ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

गुरुवार, 17 दिसंबर 2015

प्रोत्साहन तथा प्रेम


   मुझे अपनी एक मित्र से, जो एक विकासशील देश में एक अनाथालय में सेवा कर रही है, पत्र मिला; उसने लिखा: "कल जब मैं अपने दपतर में बैठी काम कर रही थी, मैंने फर्श पर ढेरों चींटियों को पंक्ति में चलते देखा, उस पंक्ति के साथ साथ जब मैंने अपनी नज़र आगे बढ़ाई तो मैं यह देखकर चकित रह गई कि हमारे दपतर की दीवार पर अन्दर और बाहर हज़ारों चींटियाँ भरी हुई थीं; वे दीवर से लगी हर चीज़ पर चल रही थीं। हमारे एक कर्मचारी ने उन्हें साफ करने का काम आरंभ किया और घण्टे भर के अन्दर ही सारी चींटियाँ चली गईं।"

   चींटियों की यह घटना बयान करने के बाद मेरी मित्र ने मुझसे पूछा, "और बताओ, तुम्हारा दिन और कार्य कैसा रहा?" कभी कभी ऐसा कुछ चाहिए होता है जो हमें उन लोगों की और उनकी आवश्यकताओं की याद दिलाए जो घर के आराम और सुविधाओं को छोड़कर कहीं अन्य स्थानों पर परमेश्वर के कार्य में लगे हैं, उसकी सेवा कर रहे हैं। परमेश्वर ने हम सभी मसीही विश्वासियों को अलग अलग सेवकाई के लिए बुलाया है, और कुछ की सेवकाई कठिनाईयों से भरी होती है। अब मेरी उस मित्र को ही लीजिए, किसे पसन्द आएगा कि वह ऐसे दफ्तर में काम करे जहाँ कभी भी चींटियाँ आकर सब जगह छा जाती हैं; लेकिन वह वहाँ सुविधाओं के लिए नहीं वरन परमेश्वर की बुलाहट को पूरा करने के लिए है।

   वह और उसके समान अनेक मसीही विश्वासियों के मन प्रभु यीशु के प्रेम से भरे और प्रोत्साहित होकर उसके कार्य में लगे हैं, और उनके लिए जीवन के लिए "आवश्यक" आराम और सुविधाओं को छोड़कर प्रभु द्वारा निर्धारित कार्य को पूरा करना, प्रभु यीशु के प्रति उनके प्रेम को प्रदर्शित करना है; उस प्रभु के प्रति जिसने अपने प्रेम में होकर समस्त मानव जाति को उसके पापों से छुड़ाने के लिए अपने प्राण क्रूस पर बलिदान कर दिए।

   प्रभु यीशु के लिए सेवकाई में लगे लोगों को हमारे सहयोग और सहायता की आवश्यकता है, जैसे प्रेरित पौलुस को फिलिप्पी में अपने मित्रों से सहायता की आवश्यकता थी - सहभागिता के लिए (फिलिप्पियों 1:5), आर्थिक आवश्यकताओं के लिए (फिलिप्पियों 4:16) और देखभाल के लिए (फिलिप्पियों 4:18)। जब हम अपने मित्रों को उनकी मसीही सेवकाई में सहायता देकर प्रोत्साहित करते हैं तो हम अपने प्रभु के प्रति अपने प्रेम को प्रकट करते हैं। इस प्रोत्साहन और प्रेम प्रदर्शन को बनाए रखिए। - डेव ब्रैनन


जीवन की महिमा प्रेम पाने की बजाए प्रेम बाँटने, लोगों से लेने की बजाए उन्हें देने, और सेवा करवाने की बजाए सेवा करने में है।

मैं जब जब तुम्हें स्मरण करता हूं, तब तब अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं। इसलिये, कि तुम पहिले दिन से ले कर आज तक सुसमाचार के फैलाने में मेरे सहभागी रहे हो। - फिलिप्पियों 1:3, 5

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 4:10-18
Philippians 4:10 मैं प्रभु में बहुत आनन्‍दित हूं कि अब इतने दिनों के बाद तुम्हारा विचार मेरे विषय में फिर जागृत हुआ है; निश्‍चय तुम्हें आरम्भ में भी इस का विचार था, पर तुम्हें अवसर न मिला। 
Philippians 4:11 यह नहीं कि मैं अपनी घटी के कारण यह कहता हूं; क्योंकि मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूं, उसी में सन्‍तोष करूं। 
Philippians 4:12 मैं दीन होना भी जानता हूं और बढ़ना भी जानता हूं: हर एक बात और सब दशाओं में तृप्‍त होना, भूखा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है। 
Philippians 4:13 जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं। 
Philippians 4:14 तौभी तुम ने भला किया, कि मेरे क्‍लेश में मेरे सहभागी हुए। 
Philippians 4:15 और हे फिलप्‍पियो, तुम आप भी जानते हो, कि सुसमाचार प्रचार के आरम्भ में जब मैं ने मकिदुनिया से कूच किया तब तुम्हें छोड़ और किसी मण्‍डली ने लेने देने के विषय में मेरी सहायता नहीं की। 
Philippians 4:16 इसी प्रकार जब मैं थिस्सलुनीके में था; तब भी तुम ने मेरी घटी पूरी करने के लिये एक बार क्या वरन दो बार कुछ भेजा था। 
Philippians 4:17 यह नहीं कि मैं दान चाहता हूं परन्तु मैं ऐसा फल चाहता हूं, जो तुम्हारे लाभ के लिये बढ़ता जाए। 
Philippians 4:18 मेरे पास सब कुछ है, वरन बहुतायत से भी है: जो वस्तुएं तुम ने इपफ्रुदीतुस के हाथ से भेजी थीं उन्हें पाकर मैं तृप्‍त हो गया हूं, वह तो सुगन्‍ध और ग्रहण करने के योग्य बलिदान है, जो परमेश्वर को भाता है।

एक साल में बाइबल: 
  • अमोस 7-9
  • प्रकाशितवाक्य 8