प्रति वर्ष कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में असाधारण कार्य और छोड़े गए प्रभाव के लिए लोगों को नोबल पुरस्कार दिया जाता है। अर्थ शास्त्र, भौतिक विज्ञान, साहित्य, चिकित्सा, शांति के क्षेत्रों में अभूतपूर्व योगदान के लिए इन क्षेत्रों में कार्य कर रहे प्रतिभाशाली व्यक्तियों को इस परस्कार द्वारा मान्यता दी जाती है। यह पुरस्कार इस बात का सूचक है कि उस व्यक्ति ने अपने कार्य क्षेत्र में वर्षों के प्रशिक्षण, प्रयास, शिक्षा और त्याग द्वारा श्रेष्ठता की एक मिसाल कायम करी है - ये बातें उसके जीवन का वह निवेश रही हैं, जिनके कारण वह अपनी एक अनुपम छाप समाज पर छोड़ सका; ये उसके प्रभाव का स्त्रोत हैं।
आत्मिक रीति से भी लोग समाज पर विलक्षण प्रभाव छोड़ते हैं; उन्हें देखकर हम भी विचार कर सकते हैं कि उनकी आत्मिक सेवा और प्रभाव का स्त्रोत क्या है? कैसे हम भी आत्मिक रूप से उनके समान प्रभावी हो सक्ते हैं? प्रत्येक मसीही विश्वासी के लिए यह व्यक्तिगत रीति से गंभीरता के साथ विचार करने की बात है कि यदि हमें अपने उद्धारकर्ता मसीह यीशु के लिए प्रभावी होना है, तो हमारा निवेश किन बातों में होना चाहिए?
प्रभु यीशु के आरंभिक अनुयायी प्रभु यीशु के साथ समय बिताने के द्वारा प्रभावी हुए। जब प्रभु ने अपने बारह चेले चुने, तो उन चेलों के लिए प्रभु का उद्देश्य था कि वे उसके साथ रहें और उसके लिए उपलब्ध रहें "फिर वह पहाड़ पर चढ़ गया, और जिन्हें वह चाहता था उन्हें अपने पास बुलाया; और वे उसके पास चले आए। तब उस ने बारह पुरूषों को नियुक्त किया, कि वे उसके साथ साथ रहें, और वह उन्हें भेजे, कि प्रचार करें"(मरकुस ३:१३-१४)। आगे चलकर उन चेलों की सेवकाई से इस्त्राएल के धार्मिक अगुवे इस बात को पहचान गए: "जब उन्होंने पतरस और यूहन्ना का हियाव देखा, ओर यह जाना कि ये अनपढ़ और साधारण मनुष्य हैं, तो अचम्भा किया; फिर उन को पहचाना, कि ये यीशु के साथ रहे हैं" (प्रेरितों ४:१३)।
प्रभु यीशु की सेवकाई में प्रशिक्षण और ज्ञान का महत्व अवश्य है, किंतु प्रभु यीशु के साथ बिताए गए समय का कोई विकल्प नहीं है। हमारा कोई ज्ञान, कोई प्रशिक्षण प्रभु यीशु से, उसके साथ बिताए गए समय द्वारा, मिलने वाली सामर्थ और योग्यता का स्थान नहीं ले सकता; और यही सामर्थ तथा योग्यता हमें प्रभु यीशु के लिए प्रभावी कर सकती है। प्रेरितों के कार्य से लिए गए ऊपर उद्वत पद में स्पष्ट है कि उस घटना के समय प्रभु यीशु के चेले पतरस और युहन्ना अनपढ़ और साधारण मनुष्य ही थे, ठीक वैसे ही जैसे वे प्रभु से मिली अपनी बुलाहट के समय थे। किंतु प्रभु यीशु के साथ रहने से अब उनमें एक ऐसी विलक्षण सामर्थ तथा योग्यता आ गई थी जिसके सामने इस्त्राएली समाज के वे प्रशिक्षित और ज्ञानवान धार्मिक अगुवे टिक नहीं सके।
यदि मसीह यीशु के लिए इस संसार में प्रभावी होना है तो परमेश्वर के जीवते वचन मसीह यीशु (यूहन्ना १:१-२) के साथ समय बिताना आरंभ कीजिए। जितना समय आप उसके साथ बिताएंगे, आप उतने ही प्रभावी होने पाएंगे, क्योंकि परमेश्वर का जीवता वचन मसीह यीशु ही हमारे प्रभावी होने का स्त्रोत है। परमेश्वर के वचन के अध्ययन और मनन में अधिक से अधिक समय बिताएं, प्रभाव संसार को अपने आप ही दिखने लगेंगे। - बिल क्राउडर
जीवन में प्रभावी होने के लिए जीवन के स्त्रोत मसीह यीशु के साथ समय व्यतीत करें।
जब उन्होंने पतरस और यूहन्ना का हियाव देखा, ओर यह जाना कि ये अनपढ़ और साधारण मनुष्य हैं, तो अचम्भा किया; फिर उन को पहचाना, कि ये यीशु के साथ रहे हैं। - प्रेरितों ४:१३
बाइबल पाठ: यूहन्ना १५:१-८
Joh 15:1 सच्ची दाखलता मैं हूं; और मेरा पिता किसान है।
Joh 15:2 जो डाली मुझ में है, और नहीं फलती, उसे वह काट डालता है, और जो फलती है, उसे वह छांटता है ताकि और फले।
Joh 15:3 तुम तो उस वचन के कारण जो मैं ने तुम से कहा है, शुद्ध हो।
Joh 15:4 तुम मुझ में बने रहो, और मैं तुम में: जैसे डाली यदि दाखलता में बनी न रहे, तो अपने आप से नहीं फल सकती, वैसे ही तुम भी यदि मुझ में बने न रहो तो नहीं फल सकते।
Joh 15:5 मैं दाखलता हूं: तुम डालियां हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते।
Joh 15:6 यदि कोई मुझ में बना न रहे, तो वह डाली की नाई फेंक दिया जाता, और सूख जाता है, और लोग उन्हें बटोरकर आग में झोंक देते हैं, और वे जल जाती हैं।
Joh 15:7 यदि तुम मुझ में बने रहो, और मेरी बातें तुम में बनी रहें तो जो चाहो मांगो और वह तुम्हारे लिये हो जाएगा।
Joh 15:8 मेरे पिता की महिमा इसी से होती है, कि तुम बहुत सा फल लाओ, तब ही तुम मेरे चेले ठहरोगे।
एक साल में बाइबल:
- होशे १२-१४
- प्रकाशितवाक्य ४