आँसू, भावनाएं व्यक्त करने में शब्दों से और संबंधों के बनाने में वाचाओं से अधिक सामर्थी होते हैं। सन १९४७ में तत्कालीन अमेरीकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन पड़ौसी देश मेक्सिको के दौरे पर थे और वे वहाँ के एक सैनिक प्रशिक्षण केंद्र पर श्रद्धांजलि देने गए। तब से लगभग सौ वर्ष पूर्व, अमेरीकी सैनिकों ने जब उस स्थान पर कब्ज़ा किया था तो प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण ले रहे सैनिक छात्रों ने भी युद्ध में भाग लिया और उस युद्ध में सभी शहीद हो गए। जब ट्रूमैन उन शहीदों के स्मरण में बने स्मारक पर उनके लिए अपने श्रद्धा सुमन चढ़ा कर और उनके आदर में अपने सर को झुका कर खड़े हुए तो वहाँ उपस्थित सैनिकों की आँखों से आँसू बहने लगे। उस समय पर व्यक्त किए गए इस भावोद्वेग ने दोनो देशों के संबंध को दृढ़ करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मसीही विश्वासी भी अपने सबसे घोर संघर्ष और सबसे उत्तम भावनाएं अपने आँसुओं के माध्यम से प्रकट कर सकते हैं। जब आँसु प्रार्थना और संवेदना के साथ मिलाकर अर्पित करे जाते हैं, तो वे विश्वासी के विश्वास और भावनाओं की सुन्दर अभिव्यक्ति हो जाते हैं।
मुझे कोई संदेह नहीं है कि प्रभु यीशु भी जीवन के सच्चे आनन्दों में आनन्दित होते थे; लेकिन अपने चारों ओर विद्यमान पाप के कारण उत्पन्न दुख से भी वो आहत होते थे। वे बेझिझक अपने मित्र की कब्र पर भी रोए और यरुशलेम के अविश्वास पर भी उनके आँसू बह निकले।
हमारे उद्धाकर्ता के आँसू हमें प्रोतसाहित करते हैं कि हम भी अपने भावों की सच्ची अभिव्यक्ति के लिए आँसू बहाने से न हिचकिचाएं, बिगड़े संबंधों को सुधारने और अवरोधों को दूर करने के लिए हम अपने आँसुओं का पवित्र आत्मा को प्रयोग करने दें।
क्योंकि कठोर, दुखी और अविश्वासी लोगों को यीशु के प्रेम, क्षमा और उद्धार की आवश्यक्ता है, इसलिए हमें उनके लिए परमेश्वर के सन्मुख आँसू बहाने की आवश्यक्ता है। उनके लिए हमारे आँसुओं को देख कर उनके कठोर मन पिघल सकते हैं और वे भी यीशु को ग्रहण करने वाले हो सक्ते हैं। - डेनिस डी हॉन
यदि आँखों में आँसू ना हों तो आत्मा को कोई मेघधनुष दिखाई नहीं देगा।
आनन्द करने वालों के साथ आनन्द करो, और रोने वालों के साथ रोओ। - रोमियों १२:१५
बाइबल पाठ: युहन्ना ११:१७-४४
Joh 11:17 सो यीशु को आकर यह मालूम हुआ कि उसे कब्र में रखे चार दिन हो चुके हैं।
Joh 11:18 बैतनिय्याह यरूशलेम के समीप कोई दो मील की दूरी पर था।
Joh 11:19 और बहुत से यहूदी मरथा और मरियम के पास उन के भाई के विषय में शान्ति देने के लिये आए थे।
Joh 11:20 सो मरथा यीशु के आने का समचार सुनकर उस से भेंट करने को गई, परन्तु मरियम घर में बैठी रही।
Joh 11:21 मरथा ने यीशु से कहा, हे प्रभु, यदि तू यहां होता, तो मेरा भाई कदापि न मरता।
Joh 11:22 और अब भी मैं जानती हूं, कि जो कुछ तू परमेश्वर से मांगेगा, परमेश्वर तुझे देगा।
Joh 11:23 यीशु ने उस से कहा, तेरा भाई जी उठेगा।
Joh 11:24 मरथा ने उस से कहा, मैं जानती हूं, कि अन्तिम दिन में पुनरूत्थान के समय वह जी उठेगा।
Joh 11:25 यीशु ने उस से कहा, पुनरूत्थान और जीवन मैं ही हूं, जा कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा।
Joh 11:26 और जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा, क्या तू इस बात पर विश्वास करती है
Joh 11:27 उस ने उस से कहा, हां हे प्रभु, मैं विश्वास कर चुकी हूं, कि परमेश्वर का पुत्र मसीह जो जगत में आने वाला था, वह तू ही है।
Joh 11:28 यह कह कर वह चली गई, और अपनी बहिन मरियम को चुपके से बुला कर कहा, गुरू यहीं है, और तुझे बुलाता है।
Joh 11:29 वह सुनते ही तुरन्त उठ कर उसके पास आई।
Joh 11:30 (यीशु अभी गांव में नहीं पहुंचा था, परन्तु उसी स्थान में था जहां मरथा ने उस से भेंट की थी।)
Joh 11:31 तब जो यहूदी उसके साथ घर में थे, और उसे शान्ति दे रहे थे, यह देखकर कि मरियम तुरन्त उठके बाहर गई है और यह समझ कर कि वह कब्र पर रोने को जाती है, उसके पीछे हो लिये।
Joh 11:32 जब मरियम वहां पहुंची जहां यीशु था, तो उसे देखते ही उसके पांवों पर गिर के कहा, हे प्रभु, यदि तू यहां होता तो मेरा भाई न मरता।
Joh 11:33 जब यीशु ने उस को और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे रोते हुए देखा, तो आत्मा में बहुत ही उदास हुआ, और घबरा कर कहा, तुम ने उसे कहां रखा है?
Joh 11:34 उन्होंने उस से कहा, हे प्रभु, चल कर देख ले।
Joh 11:35 यीशु के आंसू बहने लगे।
Joh 11:36 तब यहूदी कहने लगे, देखो, वह उस से कैसी प्रीति रखता था।
Joh 11:37 परन्तु उन में से कितनों ने कहा, क्या यह जिस ने अन्धे की आंखें खोलीं, यह भी न कर सका कि यह मनुष्य न मरता?
Joh 11:38 यीशु मन में फिर बहुत ही उदास होकर कब्र पर आया, वह एक गुफा थी, और एक पत्थर उस पर धरा था।
Joh 11:39 यीशु ने कहा पत्थर को उठाओ: उस मरे हुए की बहिन मरथा उस से कहने लगी, हे प्रभु, उस में से अब तो र्दुगंध आती है क्योंकि उसे मरे चार दिन हो गए।
Joh 11:40 यीशु ने उस से कहा, क्या मैं ने तुझ से न कहा कि यदि तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी।
Joh 11:41 तब उन्होंने उस पत्थर को हटाया, फिर यीशु ने आंखें उठा कर कहा, हे पिता, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं कि तू ने मेरी सुन ली है।
Joh 11:42 और मै जानता था, कि तू सदा मेरी सुनता है, परन्तु जो भीड़ आस पास खड़ी है, उन के कारण मैं ने यह कहा, जिस से कि वे विश्वास करें, कि तू ने मुझे भेजा है।
Joh 11:43 यह कह कर उस ने बड़े शब्द से पुकारा, कि हे लाजर, निकल आ।
Joh 11:44 जो मर गया था, वह कफन से हाथ पांव बन्धे हुए निकल आया और उसका मुंह अंगोछे से लिपटा हुआ था; यीशु ने उन से कहा, उसे खोलकर जाने दो।
एक साल में बाइबल:
- यहेजकेल ३-४
- इब्रानियों ११:२०-४०