ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

मंगलवार, 18 मार्च 2014

सफलता की फिसलन


   रसायनशास्त्री और लेखक डॉ० ओ० ए० बत्तिस्ता द्वारा लिखित 19,000 से अधिक सूक्तियों में से एक यह बुद्धिमानी भरा कथन है: "जैसे ही आप धन, प्रशंसा और ख्याति में रुचि रखना बन्द कर देते हैं, समझ लीजिए कि आप सफलता की चोटी पर पहुँच गए हैं"। लेकिन दुर्भाग्यवश जब कभी हमारी किसी उपलब्धि की प्रशंसा होती है या हम उसके लिए पुरुस्कृत किए जाते हैं तो इस कथन का बिलकुल विपरीत घटित होने लगता है - एक नम्र हृदय शीघ्र ही अहंकार से फूला मन बन जाता है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल का एक पात्र, इस्त्राएल का प्रथम राजा शाऊल भी इसी रोग का शिकार हुआ था। अपने आरंभ के समय में उसने अपने आप को इस्त्राएल के सबसे छोटे गोत्र के एक महत्वहीन परिवार के एक सदस्य के रूप में देखा था (1 शमूएल 9:21)। लेकिन कुछ ही वर्षों में परमेश्वर द्वारा मिली सफलताओं के कारण उसका मन इतना फूल गया कि उसने अपने सम्मान में एक स्मारक खड़ा करवा लिया और अपने व्यवहार का अन्तिम निर्णय लेने वाला बन गया (1 शमूएल 15:11-12)। परमेश्वर के नबी शमूएल ने राजा शाऊल द्वारा करी गई परमेश्वर की इस अनाज्ञाकारिता के लिए उसका सामना किया और उसे स्मरण दिलाया कि: "शमूएल ने कहा, जब तू अपनी दृष्टि में छोटा था, तब क्या तू इस्राएली गोत्रियों का प्रधान न हो गया, और क्या यहोवा ने इस्राएल पर राज्य करने को तेरा अभिषेक नहीं किया?" (1 शमूएल 15:17)

   जिसे हम सफलता कहते हैं उसकी फिसलन भरी ढलान से फिसल कर विनाश को नीचे चल पड़ने की ओर पहला कदम होता है अभिमान। इस कदम के उठाए जाने का आरंभ तब होता है जब हम परमेश्वर द्वारा हमें दी गई सफलताओं का श्रेय उसे देने के स्थान पर उन्हें अपनी उपलब्धियाँ मान कर वह श्रेय स्वयं लेने लग जाते हैं तथा उसकी आज्ञाओं को अपनी इच्छाओं के अनुसार तोड़ना-मरोड़ना भी आरंभ कर देते हैं।

   सच्ची सफलता तब ही आती है जब हम परमेश्वर की आज्ञाकारिता में दीनता और नम्रता के साथ बने रहते हैं और अपनी नहीं वरन अपने जीवनों और कार्यों द्वारा परमेश्वर की प्रशंसा करते हैं। - डेविड मैक्कैसलैंड।


सच्ची नम्रता हर सफलता का श्रेय परमेश्वर को ही देती है।

इसलिये सावधान रहना, कहीं ऐसा न हो कि अपने परमेश्वर यहोवा को भूलकर उसकी जो जो आज्ञा, नियम, और विधि, मैं आज तुझे सुनाता हूं उनका मानना छोड़ दे; - व्यवस्थाविवरण 8:11

बाइबल पाठ: 1 शमूएल 15:10-23
1 Samuel 15:10 तब यहोवा का यह वचन शमूएल के पास पहुंचा, 
1 Samuel 15:11 कि मैं शाऊल को राजा बना के पछताता हूं; क्योंकि उसने मेरे पीछे चलना छोड़ दिया, और मेरी आज्ञाओं का पालन नहीं किया। तब शमूएल का क्रोध भड़का; और वह रात भर यहोवा की दोहाई देता रहा।
1 Samuel 15:12 बिहान को जब शमूएल शाऊल से भेंट करने के लिये सवेरे उठा; तब शमूएल को यह बताया गया, कि शाऊल कर्म्मेल को आया था, और अपने लिये एक निशानी खड़ी की, और घूमकर गिलगाल को चला गया है। 
1 Samuel 15:13 तब शमूएल शाऊल के पास गया, और शाऊल ने उस से कहा, तुझे यहोवा की ओर से आशीष मिले; मैं ने यहोवा की आज्ञा पूरी की है। 
1 Samuel 15:14 शमूएल ने कहा, फिर भेड़-बकरियों का यह मिमियाना, और गय-बैलों का यह रंभाना जो मुझे सुनाई देता है, यह क्यों हो रहा है? 
1 Samuel 15:15 शाऊल ने कहा, वे तो अमालेकियों के यहां से आए हैं; अर्थात प्रजा के लोगों ने अच्छी से अच्छी भेड़-बकरियों और गाय-बैलों को तेरे परमेश्वर यहोवा के लिये बलि करने को छोड़ दिया है; और बाकी सब को तो हम ने सत्यानाश कर दिया है। 
1 Samuel 15:16 तब शमूएल ने शाऊल से कहा, ठहर जा! और जो बात यहोवा ने आज रात को मुझ से कही है वह मैं तुझ को बताता हूं। उसने कहा, कह दे। 
1 Samuel 15:17 शमूएल ने कहा, जब तू अपनी दृष्टि में छोटा था, तब क्या तू इस्राएली गोत्रियों का प्रधान न हो गया, और क्या यहोवा ने इस्राएल पर राज्य करने को तेरा अभिषेक नहीं किया? 
1 Samuel 15:18 और यहोवा ने तुझे यात्रा करने की आज्ञा दी, और कहा, जा कर उन पापी अमालेकियों को सत्यानाश कर, और जब तक वे मिट न जाएं, तब तक उन से लड़ता रह। 
1 Samuel 15:19 फिर तू ने किस लिये यहोवा की वह बात टालकर लूट पर टूट के वह काम किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है? 
1 Samuel 15:20 शाऊल ने शमूएल से कहा, नि:सन्देह मैं ने यहोवा की बात मानकर जिधर यहोवा ने मुझे भेजा उधर चला, और अमालेकियों को सत्यानाश किया है। 
1 Samuel 15:21 परन्तु प्रजा के लोग लूट में से भेड़-बकरियों, और गाय-बैलों, अर्थात सत्यानाश होने की उत्तम उत्तम वस्तुओं को गिलगाल में तेरे परमेश्वर यहोवा के लिये बलि चढ़ाने को ले आए हैं। 
1 Samuel 15:22 शमूएल ने कहा, क्या यहोवा होमबलियों, और मेलबलियों से उतना प्रसन्न होता है, जितना कि अपनी बात के माने जाने से प्रसन्न होता है? सुन मानना तो बलि चढ़ाने और कान लगाना मेढ़ों की चर्बी से उत्तम है। 
1 Samuel 15:23 देख बलवा करना और भावी कहने वालों से पूछना एक ही समान पाप है, और हठ करना मूरतों और गृहदेवताओं की पूजा के तुल्य है। तू ने जो यहोवा की बात को तुच्छ जाना, इसलिये उसने तुझे राजा होने के लिये तुच्छ जाना है।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 शमूएल 14-16