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गुरुवार, 30 सितंबर 2021

परमेश्वर का वचन, बाइबल – पाप और उद्धार - 36


पाप का समाधान - उद्धार - 32 - कुछ संबंधित प्रश्न और उनके उत्तर (5)

       पिछले 4 लेखों में हम प्रभु यीशु मसीह में विश्वास द्वारा मिलने वाली पापों की क्षमा, उद्धार, और नया जन्म पाने से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण और सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नों को देखते आ रहे हैं। पिछले लेख में हमने देखा था कि एक मसीही विश्वासी भी, उद्धार पाने के बावजूद, पाप कर सकता है, और करता भी है। किन्तु साथ ही उसे उस पाप से निकालने और आगे बढ़ने के लिए परमेश्वर की सहायता भी उपलब्ध रहती है; और यदि कोई व्यक्ति लापरवाही से जीने और पाप करते चले जाने के लिए परमेश्वर की इस सहायता एवं उदारता का दुरुपयोग करने का प्रयास करता है, तो फिर उसे परमेश्वर की ताड़ना का भी सामना करना पड़ता है, और साथ ही स्वर्ग में उसे मिलने वाले प्रतिफलों की भी हानि होती है। अर्थात, न तो पाप को और न ही उद्धार के अनन्तकालीन होने को लापरवाही से लिया जा सकता है; क्योंकि चाहे उद्धार न भी जाए किन्तु देर-सवेर पाप करते रहने वाले व्यक्ति को पाप के दुष्परिणामों को भुगतना ही पड़ेगा, इस संसार में भी और परलोक में भी। आज इसी शृंखला में हम एक और महत्वपूर्ण प्रश्न को देखेंगे:

प्रश्न: क्या उद्धार पा लेने, प्रभु यीशु मसीह का शिष्य बन जाने से व्यक्ति संसार के दुख-तकलीफों, बीमारियों, समस्याओं, आदि से मुक्त हो जाता है, और सांसारिक समस्याओं से निश्चिंत होकर जीवन जीने लगता है?

उत्तर: यद्यपि बहुत से लोग अपने सुसमाचार प्रचार में इस बात का आश्वासन देते हैं, किन्तु, परमेश्वर के वचन बाइबल में ऐसा कोई आश्वासन नहीं दिया गया है; और न ही प्रभु यीशु ने कभी अपने शिष्यों से यह कहा कि उनपर विश्वास लाने वाले को सांसारिक समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा, और उनका जीवन सुख एवं समृद्धि से भर जाएगा। जो भी इस प्रकार की शिक्षा या प्रचार के साथ उद्धार का सुसमाचार सुनाते हैं, वे गलत प्रचार करते हैं, लोगों को ऐसा आश्वासन देते हैं जिसका बाइबल में कोई समर्थन नहीं है, और पापों के परिणामों की गंभीरता तथा प्रभु यीशु द्वारा उपलब्ध करवाए गए पापों के समाधान की महानता के आधार पर नहीं, वरन सांसारिक बातों के लालच में लाकर लोगों को प्रभु यीशु मसीह की ओर आकर्षित करने और उनका अनुसरण करवाने के प्रयास करते हैं। 

       जब प्रभु यीशु ने अपने शिष्यों को उनकी पहली प्रचार सेवकाई के लिए भेजा था (मत्ती 10 अध्याय), तब ही उन्हें उन कठिन और दुखदायी परिस्थितियों के लिए आगाह कर दिया था जिनका उन्हें इस सेवकाई के निर्वाह में सामना करना होगा:

  • वे पकड़े जाएंगे और दण्ड के लिए अधिकारियों के सामने खड़े किए जाएंगे (10:16-20)
  • उनके अपने घर के लोग और निकट संबंधी उनके शत्रु हो जाएंगे (10:21)
  • उन्हें लोगों के बैर का सामना करना पड़ेगा (10:22)
  • उन्हें इस बैर और सताव से बचने के लिए एक से दूसरे स्थान पर भागना पड़ेगा (10:23)

       प्रभु ने यह भी कहा कि जो उनका शिष्य बनना चाहता है उसे प्रतिदिन अपना क्रूस उठाकर उसके पीछे चलने को तैयार रहना चाहिएउसने सब से कहा, यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आप से इनकार करे और प्रति दिन अपना क्रूस उठाए हुए मेरे पीछे हो ले” (लूका 9:23)। उन दिनों में क्रूस उठाकर वह व्यक्ति जाता था जिसे मृत्यु-दण्ड दिया गया है, और देखने वाले उसे देख कर समझ जाते थे कि यह अपराधी है, और अब यह नहीं, इसकी लाश ही लौटेगी। प्रभु का शिष्यों से प्रतिदिन क्रूस उठकर उसके पीछे चलने का निर्णय लेने से अभिप्राय था, प्रतिदिन उसके शिष्य होने के कारण सताए जाने और मारे जाने के लिए तैयार रहना। अपने पकड़वाए जाने से पहले भी प्रभु यीशु ने शिष्यों को सचेत किया, “वे तुम्हें आराधनालयों में से निकाल देंगे, वरन वह समय आता है, कि जो कोई तुम्हें मार डालेगा वह समझेगा कि मैं परमेश्वर की सेवा करता हूं” (यूहन्ना 16:2)। तो फिर प्रभु की इन शिक्षाओं के समक्ष कोई यह कैसे दावा कर सकता है कि प्रभु यीशु की शिष्यता का जीवन समस्याओं तथा परेशानियों से मुक्त एक आराम और सुरक्षा का जीवन होगा?

       बाद में प्रभु के शिष्यों ने भी मसीही विश्वास के जीवन के विषय इन्हीं बातों को दोहराया:

  • प्रेरितों 14:22 और चेलों के मन को स्थिर करते रहे और यह उपदेश देते थे, कि हमें बड़े क्लेश उठा कर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना होगा
  • 2 तीमुथियुस 3:12 पर जितने मसीह यीशु में भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे
  • 1 यूहन्ना 2:18 हे लड़कों, यह अन्तिम समय है, और जैसा तुम ने सुना है, कि मसीह का विरोधी आने वाला है, उसके अनुसार अब भी बहुत से मसीह के विरोधी उठे हैं; इस से हम जानते हैं, कि यह अन्तिम समय है
  • 1 यूहन्ना 3:13 हे भाइयों, यदि संसार तुम से बैर करता है तो अचम्भा न करना
  • 1 पतरस 4:12 हे प्रियो, जो दुख रूपी अग्नि तुम्हारे परखने के लिये तुम में भड़की है, इस से यह समझ कर अचम्भा न करो कि कोई अनोखी बात तुम पर बीत रही है
  • याकूब 1:2-3 हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो, यह जान कर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्पन्न होता है

       और भी अनेकों पद हैं जो यह दिखाते हैं कि मसीही जीवन संघर्ष का और संसार के लोगों के बैर और विरोध का निरंतर सामना करते रहने का जीवन है; और जो भी प्रभु यीशु के पीछे चलना चाहता है, उसे यह सब सहने के लिए तैयार रहना चाहिए। किन्तु साथ ही प्रत्येक मसीही विश्वासी को यह परमेश्वर से आश्वासन भी है कि उसकी प्रत्येक परिस्थिति में प्रभु उसके साथ होगा, उसे समझ, शक्ति, और शांति देगा कि वह उन परिस्थितियों का सामना कर सकेमैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि तुम्हें मुझ में शान्ति मिले; संसार में तुम्हें क्लेश होता है, परन्तु ढाढ़स बांधो, मैं ने संसार को जीत लिया है” (यूहन्ना 16:33), और उसे उन सब में से भी सुरक्षित निकाल कर लाएगा, और अंततः सब बातें मिलकर प्रभु के जन के लिए भलाई ही को उत्पन्न करेंगीऔर हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं” (रोमियों 8:28) 

       पूरा नया नियम इस बात का गवाह है कि प्रभु यीशु मसीह के शिष्यों को हर स्थान पर, अपनी सारी सेवकाई के दिनों में बहुत से दुखों, क्लेशों, और सताव का सामना करना पड़ा है। जीवन कभी भी उनके लिए सहज और सरल नहीं रहा; वरन जिनके मध्य में होकर उन्होंने प्रभु की सेवकाई की और जिन लोगों की भलाई की, उन्हीं में से उनके बैरियों-विरोधियों ने निकलकर उनके लिए बहुत परेशानियाँ उत्पन्न कीं। किन्तु फिर भी जिसने एक बार प्रभु के प्रेम, कृपा, अनुग्रह, और उद्धार के स्वाद को चख लिया, एक बार जिसने प्रभु की शान्ति और आशीष को अपने जीवन में तमाम कठिनाइयों और मुसीबतों के मध्य में अनुभव कर लिया, जिसने एक बार प्रभु यीशु मसीह की वास्तविकता और खराई को पहचान लिया, फिर संसार के ये क्लेश उसके लिए निराश का नहीं, वरन उस अद्भुत, उत्तम स्वर्गीय आशा का प्रमाण बन गए, जो परमेश्वर ने उसके लिए रखी हुई है, और उस उत्तम आशीष की लालसा रखते हुए वे इन सभी बातों को सहर्ष सहन कर लेते हैंक्योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्लेश हमारे लिये बहुत ही महत्वपूर्ण और अनन्त महिमा उत्पन्न करता जाता है। और हम तो देखी हुई वस्तुओं को नहीं परन्तु अनदेखी वस्तुओं को देखते रहते हैं, क्योंकि देखी हुई वस्तुएं थोड़े ही दिन की हैं, परन्तु अनदेखी वस्तुएं सदा बनी रहती हैं” (2 कुरिन्थियों 4:17-18)। फिर शारीरिक चंगाई का उसके लिए कोई विशेष महत्व नहीं है, क्योंकि वह व्यक्ति जानता है कि एक दिन तो शरीर ने मिटना ही है; और जो भी रोग या अस्वस्थता उसमें है, प्रभु उसमें भी उसकी सहायता करेगा, उसे आशीष देगाऔर उसने मुझ से कहा, मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ्य निर्बलता में सिद्ध होती है; इसलिये मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्ड करूंगा, कि मसीह की सामर्थ्य मुझ पर छाया करती रहे। इस कारण मैं मसीह के लिये निर्बलताओं, और निन्‍दाओं में, और दरिद्रता में, और उपद्रवों में, और संकटों में, प्रसन्न हूं; क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूं, तभी बलवन्‍त होता हूं” (2 कुरिन्थियों 12:9-10)

       किसी भी मसीही विश्वासी को इन परिस्थितियों से घबराने की आवश्यकता नहीं है, “...क्योंकि उसने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा। इसलिये हम बेधड़क हो कर कहते हैं, कि प्रभु, मेरा सहायक है; मैं न डरूंगा; मनुष्य मेरा क्या कर सकता है” (इब्रानियों 13:5-6), और साथ ही प्रभु का अपने विश्वासियों, अपने शिष्यों के लिए यह भी आश्वासन है कि उन्हें उनके सहने की सीमा से बाहर कभी किसी परीक्षा का सामना नहीं करना पड़ेगा तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने से बाहर है: और परमेश्वर सच्चा है: वह तुम्हें सामर्थ्य से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको” (1 कुरिन्थियों 10:13)। शैतान और उसके लोग तो हमें निराश करने और गिराने, विश्वास से भटकाने, प्रभु पर संदेह करने के लिए बहुत से प्रयास करेंगे। इसलिए शैतान के द्वारा फैलाई जा रही इन बातों पर ध्यान मत दीजिए। प्रभु के आपके प्रति प्रमाणित किए गए प्रेम, कृपा, और अनुग्रह, तथा उसके द्वारा आपको प्रदान किए जा रहे पाप-क्षमा प्राप्त करने के अवसर के मूल्य को समझिए, और अभी इस अवसर का लाभ उठा लीजिए। आपके द्वारा स्वेच्छा से, सच्चे और पूर्णतः समर्पित मन से, अपने पापों के प्रति सच्चे पश्चाताप के साथ आपके द्वारा की गई एक छोटी प्रार्थना, “हे प्रभु यीशु मैं मान लेता हूँ कि मैंने जाने-अनजाने में, मन-ध्यान-विचार और व्यवहार में आपकी अनाज्ञाकारिता की है, पाप किए हैं। मैं मान लेता हूँ कि आपने क्रूस पर दिए गए अपने बलिदान के द्वारा मेरे पापों के दण्ड को अपने ऊपर लेकर पूर्णतः सह लिया, उन पापों की पूरी-पूरी कीमत सदा काल के लिए चुका दी है। कृपया मेरे पापों को क्षमा करें, मेरे मन को अपनी ओर परिवर्तित करें, और मुझे अपना शिष्य बना लें, अपने साथ कर लेंआपका सच्चे मन से लिया गया मन परिवर्तन का यह निर्णय आपके इस जीवन तथा परलोक के जीवन को आशीषित तथा स्वर्गीय जीवन बना देगा। अभी अवसर है, अभी प्रभु का निमंत्रण आपके लिए है - उसे स्वीकार कर लीजिए।  

 

बाइबल पाठ: इब्रानियों 11:32-40 

इब्रानियों 11:32 अब और क्या कहूँ क्योंकि समय नहीं रहा, कि गिदोन का, और बाराक और समसून का, और यिफतह का, और दाऊद का और शामुएल का, और भविष्यद्वक्ताओं का वर्णन करूं।

इब्रानियों 11:33 इन्होंने विश्वास ही के द्वारा राज्य जीते; धर्म के काम किए; प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएं प्राप्त की, सिंहों के मुंह बन्द किए।

इब्रानियों 11:34 आग की ज्वाला को ठंडा किया; तलवार की धार से बच निकले, निर्बलता में बलवन्‍त हुए; लड़ाई में वीर निकले; विदेशियों की फौजों को मार भगाया।

इब्रानियों 11:35 स्त्रियों ने अपने मरे हुओं को फिर जीवते पाया; कितने तो मार खाते खाते मर गए; और छुटकारा न चाहा; इसलिये कि उत्तम पुनरुत्थान के भागी हों।

इब्रानियों 11:36 कई एक ठट्ठों में उड़ाए जाने; और कोड़े खाने; वरन बान्धे जाने; और कैद में पड़ने के द्वारा परखे गए।

इब्रानियों 11:37 पत्थरवाह किए गए; आरे से चीरे गए; उन की परीक्षा की गई; तलवार से मारे गए; वे कंगाली में और क्लेश में और दुख भोगते हुए भेड़ों और बकिरयों की खालें ओढ़े हुए, इधर उधर मारे मारे फिरे।

इब्रानियों 11:38 और जंगलों, और पहाड़ों, और गुफाओं में, और पृथ्वी की दरारों में भटकते फिरे।

इब्रानियों 11:39 संसार उन के योग्य न था: और विश्वास ही के द्वारा इन सब के विषय में अच्छी गवाही दी गई, तौभी उन्हें प्रतिज्ञा की हुई वस्तु न मिली।

इब्रानियों 11:40 क्योंकि परमेश्वर ने हमारे लिये पहिले से एक उत्तम बात ठहराई, कि वे हमारे बिना सिद्धता को न पहुंचे।

 

एक साल में बाइबल:

· यशायाह 9-10  

· इफिसियों 3