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बुधवार, 14 अप्रैल 2021

आशा

 

          क्या सूर्य पूर्व में उदय होता है? क्या आकाश का रंग नीला होता है? क्या समुद्र का पानी नमकीन होता है? क्या कोबाल्ट का एटॉमिक वज़न 58.9 होता है? हाँ; ठीक है! इस अंतिम प्रश्न का उत्तर उन्हें ही पता होगा जो या तो विज्ञान में बहुत रुचि रखते हैं, या फिर इधर-उधर की जानकारी एकत्रित करते रहते हैं। लेकिन प्रकट है कि अन्य सभी प्रश्नों का एक ही उत्तर है, हाँ! बहुधा इस प्रकार के प्रश्नों में एक ताना मारने की झलक भी मिलती है।

          यदि हम सावधान न रहें तो हमारे आधुनिक, और कुछ बिगड़े हुए कानों को परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रभु यीशु मसीह द्वारा एक अपांग व्यक्ति से किए गए प्रश्न “क्या तू चंगा होना चाहता है?” (यूहन्ना 5:6) में भी ऐसा ही ताना मारना प्रतीत हो सकता है। प्रकट है कि उस अपांग व्यक्ति का उत्तर होता, “क्या तुम मेरे साथ मज़ाक कर रहे हो? मैं यहाँ पर पिछले अड़तीस वर्षों से चंगा होने के लिए किसी की सहायता की प्रतीक्षा कर रहा हूँ!” लेकिन प्रभु के इस प्रश्न में कोई उपहास नहीं है; ऐसा सोचना सर्वथा गलत होगा। प्रभु यीशु की वाणी सदा ही कृपा और अनुग्रह से भरी होती है, और उसके सभी प्रश्न सदा ही हमारी भलाई के लिए ही पूछे जाते हैं।

          प्रभु यीशु जानते थे कि वह मनुष्य चंगा होना चाहता है। वे उसके बारे में यह भी जानते थे कि बहुत लम्बे समय से किसी ने उससे सहायता देने के लिए नहीं कहा था। लेकिन ईश्वरीय आश्चर्यकर्म को करने से पहले वह उसके अन्दर उस आशा को फिर से जगाना चाहते थे जो इतने वर्षों की उपेक्षा सहते हुए ठण्डी पड़ चुकी थी। इसीलिए प्रभु ने उससे यह प्रश्न पूछा और फिर उसे प्रतिक्रिया देने के लिए अवसर दिया; उससे कहा,अपनी खाट उठा कर चल फिर” (पद 8)।

          हम भी उस अपांग व्यक्ति के समान ही हैं। हम सभी के मनों में ऐसे स्थान हैं जहाँ हमारी आशा ठण्डी पड़ चुकी है। प्रभु हमें देखता है, हमारी मनोभावनाओं को देखता है, और हमें अपने अनुग्रह और कृपा में होकर अपने निकट बुलाता है, हम में आशा को फिर से जागृत करता है, कि हम उसमें विश्वास करें, और उससे अपने समाधान प्राप्त करें। - जॉन ब्लेज़

 

हे प्रभु अपने में मेरी आशा और आनन्द को फिर से जागृत कर दे।


हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो; और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूं: और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे। - मत्ती 11:28-29

बाइबल पाठ: यूहन्ना 5:1-8

यूहन्ना 5:1 इन बातों के पीछे यहूदियों का एक पर्व हुआ और यीशु यरूशलेम को गया।।

यूहन्ना 5:2 यरूशलेम में भेड़-फाटक के पास एक कुण्ड है जो इब्रानी भाषा में बैतहसदा कहलाता है, और उसके पांच ओसारे हैं।

यूहन्ना 5:3 इन में बहुत से बीमार, अन्धे, लंगड़े और सूखे अंग वाले (पानी के हिलने की आशा में) पड़े रहते थे।

यूहन्ना 5:4 (क्योंकि नियुक्ति समय पर परमेश्वर के स्वर्गदूत कुण्ड में उतरकर पानी को हिलाया करते थे: पानी हिलते ही जो कोई पहिले उतरता वह चंगा हो जाता था चाहे उसकी कोई बीमारी क्यों न हो।)

यूहन्ना 5:5 वहां एक मनुष्य था, जो अड़तीस वर्ष से बीमारी में पड़ा था।

यूहन्ना 5:6 यीशु ने उसे पड़ा हुआ देखकर और जानकर कि वह बहुत दिनों से इस दशा में पड़ा है, उस से पूछा, क्या तू चंगा होना चाहता है?

यूहन्ना 5:7 उस बीमार ने उसको उत्तर दिया, कि हे प्रभु, मेरे पास कोई मनुष्य नहीं, कि जब पानी हिलाया जाए, तो मुझे कुण्ड में उतारे; परन्तु मेरे पहुंचते पहुंचते दूसरा मुझ से पहिले उतर पड़ता है।

यूहन्ना 5:8 यीशु ने उस से कहा, उठ, अपनी खाट उठा कर चल फिर।

 

एक साल में बाइबल: 

  • 1 शमूएल 25-26
  • लूका 12:32-59