सन 1962 में जॉन ग्लेन प्रथम अमेरीकी अंतरिक्ष यात्री बने और इतिहास की पुस्तकों में उनका नाम दर्ज हो गया। जब उनके रॉकेट ने उड़ान भरना आरंभ किया तब धरती पर नियंत्रण कक्ष से उन्हें कहा गया, "गौडस्पीड, जॉन ग्लेन" अर्थात "परमेश्वर तुम्हें सफल करे, जॉन ग्लेन"। आज हमें यह शब्द "गौडस्पीड" बहुत कम ही प्रयुक्त होते मिलता है, लेकिन परमेश्वर के वचन बाइबल में इसका प्रयोग है।
प्रभु यीशु के चेले यूहन्ना ने अपनी दूसरी पत्री में लिखा: "यदि कोई तुम्हारे पास आए, और यही शिक्षा न दे, उसे न तो घर मे आने दो, और न नमस्कार करो" (2 यूहन्ना 1:10)। जिस शब्द का अनुवाद "नमस्कार" हुआ है, उसका अर्थ है "आशीष देना" और उसे अंग्रज़ी में "गौडस्पीड" भी अनुवादित किया गया है।
प्रेरित यूहन्ना को "प्रेम का प्रेरित" भी कहा गया है; तो फिर यह प्रेम का प्रेरित मसीही विश्वासियों को किसी अन्य जन को आशीष देने से क्यों रोक रहा है? मसीही मण्डलियों के आरंभिक समय में भ्रमणकारी मसीही प्रचारक उस स्थान के मसीही विश्वासियों के आतिथ्य पर निर्भर हुआ करते थे - उनके रहने, खाने-पीने, देख-भाल, और फिर आगे दूसरे स्थान पर प्रचार के लिए भेजने का कार्य स्थानीय मसीही विश्वासी लोग किया करते थे। यूहन्ना यहाँ अपनी पत्री के द्वारा मसीही विश्वासियों को आगाह कर रहा है कि वे मसीही विश्वास के सत्य के विषय में सचेत रहें, और किसी गलत शिक्षा के प्रचार या प्रसार में अनजाने में भी सहभागी ना बनें। इसलिए यदि कोई भ्रमणकारी प्रचारक आए और प्रभु यीशु तथा उनके चेलों, अर्थात प्रेरितों, द्वारा दी गई शिक्षाओं से कुछ भिन्न बात कहे या सिखाए, तो उन मसीही विश्वासियों द्वारा उसे अपने घर ठहराने तथा उसकी देख-रेख आदि द्वारा उसे किसी प्रकार की सहायाता प्रदान नहीं करी जाए, अन्यथा वे उसकी गलत शिक्षाओं के प्रचार और प्रसार में उसके साथ दोषी ठहरेंगे।
यही बात आज भी मसीही विश्वासियों के लिए वैसी ही लागू है। क्योंकि हम मसीही विश्वासी एक दयालु एवं करुणामय परमेश्वर के अनुयायी और सन्तान हैं इसलिए सबके साथ हमें भलाई तो करनी है; लेकिन उनकी सहायता करने के लिए परमेश्वर से समझ-बूझ माँगकर, परमेश्वर के वचन बाइबल के आधार पर उनकी शिक्षाओं की वास्तविक सत्यता पहचान कर ही कोई कदम उठाना चाहिए। सही निर्णय करने में परमेश्वर का पवित्र आत्मा जो हमें सभी सत्य में अगुवाई करता है (यूहन्ना 16:13), हमारी सहायता करेगा, हमारा मार्गदर्शन करेगा कि हमें किसकी सहायता कितनी और कैसे करनी है। - डेनिस फिशर
परमेश्वर का आत्मा, परमेश्वर के वचन द्वारा परमेश्वर संबंधित सत्य और असत्य को पहचानने की सूझ-बूझ देता है।
परन्तु जब वह अर्थात सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा, परन्तु जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा, और आने वाली बातें तुम्हें बताएगा। - यूहन्ना 16:13
बाइबल पाठ: 2 यूहन्ना 1:1-11
2 John 1:1 मुझ प्राचीन की ओर से उस चुनी हुई श्रीमती और उसके लड़के बालों के नाम जिन से मैं उस सच्चाई के कारण सत्य प्रेम रखता हूं, जो हम में स्थिर रहती है, और सर्वदा हमारे साथ अटल रहेगी।
2 John 1:2 और केवल मैं ही नहीं, वरन वह सब भी प्रेम रखते हैं, जो सच्चाई को जानते हैं।
2 John 1:3 परमेश्वर पिता, और पिता के पुत्र यीशु मसीह की ओर से अनुग्रह, और दया, और शान्ति, सत्य, और प्रेम सहित हमारे साथ रहेंगे।
2 John 1:4 मैं बहुत आनन्दित हुआ, कि मैं ने तेरे कितने लड़के-बालों को उस आज्ञा के अनुसार, जो हमें पिता की ओर से मिली थी सत्य पर चलते हुए पाया।
2 John 1:5 अब हे श्रीमती, मैं तुझे कोई नई आज्ञा नहीं, पर वही जो आरम्भ से हमारे पास है, लिखता हूं; और तुझ से बिनती करता हूं, कि हम एक दूसरे से प्रेम रखें।
2 John 1:6 और प्रेम यह है कि हम उस की आज्ञाओं के अनुसार चलें: यह वही आज्ञा है, जो तुम ने आरम्भ से सुनी है और तुम्हें इस पर चलना भी चाहिए।
2 John 1:7 क्योंकि बहुत से ऐसे भरमाने वाले जगत में निकल आए हैं, जो यह नहीं मानते, कि यीशु मसीह शरीर में हो कर आया: भरमाने वाला और मसीह का विरोधी यही है।
2 John 1:8 अपने विषय में चौकस रहो; कि जो परिश्रम हम ने किया है, उसको तुम न बिगाड़ो: वरन उसका पूरा प्रतिफल पाओ।
2 John 1:9 जो कोई आगे बढ़ जाता है, और मसीह की शिक्षा में बना नहीं रहता, उसके पास परमेश्वर नहीं: जो कोई उस की शिक्षा में स्थिर रहता है, उसके पास पिता भी है, और पुत्र भी।
2 John 1:10 यदि कोई तुम्हारे पास आए, और यही शिक्षा न दे, उसे न तो घर मे आने दो, और न नमस्कार करो।
2 John 1:11 क्योंकि जो कोई ऐसे जन को नमस्कार करता है, वह उस के बुरे कामों में साझी होता है।
एक साल में बाइबल:
- लैव्यवस्था 19-20
- मत्ती 27:51-66