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गुरुवार, 16 जनवरी 2014

पुस्तक


   अमेरीकी नागरिक जौन म्युइर (1838-1914) के पिता एक मसीही विश्वासी थे जो परमेश्वर के वचन बाइबल को कण्ठस्त करने पर बहुत ज़ोर देते थे। कहा जाता है कि किशोरावस्था तक जौन ने बाइबल का सम्पूर्ण नया नियम खण्ड और पुराने नियम खण्ड के अधिकांश भाग कण्ठस्त कर लिए थे और अपनी स्मरण शक्ति द्वारा ही उन्हें दोहरा सकता था।

   अपनी युवावस्था से ही जौन ने परमेश्वर की सृष्टि से विशेष प्रेम हो गया था और उसके दृष्टिकोण से प्रकृति परमेश्वर के बारे में जानने समझने का एक माध्यम थी। वह सृष्टि को "प्रकृति की पुस्तक" कहता था। जंगल और बियाबान में खोज करना उसे बहुत पसन्द था और अपनी इस खोज में वह पेड़-पौधों और जानवरों का एक ऐसे वातवरण में अध्ययन करने पाया जो सभ्यता और रिहायशी स्थानों के बढ़ते हुए दायरे से बाहर सीधे परमेश्वर के हाथों से उपलब्ध हुआ था। आगे चलकर जौन ने वन संरक्षण आन्दोलन का नेतृत्व किया और उसके प्रयासों का ही नतीजा था कि अमेरिका में कई राष्ट्रीय उद्यान बने जहां वनस्पति और जानवर संरक्षित रहते हैं और सुरक्षित विचरण कर सकते हैं, फल-फूल सकते हैं।

   परमेश्वर का ज्ञान हमें बाइबल से प्राप्त होता है इसलिए परमेश्वर में रुचि रखने वालों के लिए बाइबल का अध्ययन अनिवार्य है। बाइबल से ही हम सीखते हैं कि परमेश्वर ने अपने अन्देखे गुण अपनी सृष्टि में प्रगट किए हैं, इसलिए परमेश्वर की सृष्टि का अध्ययन और उसकी देखभाल भी परमेश्वर से प्रेम रखने वालों के लिए आवश्यक है। सृष्टि परमेश्वर की एक और पुस्तक है जहाँ शब्द और अक्षर नहीं वरन परमेश्वर की कारीगरी उसके गुणों का बयान करती है।

   परमेश्वर की दोनों पुस्तकों, बाइबल और सृष्टि, को अपने जीवन का अभिन्न अंग बना लीजिए, उनका अध्ययन और पालन करते रहिए; आपका जीवन आशीषित हो जाएगा। - डेनिस फिशर


सृष्टि रूपी परमेश्वर की पुस्तक से हम अनेक बहुमूल्य पाठ सीख सकते हैं।

क्योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहां तक कि वे निरुत्तर हैं। - रोमियों 1:20

बाइबल पाठ: रोमियों 1:18-24
Romans 1:18 परमेश्वर का क्रोध तो उन लोगों की सब अभक्ति और अधर्म पर स्वर्ग से प्रगट होता है, जो सत्य को अधर्म से दबाए रखते हैं। 
Romans 1:19 इसलिये कि परमेश्वर के विषय का ज्ञान उन के मनों में प्रगट है, क्योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रगट किया है। 
Romans 1:20 क्योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहां तक कि वे निरुत्तर हैं। 
Romans 1:21 इस कारण कि परमेश्वर को जानने पर भी उन्होंने परमेश्वर के योग्य बड़ाई और धन्यवाद न किया, परन्तु व्यर्थ विचार करने लगे, यहां तक कि उन का निर्बुद्धि मन अन्धेरा हो गया। 
Romans 1:22 वे अपने आप को बुद्धिमान जताकर मूर्ख बन गए। 
Romans 1:23 और अविनाशी परमेश्वर की महिमा को नाशमान मनुष्य, और पक्षियों, और चौपायों, और रेंगने वाले जन्तुओं की मूरत की समानता में बदल डाला।
Romans 1:24 इस कारण परमेश्वर ने उन्हें उन के मन के अभिलाषाओं के अुनसार अशुद्धता के लिये छोड़ दिया, कि वे आपस में अपने शरीरों का अनादर करें।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 1-4