बड़ी शक्ति के कारण छूट नहीं जाता। 
Psalms 33:17 बच निकलने के लिये घोड़ा व्यर्थ है, वह अपने बड़े बल के द्वारा किसी को नहीं बचा सकता है।
Psalms 33:18 देखो, यहोवा की दृष्टि उसके डरवैयों पर और उन पर जो उसकी करूणा की आशा रखते हैं बनी रहती है, 
Psalms 33:19 कि वह उनके प्राण को मृत्यु से बचाए, और अकाल के समय उन को जीवित रखे।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 3-5
  • लूका 14:25-35


रविवार, 17 अप्रैल 2016

योग्य सहायक


   अमेरिका के न्यूटाऊन, कनेक्टिकट के एक प्राथमिक स्कूल में हुए गोली-काँड के बाद बहुत से लोगों के अन्दर किसी ना किसी रीति से उस दुर्घटना से प्रभावित लोगों की सहायाता करने की भावना जागृत हुई। इसी भावना के अन्तर्गत, कुछ ने घायलों के इलाज के लिए रक्त-दान किया, कुछ ने अपने रेस्टोरॉन्ट से राहत, बचाव और बहाली का कार्य करने वाले लोगों के लिए मुफ्त भोजन तथा कॉफी परोसी। कुछ ने सांत्वना और प्रोत्साहन के पत्र लिखे तो कुछ ने केवल प्रभावित लोगों को गले लगाकर उन्हें अकेले या निःसहाय नहीं होने का एहसास करवाया। कुछ ने बच्चों के लिए खिलोने और पैसे दान किए, तो कुछ ने निराश लोगों को संभालने और आशा बंधाने के लिए सलाहकारों का कार्य किया। अपने संसाधनों, व्यक्तित्व, योग्यता आदि के अनुसार जिससे जो बन पड़ा उसने किया।

   परमेश्वर के वचन बाइबल की एक घटना दिखाती है कि कैसे बाइबल के एक पात्र यूसुफ ने उसे अनुचित रीति से बन्दी बनाकर रखने वाले लोगों को सात वर्ष के भीषण अकाल से सकुशल निकालने में अपनी योग्यताओं द्वारा एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई (उत्पत्ति 41:53-54)। परमेश्वर ने मिस्त्र के राजा फिरौन को स्वपन द्वारा चिताया कि सात वर्ष की भरपूरी और फिर सात वर्ष का भयानक अकाल आने वाला है, किंतु फिरौन अपने स्वपनों को समझ ना सका और परमेश्वर ने यूसुफ को उसे यह समझाने के लिए उपयोग किया। यूसुफ की यह योग्यता और परमेश्वर का साथ देखकर फिरौन ने उसे ही इस आने वाली विपदा से सकुशल निकल पाने की योजना बनाने और उसे कार्यान्वित करने की ज़िम्मेदारी सौंपी। यूसुफ ने परमेश्वर से मिली प्रतिभा और बुद्धिमता के द्वारा यह सभी तैयारी करी (उत्पत्ति 41:39)। फिर जब अकाल का समय आया और लोग त्रस्त होने लगे तब यूसुफ ने अन्न के भण्डार उनके लिए खोल दिए (उत्पत्ति 41:56) और वह अपने परिवार को भी अकाल से बचाने पाया (उत्पत्ति 45:16-18)।

   ये सभी बातें इस संसार के लिए परमेश्वर के मन की भावना को दिखाती हैं। परमेश्वर ने हमें बनाया और सक्षम किया है कि जैसा हम से बन पड़े, हम अन्य लोगों के सहायक हों; और जब हम सहायता के लिए तैयार होकर आगे बढ़ते हैं तब वह योग्य सहायक होने के लिए हमारा मार्गदर्शन भी करता है। - एनी सेटास


करुणा आवश्यकतानुसार जो भी चाहिए होता है वह उपलब्ध करने के लिए प्रेरित करती है।

जिनका भला करना चाहिये, यदि तुझ में शक्ति रहे, तो उनका भला करने से न रुकना। यदि तेरे पास देने को कुछ हो, तो अपने पड़ोसी से न कहना कि जा कल फिर आना, कल मैं तुझे दूंगा। - नीतिवचन 3:27-28

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 41:46-56
Genesis 41:46 जब यूसुफ मिस्र के राजा फिरौन के सम्मुख खड़ा हुआ, तब वह तीस वर्ष का था। सो वह फिरौन के सम्मुख से निकलकर मिस्र के सारे देश में दौरा करने लगा। 
Genesis 41:47 सुकाल के सातों वर्षों में भूमि बहुतायत से अन्न उपजाती रही। 
Genesis 41:48 और यूसुफ उन सातों वर्षों में सब प्रकार की भोजनवस्तुएं, जो मिस्र देश में होती थीं, जमा कर के नगरों में रखता गया, और हर एक नगर के चारों ओर के खेतों की भोजनवस्तुओं को वह उसी नगर में इकट्ठा करता गया। 
Genesis 41:49 सो यूसुफ ने अन्न को समुद्र की बालू के समान अत्यन्त बहुतायत से राशि राशि कर के रखा, यहां तक कि उसने उनका गिनना छोड़ दिया; क्योंकि वे असंख्य हो गईं। 
Genesis 41:50 अकाल के प्रथम वर्ष के आने से पहिले यूसुफ के दो पुत्र, ओन के याजक पोतीपेरा की बेटी आसनत से जन्मे। 
Genesis 41:51 और यूसुफ ने अपने जेठे का नाम यह कहके मनश्शे रखा, कि परमेश्वर ने मुझ से सारा क्लेश, और मेरे पिता का सारा घराना भुला दिया है। 
Genesis 41:52 और दूसरे का नाम उसने यह कहकर एप्रैम रखा, कि मुझे दु:ख भोगने के देश में परमेश्वर ने फुलाया फलाया है। 
Genesis 41:53 और मिस्र देश के सुकाल के वे सात वर्ष समाप्त हो गए। 
Genesis 41:54 और यूसुफ के कहने के अनुसार सात वर्षों के लिये अकाल आरम्भ हो गया। और सब देशों में अकाल पड़ने लगा; परन्तु सारे मिस्र देश में अन्न था। 
Genesis 41:55 जब मिस्र का सारा देश भूखों मरने लगा; तब प्रजा फिरोन से चिल्ला चिल्लाकर रोटी मांगने लगी: और वह सब मिस्रियों से कहा करता था, यूसुफ के पास जाओ: और जो कुछ वह तुम से कहे, वही करो। 
Genesis 41:56 सो जब अकाल सारी पृथ्वी पर फैल गया, और मिस्र देश में काल का भयंकर रूप हो गया, तब यूसुफ सब भण्डारों को खोल खोल के मिस्रियों के हाथ अन्न बेचने लगा। 
Genesis 41:57 सो सारी पृथ्वी के लोग मिस्र में अन्न मोल लेने के लिये यूसुफ के पास आने लगे, क्योंकि सारी पृथ्वी पर भयंकर अकाल था।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 1-2
  • लूका 14:1-24


शनिवार, 16 अप्रैल 2016

सदस्य


   मॉरिस ग्रिफिन 32 वर्ष की आयु में लेपालक पुत्र बना। ऐसा होने से 20 वर्ष पहले वह लीसा और चार्ल्स गॉडबोल्ड के साथ कुछ समय मूँह-बोले पुत्र के समान रहा था, लेकिन फिर वह उन से अलग हो गया था। अब आधिकारिक रूप से लेपालक पुत्र बन सकने से पहले मॉरिस अकेला ही रह रहा था, किंतु उसकी तथा लीसा और चार्ल्स की भी यही लालसा रहती थी कि वह परिवार का सदस्य बन सके। अब जब मॉरिस पुनः लीसा और चार्ल्स के संपर्क में आया और जब उसका दत्तकपुत्र होना आधिकारिक हो गया, तो मॉरिस ने कहा, "संभवतः यह मेरे जीवन का सबसे अधिक खुशी का पल है....मैं अपनी घर-वापसी से बहुत प्रसन्न हूँ।"

   हम में से जो लोग परमेश्वर के परिवार के सदस्य बन चुके हैं, मॉरिस के समान ही कह सकते हैं कि "संभवतः यह मेरे जीवन का सबसे अधिक खुशी का पल है।" जब हम प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास लाकर, उससे अपने पापों की क्षमा माँगकर, अपने जीवन को उसे समर्पित कर देते हैं, तब हम उद्धार पा लेते हैं और परमेश्वर की सन्तान तथा परमेश्वर के परिवार के सदस्य हो जाते हैं और वह हमारा स्वर्गीय पिता हो जाता है। परमेश्वर का वचन बाइबल हम सभी मसीही विश्वासियों को आश्वस्त करता है कि "क्योंकि तुम सब उस विश्वास करने के द्वारा जो मसीह यीशु पर है, परमेश्वर की सन्तान हो" (गलतियों 3:26)।

   परमेश्वर के लेपालक सन्तान हो जाने के बाद हमारे साथ हमारे आत्मिक भाई-बहिन जुड़ जाते हैं, और हम सब एक ही आत्मिक मीरास के वारिस हो जाते हैं: "और पिता का धन्यवाद करते रहो, जिसने हमें इस योग्य बनाया कि ज्योति में पवित्र लोगों के साथ मीरास में संभागी हों" (कुलुस्सियों 1:12)। साथ ही परमेश्वर का पवित्र आत्मा हमारे अन्दर आकर निवास करने लगता है और हमें परमेश्वर को "अब्बा, पिता" कहकर संबोधित करने तथा उससे उसकी सन्तान होने के अधिकार के साथ प्रार्थना करने के लिए सक्षम करता है (गलतियों 4:6)।

   परमेश्वर की सन्तान होने का तात्पर्य है अपने स्वर्गीय पिता की उस निकटता, प्रेम और सुरक्षा को अनुभव करना जो हमसे प्रेम करता है, हमें हमारी कमियों-घटियों के बावजूद ग्रहण करता है, हमें अपने निकट रखना और हमें निकटता से जानना चाहता है। परमेश्वर के परिवार का सदस्य हो जाना एक अद्भुत घर-वापसी का अनुभव करना है। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


किसी को भी पुनः घर में ले लेने के लिए परमेश्वर की बाहें सदा खुली रहती हैं।

परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। - यूहन्ना 1:12-13

बाइबल पाठ: गलतियों 3:26-4:7
Galatians 3:26 क्योंकि तुम सब उस विश्वास करने के द्वारा जो मसीह यीशु पर है, परमेश्वर की सन्तान हो। 
Galatians 3:27 और तुम में से जितनों ने मसीह में बपतिस्मा लिया है उन्होंने मसीह को पहिन लिया है। 
Galatians 3:28 अब न कोई यहूदी रहा और न यूनानी; न कोई दास, न स्‍वतंत्र; न कोई नर, न नारी; क्योंकि तुम सब मसीह यीशु में एक हो। 
Galatians 3:29 और यदि तुम मसीह के हो, तो इब्राहीम के वंश और प्रतिज्ञा के अनुसार वारिस भी हो।
Galatians 4:1 मैं यह कहता हूं, कि वारिस जब तक बालक है, यद्यपि सब वस्‍तुओं का स्‍वामी है, तौभी उस में और दास में कुछ भेद नहीं। 
Galatians 4:2 परन्तु पिता के ठहराए हुए समय तक रक्षकों और भण्‍डारियों के वश में रहता है। 
Galatians 4:3 वैसे ही हम भी, जब बालक थे, तो संसार की आदि शिक्षा के वश में हो कर दास बने हुए थे। 
Galatians 4:4 परन्तु जब समय पूरा हुआ, तो परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा, जो स्त्री से जन्मा, और व्यवस्था के आधीन उत्पन्न हुआ। 
Galatians 4:5 ताकि व्यवस्था के आधीनों को मोल ले कर छुड़ा ले, और हम को लेपालक होने का पद मिले। 
Galatians 4:6 और तुम जो पुत्र हो, इसलिये परमेश्वर ने अपने पुत्र के आत्मा को, जो हे अब्‍बा, हे पिता कह कर पुकारता है, हमारे हृदय में भेजा है। 
Galatians 4:7 इसलिये तू अब दास नहीं, परन्तु पुत्र है; और जब पुत्र हुआ, तो परमेश्वर के द्वारा वारिस भी हुआ।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 शमूएल 30-31
  • लूका 13:23-35


शुक्रवार, 15 अप्रैल 2016

मधुर सत्य


   जब वास्तव में उनकी आवश्यकता होती है तो मेरी पॉपिन्स कहाँ होती हैं? मैं मानता हूँ मेरा यह प्रश्न उन पुराने भले दिनों की याद दिलाता है जब बच्चों की कहानियों पर बनी फिल्में हमें कालपनिक और जादूई पात्रों और उनके अवास्तविक कार्यों द्वारा समस्याओं को पलक झपकते ही सरलता से सुलझा लेने को दिखाकर खुश करती थीं। लेकिन मेरे मन की अभिलाषा है ऐसे लोगों के लिए जो वास्तविक, आशापूर्ण भविष्य के दर्शन को लेकर कार्य करें। मेरी लालसा है उन लोगों के लिए जो रचनात्मक हैं, आनन्द से भरे हैं और जिन बातों को हम नकारात्मक दृष्टि से देखते हैं, उन्ही बातों के सकारात्मक पहलुओं को भी हमें दिखा सकें; जो हमें एहसास करवा सकें कि कड़ुवी दवाई भी एक चम्मच चीनी के साथ आसानी से निगली जा सकती है!

   परमेश्वर के वचन बाइबल में दाऊद ने अपने एक भजन में ऐसे ही विचारों को लेकर एक प्रभावी सत्य लिखा: "यहोवा का भय पवित्र है, वह अनन्तकाल तक स्थिर रहता है; यहोवा के नियम सत्य और पूरी रीति से धर्ममय हैं। वे तो सोने से और बहुत कुन्दन से भी बढ़कर मनोहर हैं; वे मधु से और टपकने वाले छत्ते से भी बढ़कर मधुर हैं" (भजन 19:9-10)। आज हम बहुत ही कम यह सुनने पाते हैं कि सत्य मधुर भी हो सकता है; आम धारणा और सामान्यतः कही जाने वाली बात तो यह है कि सत्य कड़ुवा होता है, निगलने या स्वीकार करने में कठोर होता है। लेकिन सत्य का एक महत्वपूर्ण परन्तु कम स्वीकार किया जाने वाला पहलु यह भी है कि सत्य ऐसा आहार है जिससे अनेक रोगों से बचाव होता है। सत्य कोई बीमारी रोधक टीका या दवा नहीं है; सत्य तो भरपूरी से सामर्थ देने वाला पौष्टिक भोजन है जिसे ऐसे परोसा जाना चाहिए जिससे वह भूखों को आकर्षित करके उन्हें उसे चखने के लिए लालायित करे (भजन 34:8)।

   हम आराधना का एक गीत "यीशु सबसे मधुर नाम" तो गाते हैं किंतु यीशु के नाम और जीवन को संसार के समक्ष ऐसे प्रस्तुत करते हैं मानो वह नाम खट्टा पड़ गया हो। जो लोग आत्मिक भोजन के लिए तरसते हैं, उनके लिए प्रभु यीशु का निर्मल सत्य, जो यदि हमारे अहंकार या कटु व्यवहार अथवा स्वभाव से कलंकित नहीं हुआ है, सबसे मधुर स्वाद और तरोताज़गी देनेवाला होता है। हम मसीही विश्वासियों को यह आदर है कि हम इस मधुर सत्य को, पाप की कड़ुवाहट झेल रहे संसार के सामने प्रस्तुत करें। - जूली ऐकैरमैन लिंक


क्योंकि उसकी करूणा हमारे ऊपर प्रबल हुई है; और यहोवा की सच्चाई सदा की है याह की स्तुति करो! - भजन 117:2

परखकर देखो कि यहोवा कैसा भला है! क्या ही धन्य है वह पुरूष जो उसकी शरण लेता है। - भजन 34:8

बाइबल पाठ: भजन 19:7-14
Psalms 19:7 यहोवा की व्यवस्था खरी है, वह प्राण को बहाल कर देती है; यहोवा के नियम विश्वासयोग्य हैं, साधारण लोगों को बुद्धिमान बना देते हैं; 
Psalms 19:8 यहोवा के उपदेश सिद्ध हैं, हृदय को आनन्दित कर देते हैं; यहोवा की आज्ञा निर्मल है, वह आंखों में ज्योति ले आती है; 
Psalms 19:9 यहोवा का भय पवित्र है, वह अनन्तकाल तक स्थिर रहता है; यहोवा के नियम सत्य और पूरी रीति से धर्ममय हैं। 
Psalms 19:10 वे तो सोने से और बहुत कुन्दन से भी बढ़कर मनोहर हैं; वे मधु से और टपकने वाले छत्ते से भी बढ़कर मधुर हैं। 
Psalms 19:11 और उन्हीं से तेरा दास चिताया जाता है; उनके पालन करने से बड़ा ही प्रतिफल मिलता है। 
Psalms 19:12 अपनी भूलचूक को कौन समझ सकता है? मेरे गुप्त पापों से तू मुझे पवित्र कर। 
Psalms 19:13 तू अपने दास को ढिठाई के पापों से भी बचाए रख; वह मुझ पर प्रभुता करने न पाएं! तब मैं सिद्ध हो जाऊंगा, और बड़े अपराधों से बचा रहूंगा।
Psalms 19:14 मेरे मुंह के वचन और मेरे हृदय का ध्यान तेरे सम्मुख ग्रहण योग्य हों, हे यहोवा परमेश्वर, मेरी चट्टान और मेरे उद्धार करने वाले!

एक साल में बाइबल: 
  • 1 शमूएल 27-29
  • लूका 13:1-22


गुरुवार, 14 अप्रैल 2016

कार्यरत


   विवियन और डॉन 90-100 के मध्य की आयु में हैं, और उनके वैवाहिक जीवन के 70 वर्ष पूरे हो चुके हैं। हाल ही में विवियन का कूल्हा टूट जाने से वे कठिनाई में आ गए; उनके लिए यह और भी अधिक दुःखी करने वाली बात इसलिए थी क्योंकि कई वर्षों से वे इस बात को लेकर दुःखी हैं कि अपनी उम्र के कारण वे नियमित चर्च नहीं जा पा रहे हैं और चर्च की गतिविधियों में भाग नहीं लेने पा रहे हैं।

   लेकिन फिर भी विवियन और डॉन प्रभु परमेश्वर के लिए सतत कार्यरत हैं; चाहे वे चर्च या अन्य स्थानों पर ना जा पाते हों किंतु वे प्रार्थना-योद्धा हैं। चर्च के तथा अन्य लोगों के लिए वे घर पर ही प्रार्थनाएं करते रहते हैं, अपनी प्रार्थनाओं में उनका ध्यान रखते हैं, उनके लिए परमेश्वर से सहायाता और आशीष जुटाते हैं। वे इस उम्र में भी, चाहे पृष्ठभूमि में ही सही, किंतु परमेश्वर के कार्य में कार्यरत हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में मत्ती रचित सुसमाचार के 25वें अध्याय में प्रभु यीशु द्वारा दिया गया ’तोड़ों’ का दृष्टांत है, जिसके द्वारा उन्होंने सिखाया कि जो भी गुण, आशीष और योग्यता परमेश्वए ने हमें प्रदान करी है, उसका सदुपयोग परमेश्वर के राज्य की बढ़ोतरी के लिए सबको बुद्धिमानी से करना है, ना कि उन्हें ऐसे ही दबा कर निषक्रीय रखना है; और परमेश्वर ने अपने प्रत्येक जन को कुछ-ना-कुछ दिया है।

   परमेश्वर हमें केवल हमारी सामर्थ के वर्षों ही में उपयोग नहीं करता; परन्तु यदि हम उसे करने दें तो वह हमारे बचपन, बुढ़ापे, हमारी कमज़ोरियों और बीमारियों में भी हमें अपने लिए इस्तेमाल करता है। विवियन और डॉन इस बात का सजीव उदाहरण हैं, जो अपनी उम्र और अस्वस्थता के बावजूद आज भी परमेश्वर के लिए कार्यरत हैं। उन के समान, अपने उद्धारकर्ता प्रभु परमेश्वर की सेवकाई के लिए अपने गुणों, आशीषों और योग्यताओं का सदुपयोग करके हम परमेश्वर का आदर और उपासना करते हैं। - डेव ब्रैनन


यदि आप इच्छुक हैं, तो परमेश्वर किसी भी उम्र या परिस्थिति में आपका उपयोग कर सकता है।

जिसने मुझे भेजा है; हमें उसके काम दिन ही दिन में करना अवश्य है: वह रात आनेवाली है जिस में कोई काम नहीं कर सकता। - यूहन्ना 9:4

बाइबल पाठ: मत्ती 25:14-21
Matthew 25:14 क्योंकि यह उस मनुष्य की सी दशा है जिसने परदेश को जाते समय अपने दासों को बुलाकर, अपनी संपत्ति उन को सौंप दी। 
Matthew 25:15 उसने एक को पांच तोड़े, दूसरे को दो, और तीसरे को एक; अर्थात हर एक को उस की सामर्थ के अनुसार दिया, और तब पर देश चला गया। 
Matthew 25:16 तब जिस को पांच तोड़े मिले थे, उसने तुरन्त जा कर उन से लेन देन किया, और पांच तोड़े और कमाए। 
Matthew 25:17 इसी रीति से जिस को दो मिले थे, उसने भी दो और कमाए। 
Matthew 25:18 परन्तु जिस को एक मिला था, उसने जा कर मिट्टी खोदी, और अपने स्‍वामी के रुपये छिपा दिए। 
Matthew 25:19 बहुत दिनों के बाद उन दासों का स्‍वामी आकर उन से लेखा लेने लगा। 
Matthew 25:20 जिस को पांच तोड़े मिले थे, उसने पांच तोड़े और लाकर कहा; हे स्‍वामी, तू ने मुझे पांच तोड़े सौंपे थे, देख मैं ने पांच तोड़े और कमाए हैं। 
Matthew 25:21 उसके स्‍वामी ने उस से कहा, धन्य हे अच्‍छे और विश्वासयोग्य दास, तू थोड़े में विश्वासयोग्य रहा; मैं तुझे बहुत वस्‍तुओं का अधिकारी बनाऊंगा अपने स्‍वामी के आनन्द में संभागी हो।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 शमूएल 25-26
  • लूका 12:32-59


बुधवार, 13 अप्रैल 2016

एकमात्र


   एक लेखक और वक्ता मार्टिन लिंडस्ट्रॉम का मानना है कि बहुत से लोगों के लिए उनके सेलफोन उन के परम मित्र के समान हो गए हैं। लिंडस्ट्रॉम ने इस विचार को लेकर कुछ प्रयोग किए और उन्होंने मस्तिष्क के MRI द्वारा इसका कारण पा लिया। लिंडस्ट्रॉम द्वारा किए गए प्रयोगों में पाया गया कि सेलफोन के साथ परम मित्र के समान व्यवहार करने वाले लोग जब भी अपने सेलफोन की घंटी को बजते हुए सुनते, या अपने सेलफोन को देखते तो उनके मस्तिष्क के उस भाग में प्रतिक्रिया होती हुई दिखाई देती जो भाग प्रेम, करुणा आदि भावनाओं के साथ जुड़ा होता है। लिंडस्ट्रॉम का कहना है, "यह प्रतिक्रिया ऐसी थी मानो वे लोग अपनी गर्ल-फ्रेंड, बॉय-फ्रेंड या परिवार जन के साथ हो गए हों।"

   हमारा प्रेम, समय और ध्यान पाने के लिए अनेक बातें होती हैं, और हमें बारंबार इस बात का निर्णय करना पड़ता है कि हम किस को प्राथमिकता देंगे। परमेश्वर के वचन बाइबल के एक पात्र यहोशु ने अपने संगी इस्त्राएलियों से, जिनके ऊपर परमेश्वर ने उसे अगुवा ठहराया था, कहा कि उन्हें केवल परमेश्वर को ही अपना प्रेम और उपासना देनी चाहिए, और वह तथा उसका परिवार ऐसा ही करेंगे "इसलिये अब यहोवा का भय मानकर उसकी सेवा खराई और सच्चाई से करो; और जिन देवताओं की सेवा तुम्हारे पुरखा महानद के उस पार और मिस्र में करते थे, उन्हें दूर कर के यहोवा की सेवा करो। और यदि यहोवा की सेवा करनी तुम्हें बुरी लगे, तो आज चुन लो कि तुम किस की सेवा करोगे, चाहे उन देवताओं की जिनकी सेवा तुम्हारे पुरखा महानद के उस पार करते थे, और चाहे एमोरियों के देवताओं की सेवा करो जिनके देश में तुम रहते हो; परन्तु मैं तो अपने घराने समेत यहोवा की सेवा नित करूंगा" (यहोशु 24:14-15)। उन दिनों उनके आस-पास के लोगों में प्रचलित मूर्तिपूजा के संदर्भ में यहोशु की यह बात बहुत महत्वपूर्ण थी। ये मूर्तियाँ मनुष्यों के हाथों द्वारा धातु से बनाई जाती थीं (भजन 115:4); और जीवते परमेश्वर की तुलना में बिलकुल सामर्थहीन थीं (भजन 115:5-7)। इसीलिए परमेश्वर के लोगों को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया गया कि वे परमेश्वर में ही अपनी सुरक्षा ढूँढ़ें ना कि अन्य देवी-देवताओं में (न्यायियों 10:13-16)।

   प्रभु यीशु ने भी परमेश्वर के नियमों की चर्चा के समय परमेश्वर से ही पूर्णतया प्रेम रखने की बात को दोहराया: "उसने उस से कहा, तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख" (मत्ती 22:37)। हमारा सहायक और हमारी ढाल परमेश्वर ही है; केवल वह ही हमारे प्रेम, आराधाना और उपासना के योग्य एकमात्र परमेश्वर है। - मार्विन विलियम्स


परमेश्वर ही हमारे प्रत्येक प्रेम-भाव के योग्य है।

तू मुझे छोड़ दूसरों को ईश्वर कर के न मानना। तू अपने लिये कोई मूर्ति खोदकर न बनाना, न किसी कि प्रतिमा बनाना, जो आकाश में, वा पृथ्वी पर, वा पृथ्वी के जल में है। तू उन को दण्डवत न करना, और न उनकी उपासना करना; क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा जलन रखने वाला ईश्वर हूं, और जो मुझ से बैर रखते है, उनके बेटों, पोतों, और परपोतों को भी पितरों का दण्ड दिया करता हूं, और जो मुझ से प्रेम रखते और मेरी आज्ञाओं को मानते हैं, उन हजारों पर करूणा किया करता हूं। - निर्गमन 20:3-6

बाइबल पाठ: भजन 115
Psalms 115:1 हे यहोवा, हमारी नहीं, हमारी नहीं, वरन अपने ही नाम की महिमा, अपनी करूणा और सच्चाई के निमित्त कर। 
Psalms 115:2 जाति जाति के लोग क्यों कहने पांए, कि उनका परमेश्वर कहां रहा? 
Psalms 115:3 हमारा परमेश्वर तो स्वर्ग में हैं; उसने जो चाहा वही किया है। 
Psalms 115:4 उन लोगों की मूरतें सोने चान्दी ही की तो हैं, वे मनुष्यों के हाथ की बनाईं हुई हैं। 
Psalms 115:5 उनका मुंह तो रहता है परन्तु वे बोल नहीं सकती; उनके आंखें तो रहती हैं परन्तु वे देख नहीं सकतीं। 
Psalms 115:6 उनके कान तो रहते हैं, परन्तु वे सुन नहीं सकतीं; उनके नाक तो रहती हैं, परन्तु वे सूंघ नहीं सकतीं। 
Psalms 115:7 उनके हाथ तो रहते हैं, परन्तु वे स्पर्श नहीं कर सकतीं; उनके पांव तो रहते हैं, परन्तु वे चल नहीं सकतीं; और अपने कण्ठ से कुछ भी शब्द नहीं निकाल सकतीं। 
Psalms 115:8 जैसी वे हैं वैसे ही उनके बनाने वाले हैं; और उन पर भरोसा रखने वाले भी वैसे ही हो जाएंगे।
Psalms 115:9 हे इस्राएल यहोवा पर भरोसा रख! तेरा सहायक और ढाल वही है। 
Psalms 115:10 हे हारून के घराने यहोवा पर भरोसा रख! तेरा सहायक और ढाल वही है। 
Psalms 115:11 हे यहोवा के डरवैयो, यहोवा पर भरोसा रखो! तुम्हारा सहायक और ढाल वही है।
Psalms 115:12 यहोवा ने हम को स्मरण किया है; वह आशीष देगा; वह इस्राएल के घराने को आशीष देगा; वह हारून के घराने को आशीष देगा। 
Psalms 115:13 क्या छोटे क्या बड़े जितने यहोवा के डरवैये हैं, वह उन्हें आशीष देगा।
Psalms 115:14 यहोवा तुम को और तुम्हारे लड़कों को भी अधिक बढ़ाता जाए! 
Psalms 115:15 यहोवा जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है, उसकी ओर से तुम अशीष पाए हो।
Psalms 115:16 स्वर्ग तो यहोवा का है, परन्तु पृथ्वी उसने मनुष्यों को दी है। 
Psalms 115:17 मृतक जितने चुपचाप पड़े हैं, वे तो याह की स्तुति नहीं कर सकते, 
Psalms 115:18 परन्तु हम लोग याह को अब से ले कर सर्वदा तक धन्य कहते रहेंगे। याह की स्तुति करो!

एक साल में बाइबल: 
  • 1 शमूएल 22-24
  • लूका 12:1-31


मंगलवार, 12 अप्रैल 2016

नया आरंभ


   नया आरंभ संभव है! इसके बारे में एक नवयुवक ब्रेयन से पूछिए। ब्रेयन 12 वर्ष का था जब वह घर से भाग गया और 3 वर्ष तक आवारागर्दी और अपराध में लिप्त गिरोह के साथ रहा, उनके जैसे कार्य करता रहा, नशीले पदार्थों के सेवन करने में लिप्त रहा। फिर वह उस गिरोह से निकल कर वापस घर तो आ गया, लेकिन उसके लिए जीवन को वापस पटरी पर लाना कठिन हो रहा था क्योंकि नशीले पदार्थ बेचने के जुर्म में वह स्कूल से निकाला जा चुका था। ब्रेयन ने एक नए स्कूल में दाखिला लिया, जहाँ उसके एक अध्यापक ने उसे प्रेरित और उत्साहित किया कि वह अपने पुराने जीवन को दोहराने की बजाए उसके बारे में लिखना आरंभ करे। ब्रेयन ने यह चुनौती स्वीकार करी और आज वह उस नए आरंभ के आनन्द का अनुभव कर रहा है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भी परमेश्वर ने अपने नबी यशायाह द्वारा निर्वासित यहूदियों को एक नए आरंभ के बारे में विचार करने को कहा। परमेश्वर ने उन से कहा, "अब बीती हुई घटनाओं का स्मरण मत करो, न प्राचीनकाल की बातों पर मन लगाओ" (यशायाह 43:18)। परमेश्वर ने उन्हें बीती बातों, उनकी अनाज्ञाकारिता के दण्ड, यहाँ तक कि उन्हें मिस्त्र की गुलामी से निकाल कर लाने के लिए जो सामर्थी कार्य परमेश्वर ने किए थे, उन सब पर थम कर रह जाने से मना किया। इस सब कि बजाए परमेश्वर ने उन्हें परमेश्वर की सहायता द्वारा बाबुल की गुलामी से निकल कर फिर से वापस अपने देश लौट कर बसने पर ध्यान केंद्रित करने और विचार-मग्न रहने को कहा।

   यही बात आज हमारे लिए भी लागू है; हम कितनी ही निराशा और कुँठाओं से होकर क्यों ना निकले हों, हमारे मन चाहे कितने भी भारी क्यों ना हों, आज परमेश्वर हमें हमारी इन सब बीती बातों से निकाल कर एक नया आरंभ दे सकता है। जब हम अपने जीवन पश्चाताप के साथ परमेश्वर को समर्पित करके प्रभु यीशु मसीह में होकर उससे अपना नाता जोड़ लेते हैं, उसके आज्ञाकारी हो जाते हैं, वह हमारा हाथ पकड़कर अपने साथ लिए चलता है, हमारे लिए मार्ग बनाता है और अनन्त शांति, आशा तथा आशीष का जीवन प्रदान करता है। - मार्विन विलियम्स


परमेश्वर भीतर से बाहर तक एक पूर्ण्त्या नया आरंभ देता है।

सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्‍टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं। - 2 कुरिन्थियों 5:17

बाइबल पाठ: यशायाह 43:14-21
Isaiah 43:14 तुम्हारा छुड़ाने वाला और इस्राएल का पवित्र यहोवा यों कहता है, तुम्हारे निमित्त मैं ने बाबुल को भेजा है, और उसके सब रहने वालों को भगोड़ों की दशा में और कसदियों को भी उन्हीं के जहाजों पर चढ़ाकर ले आऊंगा जिन के विषय वे बड़ा बोल बोलते हैं। 
Isaiah 43:15 मैं यहोवा तुम्हारा पवित्र, इस्राएल का सृजनहार, तुम्हारा राजा हूं। 
Isaiah 43:16 यहोवा जो समुद्र में मार्ग और प्रचण्ड धारा में पथ बनाता है, 
Isaiah 43:17 जो रथों और घोड़ों को और शूरवीरों समेत सेना को निकाल लाता है, (वे तो एक संग वहीं रह गए और फिर नहीं उठ सकते, वे बुझ गए, वे सन की बत्ती की नाईं बुझ गए हैं।) वह यों कहता है, 
Isaiah 43:18 अब बीती हुई घटनाओं का स्मरण मत करो, न प्राचीनकाल की बातों पर मन लगाओ। 
Isaiah 43:19 देखो, मैं एक नई बात करता हूं; वह अभी प्रगट होगी, क्या तुम उस से अनजान रहोगे? मैं जंगल में एक मार्ग बनाऊंगा और निर्जल देश में नदियां बहाऊंगा। 
Isaiah 43:20 गीदड़ और शुतर्मुर्ग आदि जंगली जन्तु मेरी महिमा करेंगे; क्योंकि मैं अपनी चुनी हुई प्रजा के पीने के लिये जंगल में जल और निर्जल देश में नदियां बहाऊंगा। 
Isaiah 43:21 इस प्रजा को मैं ने अपने लिये बनाया है कि वे मेरा गुणानुवाद करें।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 शमूएल 19-21
  • लूका 11:29-54


सोमवार, 11 अप्रैल 2016

सामर्थ


   मेरी तीन वर्षीय पोती, केटी, ने एक दिन अपने माता-पिता को परमेश्वर से सम्बंधित अपनी समझ से चकित कर दिया। केटी ने उन से कहा, "आप दोनों की ही बहने थीं जिन का देहान्त हो गया। लेकिन परमेश्वर ने उन्हें अपने साथ स्वर्ग में रहने के लिए बुला लिया; परमेश्वर कितना सामर्थी है!"

   परमेश्वर की असीम सामर्थ रहस्यमय है, लेकिन फिर भी ऐसी सरल है कि एक छोटा बच्चा भी उसे समझ सकता है। उस छोटी बच्ची केटी की विचार क्षमता भी उसे बता रही थी कि ऐसा अद्भुत आश्चर्यकर्म कर पाने का अर्थ है कि परमेश्वर अति सामर्थी है। बिना इस बात की बारीकियां जाने या समझे, केटी इतना समझती थी कि उसकी फूफी और मौसी को अपने पास स्वर्ग ले लेने के द्वारा परमेश्वर ने अपनी अद्भुत सामर्थ का परिचय दिया है।

   आज के अपने इस आधुनिक और जटिल संसार में हम कितनी बार थोड़ा रुक कर परमेश्वर के सामर्थी होने और हमारे आस-पास के उसकी सामर्थ के प्रमाणों पर विचार करते हैं? शायद जितना करना चाहिए उतना तो नहीं करते। हम यह नहीं समझ पाते कि परमेश्वर ने अपने वचन द्वारा कैसे सृष्टि की रचना करी (अय्युब 38-39; भजन 33:9; इब्रानियों 11:3); ना ही हम यह जानने पाते हैं कि कैसे वह सृष्टि को नियंत्रित करता है (नहेमयाह 9:6)। हमें यह भी नहीं पता कि परमेश्वर ने कब प्रभु यीशु के देहधारी होने की योजना बनाई और कार्यान्वित करी; और ना ही यह समझ पाते हैं कि हमारे उद्धार के लिए प्रभु यीशु द्वारा दिया गया बलिदान कैसे पर्याप्त है। लेकिन हम इतना जानते हैं कि यह सब सत्य है और परमेश्वर के द्वारा हुआ है।

   परमेश्वर की सामर्थ: अपनी विलक्षणता में असीम और अगाध, परन्तु फिर भी इतनी सरल कि बच्चा भी उसे पहचान ले, उसे जान ले। ऐसा परमेश्वर के प्रति समर्पण, आज्ञाकारिता और उसकी आराधना हमारा सौभाग्य है। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर का प्रत्येक कार्य सरलता और सामर्थ से चिन्हित होता है।

तू ही अकेला यहोवा है; स्वर्ग वरन सब से ऊंचे स्वर्ग और उसके सब गण, और पृथ्वी और जो कुछ उस में है, और समुद्र और जो कुछ उस में है, सभों को तू ही ने बनाया, और सभों की रक्षा तू ही करता है; और स्वर्ग की समस्त सेना तुझी को दण्डवत करती हैं। - नहेमयाह 9:6 

बाइबल पाठ: भजन 29
Psalms 29:1 हे परमेश्वर के पुत्रों यहोवा का, हां यहोवा ही का गुणानुवाद करो, यहोवा की महिमा और सामर्थ को सराहो। 
Psalms 29:2 यहोवा के नाम की महिमा करो; पवित्रता से शोभायमान हो कर यहोवा को दण्डवत करो। 
Psalms 29:3 यहोवा की वाणी मेघों के ऊपर सुन पड़ती है; प्रतापी ईश्वर गरजता है, यहोवा घने मेघों के ऊपर रहता है। 
Psalms 29:4 यहोवा की वाणी शक्तिशाली है, यहोवा की वाणी प्रतापमय है। 
Psalms 29:5 यहोवा की वाणी देवदारों को तोड़ डालती है; यहोवा लबानोन के देवदारों को भी तोड़ डालता है। 
Psalms 29:6 वह उन्हें बछड़े की नाईं और लबानोन और शिर्योन को जंगली बछड़े के समान उछालता है।
Psalms 29:7 यहोवा की वाणी आग की लपटों को चीरती है। 
Psalms 29:8 यहोवा की वाणी वन को हिला देती है, यहोवा कादेश के वन को भी कंपाता है।
Psalms 29:9 यहोवा की वाणी से हरिणियों का गर्भपात हो जाता है। और अरण्य में पतझड़ होती है; और उसके मन्दिर में सब कोई महिमा ही महिमा बोलता रहता है।
Psalms 29:10 जलप्रलय के समय यहोवा विराजमान था; और यहोवा सर्वदा के लिये राजा हो कर विराजमान रहता है। 
Psalms 29:11 यहोवा अपनी प्रजा को बल देगा; यहोवा अपनी प्रजा को शान्ति की आशीष देगा।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 शमूएल 17-18
  • लूका 11:1-28


रविवार, 10 अप्रैल 2016

निर्देश तथा नियम


   मेरी परवरिश अमेरिका में हुई है, इसलिए मुझे यह बड़ा विचित्र लगता था कि संसार के अनेक देशों में लोग और वाहन सड़क की बांई ओर चलते हैं ना कि दाहिनी ओर, जैसा अमेरिका में है। फिर, जब मैं इंगलैंड में था, तो लंदन घुमाने वाले हमारे एक गाईड ने सड़क के बांई ओर चलने वाले नियम का एक संभावित कारण बताया; उसने कहा कि "सन 1800 के दशकों में पैदल चलने वाले तथा घोड़ा-गाड़ी वाले, दोनों एक ही सड़क का उपयोग करते थे। यदि घोड़ा-गाड़ी सड़क की दाहिनी ओर होती थी तो कभी-कभी गाड़ी चालक का चाबुक पैदल चल रहे किसी व्यक्ति को भी लग जाता था। इस खतरे को दूर करने के लिए यह नियम बना कर लागू किय गया कि सभी वाहन सड़क की बांई ओर ही चलेंगे जिससे पैदल चलने वालों को कोई खतरा ना रहे।"

   जैसे सड़क पर यातायात के नियम हमारी सुरक्षा और भलाई के लिए दिए जाते हैं, परमेश्वर के नियम भी हमारी सुरक्षा और भलाई के लिए हैं, क्योंकि वह हम से प्रेम करता है और सदा, हर बात में हमारा भला ही चाहता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने गलतिया की मसीही मण्डली को लिखी पत्री में लिखा: "हे भाइयों, तुम स्‍वतंत्र होने के लिये बुलाए गए हो परन्तु ऐसा न हो, कि यह स्‍वतंत्रता शारीरिक कामों के लिये अवसर बने, वरन प्रेम से एक दूसरे के दास बनो। क्योंकि सारी व्यवस्था इस एक ही बात में पूरी हो जाती है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख" (गलतियों 5:13-14)।

   जैसे-जैसे हम परमेश्वर के वचन को अपने हृदयों में बसाते और अपने जीवनों में लागू करते हैं, हम इस बात का भी ध्यान रखें कि हमारे उस दयालु, करुणामय और अनुग्रहकारी परमेश्वर पिता ने हमारे जानने और मानने के लिए निर्देश तथा नियम भी दिए हैं जिससे हम उसे और निकटता से जान सकें, उसके जीवन को जी कर दिखा सकें और उससे आशीष तथा भलाई पाते रहें। - डेनिस फिशर


बाइबल में खोज कर प्राप्त कर लेने के लिए ज्ञान और बुद्धिमता के असीम खज़ाने परमेश्वर ने हमारे लिए रख छोड़े हैं।

भला होता कि उनका मन सदैव ऐसा ही बना रहे, कि वे मेरा भय मानते हुए मेरी सब आज्ञाओं पर चलते रहें, जिस से उनकी और उनके वंश की सदैव भलाई होती रहे! -  व्यवस्थाविवरण 5:29

बाइबल पाठ: गलतियों 5:1-14
Galatians 5:1 मसीह ने स्‍वतंत्रता के लिये हमें स्‍वतंत्र किया है; सो इसी में स्थिर रहो, और दासत्‍व के जूए में फिर से न जुतो।
Galatians 5:2 देखो, मैं पौलुस तुम से कहता हूं, कि यदि खतना कराओगे, तो मसीह से तुम्हें कुछ लाभ न होगा। 
Galatians 5:3 फिर भी मैं हर एक खतना कराने वाले को जताए देता हूं, कि उसे सारी व्यवस्था माननी पड़ेगी। 
Galatians 5:4 तुम जो व्यवस्था के द्वारा धर्मी ठहरना चाहते हो, मसीह से अलग और अनुग्रह से गिर गए हो। 
Galatians 5:5 क्योंकि आत्मा के कारण, हम विश्वास से, आशा की हुई धामिर्कता की बाट जोहते हैं। 
Galatians 5:6 और मसीह यीशु में न खतना, न खतनारिहत कुछ काम का है, परन्तु केवल, जो प्रेम के द्वारा प्रभाव करता है। 
Galatians 5:7 तुम तो भली भांति दौड़ रहे थे, अब किस ने तुम्हें रोक दिया, कि सत्य को न मानो। 
Galatians 5:8 ऐसी सीख तुम्हारे बुलाने वाले की ओर से नहीं। 
Galatians 5:9 थोड़ा सा खमीर सारे गूंधे हुए आटे को खमीर कर डालता है। 
Galatians 5:10 मैं प्रभु पर तुम्हारे विषय में भरोसा रखता हूं, कि तुम्हारा कोई दूसरा विचार न होगा; परन्तु जो तुम्हें घबरा देता है, वह कोई क्यों न हो दण्‍ड पाएगा। 
Galatians 5:11 परन्तु हे भाइयों, यदि मैं अब तक खतना का प्रचार करता हूं, तो क्यों अब तक सताया जाता हूं; फिर तो क्रूस की ठोकर जाती रही। 
Galatians 5:12 भला होता, कि जो तुम्हें डांवाडोल करते हैं, वे काट डाले जाते! 
Galatians 5:13 हे भाइयों, तुम स्‍वतंत्र होने के लिये बुलाए गए हो परन्तु ऐसा न हो, कि यह स्‍वतंत्रता शारीरिक कामों के लिये अवसर बने, वरन प्रेम से एक दूसरे के दास बनो। 
Galatians 5:14 क्योंकि सारी व्यवस्था इस एक ही बात में पूरी हो जाती है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 शमूएल 15-16
  • लूका 10:25-42