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रविवार, 1 नवंबर 2015

प्रेम


   मैंने एक दुकान में पटिया लिखा एक वाक्य देखा, "मन की जाँच इससे नहीं है कि आप दूसरों से कितना प्रेम करते हैं, वरन इससे है कि लोग आपसे कितना प्रेम करते हैं" और इस कथन का उद्धरण किया गया था बच्चों की एक प्रसिद्ध और लोकप्रीय कथा Wizard of Oz से। निःसन्देह Wizard of Oz एक अच्छी कहानी है, लेकिन आत्मिक बातों के लिए कहानियाँ भरोसेमन्द और सदा सत्य कहने वाला स्त्रोत नहीं होतीं। आत्मिक बातों का सदा सत्य बताने वाला और भरोसेमन्द स्त्रोत है परमेश्वर का वचन बाइबल।

   परमेश्वर ने अपने वचन बाइबल में कहा, "...सब आज्ञाओं में से यह मुख्य है; हे इस्राएल सुन; प्रभु हमारा परमेश्वर एक ही प्रभु है। और तू प्रभु अपने परमेश्वर से अपने सारे मन से और अपने सारे प्राण से, और अपनी सारी बुद्धि से, और अपनी सारी शक्ति से प्रेम रखना। और दूसरी यह है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना: इस से बड़ी और कोई आज्ञा नहीं" (मरकुस 12:29-31)। बाइबल हमें ना केवल परमेश्वर से प्रेम करना सिखाती है, वरन मनुष्यों से भी प्रेम करने को कहती है, उन से भी जो हमारे विरोधी और बैरी हैं (मत्ती 5:43-48) जिससे कि हम अपने परमेश्वर पिता के गुण प्रकट करें। ना केवल हमें सब मनुष्यों से प्रेम रखना है परन्तु साथ ही प्रत्युत्तर में कुछ पाने की आशा रखने की बजाए यदि प्रत्युत्तर में बैर भी मिले तो उसमें भी परमेश्वर के धन्यवादी होना, आनन्दित होना है, "धन्य हो तुम, जब मनुष्य मेरे कारण तुम्हारी निन्दा करें, और सताएं और झूठ बोल बोलकर तुम्हरो विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहें। आनन्‍दित और मगन होना क्योंकि तुम्हारे लिये स्वर्ग में बड़ा फल है इसलिये कि उन्होंने उन भविष्यद्वक्ताओं को जो तुम से पहिले थे इसी रीति से सताया था" (मत्ती 5:11-12)।

   जब बात प्रेम की आती है तो समझने के लिए जो अति आवश्यक बात है वह है कि प्रेम का स्त्रोत परमेश्वर है (1 यूहन्ना 4:7-8); जैसे मूसा ने इस्त्राएलियों से कहा कि परमेश्वर उनसे प्रेम करने से प्रसन्न होता है (व्यवस्थाविवरण 10:15) इसीलिए उन्हें भी अन्य लोगों से प्रेम करना है, परदेशियों से भी (पद 19)। परमेश्वर चाहता है कि जो उसके प्रेम के पात्र हैं वे उसके प्रेम को दूसरों तक पहुँचाने का माध्यम भी बनें।

   हम प्रेम इसलिए कर सकते हैं क्योंकि परमेश्वर ने हम से प्रेम किया और हमें प्रेम करना सिखाया है (1 यूहन्ना 4:19)। - जूली ऐकैरमैन लिंक


जो प्रेम नहीं रखता, वह परमेश्वर को नहीं जानता है, क्योंकि परमेश्वर प्रेम है। - 1 यूहन्ना 4:8

हम इसलिये प्रेम करते हैं, कि पहिले उसने हम से प्रेम किया। - 1 यूहन्ना 4:19

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण 10:12-22
Deuteronomy 10:12 और अब, हे इस्राएल, तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ से इसके सिवाय और क्या चाहता है, कि तू अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानें, और उसके सारे मार्गों पर चले, उस से प्रेम रखे, और अपने पूरे मन और अपने सारे प्राण से उसकी सेवा करे, 
Deuteronomy 10:13 और यहोवा की जो जो आज्ञा और विधि मैं आज तुझे सुनाता हूं उन को ग्रहण करे, जिस से तेरा भला हो? 
Deuteronomy 10:14 सुन, स्वर्ग और सब से ऊंचा स्वर्ग भी, और पृथ्वी और उस में जो कुछ है, वह सब तेरे परमेश्वर यहोवा ही का है; 
Deuteronomy 10:15 तौभी यहोवा ने तेरे पूर्वजों से स्नेह और प्रेम रखा, और उनके बाद तुम लोगों को जो उनकी सन्तान हो सर्व देशों के लोगों के मध्य में से चुन लिया, जैसा कि आज के दिन प्रगट है। 
Deuteronomy 10:16 इसलिये अपने अपने हृदय का खतना करो, और आगे को हठीले न रहो। 
Deuteronomy 10:17 क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा वही ईश्वरों का परमेश्वर और प्रभुओं का प्रभु है, वह महान्‌ पराक्रमी और भय योग्य ईश्वर है, जो किसी का पक्ष नहीं करता और न घूस लेता है। 
Deuteronomy 10:18 वह अनाथों और विधवा का न्याय चुकाता, और परदेशियों से ऐसा प्रेम करता है कि उन्हें भोजन और वस्त्र देता है। 
Deuteronomy 10:19 इसलिये तुम भी परदेशियों से प्रेम भाव रखना; क्योंकि तुम भी मिस्र देश में परदेशी थे। 
Deuteronomy 10:20 अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानना; उसी की सेवा करना और उसी से लिपटे रहना, और उसी के नाम की शपथ खाना। 
Deuteronomy 10:21 वही तुम्हारी स्तुति के योग्य है; और वही तेरा परमेश्वर है, जिसने तेरे साथ वे बड़े महत्व के और भयानक काम किए हैं, जिन्हें तू ने अपनी आंखों से देखा है। 
Deuteronomy 10:22 तेरे पुरखा जब मिस्र में गए तब सत्तर ही मनुष्य थे; परन्तु अब तेरे परमेश्वर यहोवा ने तेरी गिनती आकाश के तारों के समान बहुत कर दिया है।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 24-26
  • तीतुस 2