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मंगलवार, 18 अक्टूबर 2011

थोड़ा भी बहुत है

   लन्डन में एक रात दो प्रचारक असमंजस में थे कि थोड़ी देर में होने के लिए निर्धारित रात्रि की प्रचार सभा को रद्द कर दें या होने दें, क्योंकि मौसम बहुत खराब था और मूसलाधार बारिश पड़ रही थी। फिर भी, बादलों की तेज़ गड़गड़ाहट और मूसलाधार बरिश के बावजूद जब उन्होंने सभा आरंभ करी तो प्रचार सुनने के लिए केवल एक श्रोता वहां उपस्थित था। थोड़ि देर में, एक अन्य व्यक्ति जो वहां मार्ग से हो कर गुज़र रहा था, बारिश से बचने के लिए और अपने आप को थोड़ा सुखा लेने के उद्देश्य से सभा-स्थल में अन्दर आ कर बैठ गया और इस तरह श्रोताओं की संख्या दोगुनी हो गई। अपने आप को सुखा लेने के उद्देश्य से अन्दर आए व्यक्ति ने जब बैठ कर सन्देश सुनना आरंभ किया उस समय प्रचारक अमेरिका महाद्वीप के मूल निवासियों के बीच प्रचार करने वाले सेवकों की आवश्यक्ता के विष्य में सशक्त आग्रह कर रहा था। थोड़ी देर में सभा समाप्त हो गई, और एक प्रचारक ने दूसरे से कहा, "आज रात्रि का यह समय व्यर्थ गया।" लेकिन वह गलत था। मार्ग से गुज़रने वाले और सभा-स्थल में अनायास ही आए उस व्यक्ति ने परमेश्वर की पुकार को सुन लिया था और अपना जीवन उसे समर्पित कर दिया था। महीने भर के अन्दर ही उसने अपना व्यवसाय बेच दिया और अमेरिका के मूल निवासियों के बीच जाकर सेवकाई की तैयारियां करने लगा। वह उत्तरी अमेरिका के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में जाकर ३५ वर्ष तक रहा और वहां के मूल निवासियों के बीच मसीह यीशु के प्रचार की सेवकाई करता रहा।

   जब एक छोटे लड़के ने अपने भोजन - दो मछलियों और पांच रोटियों को प्रभु के हाथ में सौंप दिया, तो प्रभु यीशु ने उसे प्रार्थना कर के बांटना आरंभ कर दिया और वह थोड़ा सा भोजन प्रभु के हाथ में हज़ारों की भीड़ को तृप्त करने का साधन बन गया।

   जब हम अपने छोटे से छोटे कार्य और क्षमताएं उसे निस्वार्थ सौंप देते हैं, तो वे प्रभु के हाथ में बड़े सामर्थी और उपयोगी हो जाते हैं। जब हम अपने विश्वास को परमेश्वर की सामर्थ से जोड़ देते हैं, तो महान सफलताएं अवश्यंभावी हो जाती हैं।

   सच है, यदि परमेश्वर उसमें हो तो थोड़ा भी बहुत होता है। - पौल वैन गोर्डर

छोटी बातों को कभी तुच्छ न जानें; एक दीपक वह कर सकता है जो सूर्य के लिए संभव नहीं - अंधकार में ज्योति का साधन बनना।

क्योंकि किस ने छोटी बातों के दिन तुच्छ जाना है? - ज़कर्याह ४:१०
 
बाइबल पाठ: युहन्ना ६:१-१३
    Joh 6:1  इन बातों के बाद यीशु गलील की झील अर्थात तिबिरियास की झील के पास गया।
    Joh 6:2  और एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली क्योंकि जो आश्‍चर्य कर्म वह बीमारों पर दिखाता था वे उन को देखते थे।
    Joh 6:3  तब यीशु पहाड़ पर चढ़ कर अपने चेलों के साथ वहां बैठा।
    Joh 6:4  और यहूदियों के फसह के पर्ब्‍ब निकट था।
    Joh 6:5  तब यीशु ने अपनी आंखे उठा कर एक बड़ी भीड़ को अपने पास आते देखा, और फिलप्‍पुस से कहा, कि हम इन के भोजन के लिये कहां से रोटी मोल लाएं?
    Joh 6:6  परन्‍तु उस ने यह बात उसे परखने के लिये कही; क्‍योंकि वह आप जानता था कि मैं क्‍या करूंगा।
    Joh 6:7  फिलप्‍पुस ने उस को उत्तर दिया, कि दो सौ दीनार की रोटी उन के लिये पूरी भी न होंगी कि उन में से हर एक को थोड़ी थोड़ी मिल जाए।
    Joh 6:8  उसके चेलों में से शमौन पतरस के भाई अन्‍द्रियास ने उस से कहा।
    Joh 6:9  यहां एक लड़का है जिस के पास जव की पांच रोटी और दो मछिलयां हैं परन्‍तु इतने लोगों के लिये वे क्‍या हैं?
    Joh 6:10  यीशु ने कहा, कि लोगों को बैठा दो। उस जगह बहुत घास थी: तब वे लोग जो गिनती में लगभग पांच हजार के थे, बैठ गए:
    Joh 6:11  तब यीशु ने रोटियां लीं, और धन्यवाद कर के बैठने वालों को बांट दी: और वैसे ही मछिलयों में से जितनी वे चाहते थे बांट दिया।
    Joh 6:12  जब वे खाकर तृप्‍त हो गए तो उस ने अपने चेलों से कहा, कि बचे हुए टुकड़े बटोर लो, कि कुछ फेंका न जाए।
    Joh 6:13  सो उन्‍होंने बटोरा, और जव की पांच रोटियों के टुकड़े जो खाने वालों से बच रहे थे उन की बारह टोकिरयां भरीं।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ५३-५५ 
  • २ थिस्सलुनिकियों १