मेरे
पिता का जीवन लालसा से भरा जीवन था। उनकी लालसा थी कि वे संपूर्ण हो जाएँ; पार्किन्सन की
बीमारी उनके मस्तिष्क और शरीर को धीरे-धीरे और भी अपांग करती चली जा रही थी।
उन्हें शान्ति की लालसा रहती थी; परन्तु उन्हें गहन निराशा की पीड़ाओं को झेलना पड़ता
था। उनकी बहुत लालसा थी कि वे किसी के साथ का, तथा प्रेम और दुलार का
अनुभव करें; परन्तु अकसर अपने आप को बिलकुल अकेला ही अनुभव करते थे।
जब
वे परमेश्वर के वचन बाइबल में से भजन 42 को पढ़ते थे, जो उनका मनपसंद भजन था, तब वे अपने आप को
उतना अकेला अनुभव नहीं करते थे। मेरे पिता के समान ही, भजनकार को भी चंगाई की गहन
लालसा और प्यास थी (पद 1, 2)। मेरे पिता के समान ही भजनकार भी ऐसी उदासी का अनुभव
रखता था जो कभी गई ही नहीं (पद 3), जिसके कारण भरपूर आनन्द का जीवन एक बहुत दूर की
याद लगता था (पद 6)। जैसे मेरे पिता को लगता था, कि गड़बड़ी और पीड़ा की लहरें उन्हें
डुबा दे रही हैं (पद 7), वैसे ही भजनकार को भी लगा कि परमेश्वर ने उसे त्याग दिया
है, और मेरे पिता के समान ही उसने भी प्रश्न किया “क्यों?” (पद 9)।
और
भजन 42 के शब्द उन्हें ढाढ़स और सांत्वना देते थे कि वे अकेले नहीं हैं, तब मेरे
पिता को लगता था कि उनकी पीड़ा के साथ ही उनके अन्दर एक शान्ति भी है। उन्हें एक
कोमल आवाज़ अनुभव होती थी, जो उन्हें घेरे हुए है, जो उन से कह रही है कि
चाहे अभी उनके पास इन बातों के कोई उत्तर नहीं हैं, यद्यपि इन परेशानियों की लहरी
अभी भी उन पर प्रहार करती हैं, किन्तु प्रभु परमेश्वर उन से बहुत प्रेम करता है, उनके साथ हमेशा
बना रहता है (पद 8)।
और
रात के बेचैनी में, परमेश्वर के प्रेम गीत, भजन 42 के शब्द, उन्हें शान्ति देते
थे; उन्हें उस आने वाली आशा, प्रेम, और आनन्द की धैर्य के साथ प्रतीक्षा करने, और
उस प्रातः की बाट जोहने को उभारते थे जब अन्ततः उनकी सभी लालसाएँ पूरी हो जाएँगी (पद
5, 11)। - मोनिका ब्रैंड्स
प्रातः की प्रतीक्षा करते समय, हम परमेश्वर के
प्रेम गीत में आश्वस्त और शांत रह सकते हैं।
फिर मैं ने सिंहासन में से किसी को ऊंचे शब्द से यह कहते
सुना, कि देख, परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के
बीच में है; वह उन के साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्वर आप उन के साथ रहेगा; और उन का परमेश्वर होगा। और
वह उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं। - प्रकाशितवाक्य
21:3-4
बाइबल पाठ: भजन 42:1-11
भजन संहिता 42:1 जैसे हरिणी नदी के जल के लिये हांफती है, वैसे ही, हे परमेश्वर, मैं तेरे लिये हांफता हूं।
भजन संहिता 42:2 जीवते ईश्वर परमेश्वर का मैं प्यासा हूं, मैं कब जा कर परमेश्वर को अपना
मुंह दिखाऊंगा?
भजन संहिता 42:3 मेरे आंसू दिन और रात मेरा आहार हुए हैं; और लोग दिन भर मुझ से कहते रहते
हैं, तेरा परमेश्वर कहां
है?
भजन संहिता 42:4 मैं भीड़ के संग जाया करता था, मैं जयजयकार और धन्यवाद के साथ
उत्सव करने वाली भीड़ के बीच में परमेश्वर के भवन को धीरे धीरे जाया करता था; यह स्मरण कर के मेरा प्राण शोकित
हो जाता है।
भजन संहिता 42:5 हे मेरे प्राण, तू क्यों गिरा जाता है? और तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? परमेश्वर पर आशा लगाए रह; क्योंकि मैं उसके दर्शन से उद्धार
पाकर फिर उसका धन्यवाद करूंगा।
भजन संहिता 42:6 हे मेरे परमेश्वर; मेरा प्राण मेरे भीतर गिरा जाता है, इसलिये मैं यर्दन के पास के
देश से और हर्मोन के पहाड़ों और मिसगार की पहाड़ी के ऊपर से तुझे स्मरण करता हूं।
भजन संहिता 42:7 तेरी जलधाराओं का शब्द सुनकर जल, जल को पुकारता है; तेरी सारी तरंगों और लहरों में
मैं डूब गया हूं।
भजन संहिता 42:8 तौभी दिन को यहोवा अपनी शक्ति और करुणा प्रगट करेगा; और रात को भी मैं उसका गीत गाऊंगा, और अपने जीवन दाता ईश्वर से
प्रार्थना करूंगा।
भजन संहिता 42:9 मैं ईश्वर से जो मेरी चट्टान है कहूंगा, तू मुझे क्यों भूल गया? मैं शत्रु के अन्धेर के मारे
क्यों शोक का पहिरावा पहने हुए चलता फिरता हूं?
भजन संहिता 42:10 मेरे सताने वाले जो मेरी निन्दा करते हैं मानो उस में
मेरी हड्डियां चूर चूर होती हैं, मानो कटार से छिदी जाती हैं, क्योंकि वे दिन भर मुझ से कहते रहते हैं, तेरा परमेश्वर कहां है?
भजन संहिता 42:11 हे मेरे प्राण तू क्यों गिरा जाता है? तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल
है? परमेश्वर पर भरोसा रख; क्योंकि वह मेरे मुख की चमक
और मेरा परमेश्वर है, मैं फिर उसका धन्यवाद
करूंगा।
एक साल में बाइबल:
- उत्पत्ति 36-38
- मत्ती 10:21-42