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सोमवार, 9 अप्रैल 2012

सामर्थी भुजाएं

   क्या आपने कभी स्वपन में देखा है कि आप किसी ऊँचाई से या पलंग से गिर रहे हैं, और इससे घबरा कर आप उठ बैठे हों, किंतु अपने आप को सुरक्षित अपने बिसतर पर ही पाया। लड़कपन में मेरे साथ ऐसा बहुत बार हुआ है और फिर मैं भयभीत बैठा रहता था।

   मैंने एक व्यक्ति के बारे में सुना है जिसे सोने के कुछ समय पश्चात ही ऐसा अनुभव होता था। उसे लगता था कि वह मरने पर है और एक अंतहीन के गढ़हे में गिरता ही जा रहा है। वह इस गिरने के एहसास से इतना भयभीत हो जाता था कि फिर उसके लिए सो पाना कठिन हो जाता था।

   एक संध्या जब वह व्यक्ति घूमने निकला, उसका मार्ग एक कब्रिस्तान से होकर निकला। वहां उसने एक कब्र के पत्थर पर खुदा हुआ पढ़ा, "संभालने को सनातन भुजाएं हैं"। यह पढ़ने के बाद उसे अत्यंत शांति मिली क्योंकि उसे चेत आया कि मसीही विश्वासी होने के नाते उसे डरने की कोई आवश्यक्ता नहीं है; मृत्यु के बाद प्रभु अपने लोगों को अपनी भुजाओं में लेकर उन्हें उनके स्वर्गीय घर में ले जाता है। उसे भजनकार का आश्वासन स्मरण हो आया, "चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में होकर चलूं, तौभी हानि से न डरूंगा, क्योंकि तू मेरे साथ रहता है; तेरे सोंटे और तेरी लाठी से मुझे शान्ति मिलती है" (भजन २३:४)।

   अनजाने भविष्य और मृत्यु के भय से ग्रसित उस व्यक्ति ने तसल्ली पाई, भय से छुटकारा पाया क्योंकि अब वह आश्वस्त था कि चाहे सोते या जागते, जीवन में या जीवनोपरांत, वह अपने प्रभु की सनातन सामर्थी भुजाओं में सर्वदा सुरक्षित है। उस प्रेमी प्रभु परमेश्वर की भुजाओं से उसे कोई छीन नहीं सकता, गिरा नहीं सकता और उनके होते हुए कोई उसका कुछ भी नुकसान नहीं कर सकता। उस रात उसने अपने बचपन में सीखा हुआ एक गीत गाया: "मुझे ऐसे जीवन जीना सिखा कि मैं कब्र के प्रति अपनी आशंकाओं को, प्रतिदिन अपने बिस्तर में जाने की आशंकाओं से भी कमतर समझूँ।" अनन्तः वह बिना किसी भय के सो सका।

   प्रभु यीशु की सामर्थी भुजाएं आपके लिए भी खुली हैं, अपने हर भय को उसे सौंप दीजिए और उसकी सनातन भुजाओं की सुरक्षा को अपना लीजिए। - एम.आर. डी हॉन


अन्धेरा हो या उजियाला, आप परमेश्वर पर सदा भरोसा रख सकते हैं।
 
अनादि परमेश्वर तेरा गृहधाम है, और नीचे सनातन भुजाएं हैं। - व्यवस्थाविवरण ३३:२७
 
बाइबल पाठ: भजन ४६
Psa 46:1  परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक।
Psa 46:2  इस कारण हम को कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएं;
Psa 46:3  चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से कांप उठे।
Psa 46:4  एक नदी है जिसकी नहरों से परमेश्वर के नगर में अर्थात् परमप्रधान के पवित्र निवास भवन में आनन्द होता है।
Psa 46:5  परमेश्वर उस नगर के बीच में है, वह कभी टलने का नहीं; पौ फटते ही परमेश्वर उसकी सहायता करता है।
Psa 46:6  जाति जाति के लोग झल्ला उठे, राज्य राज्य के लोग डगमगाने लगे; वह बोल उठा, और पृथ्वी पिघल गई।
Psa 46:7  सेनाओं का यहोवा हमारे संगे है, याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है।
Psa 46:8  आओ, यहोवा के महाकर्म देखो, कि उस ने पृथ्वी पर कैसा कैसा उजाड़ किया है।
Psa 46:9  वह पृथ्वी की छोर तक लड़ाइयों को मिटाता है, वह धनुष को तोड़ता, और भाले को दो टुकड़े कर डालता है, और रथों को आग में झोंक देता है!
Psa 46:10  चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान् हूं, मैं पृथ्वी भर में महान् हूं!
Psa 46:11  सेनाओं का यहोवा हमारे संग है, याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है।
 
एक साल में बाइबल: 
  • १ शमूएल १३-१४ 
  • लूका १०:१-२४