अपने जीवन के अन्तिम दिनों में भी सी. एस. ल्यूईस युवा मसीही विश्वासियों की आत्मिक उन्नति में रुचि रखते थे। अपने देहांत के समय वे अस्वस्थ थे, फिर भी फिलिप नामक एक बच्चे के पत्र का उन्होंने उत्तर दिया। अपने उत्तर में उन्होंने उस बच्चे की लिखने की शैली की प्रशंसा करी, और उससे कहा कि वे यह जानकर बहुत प्रसन्न हैं कि उसने यह समझ लिया है कि नारनिया संबंधित उनकी कहानियों में असलन नाम का सिंह प्रभु यीशु मसीह को दर्शाता है। यह उत्तर लिखने के अगले दिन, ऑक्सफर्ड, इंगलैंड में स्थित उनके घर में, उनके 65वें जन्मदिन से एक सप्ताह पूर्व, ल्यूईस की मृत्यु हो गई।
परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित यूहन्ना ने अपने आत्मिक बच्चों को, अपने अन्तिम वर्षों में, पत्र लिखे। उन पत्रों में हम एक परिपक्व मसीही विश्वासी के आनन्द को देखते हैं, जो अपने युवा आत्मिक बच्चों को प्रोत्साहित कर रहा है कि सत्य और मसीह यीशु के पीछे चलते रहें। यूहन्ना ने लिखा, "मुझे इस से बढ़कर और कोई आनन्द नहीं, कि मैं सुनूं, कि मेरे लड़के-बाले सत्य पर चलते हैं" (3 यूहन्ना 1:4)। चाहे यूहन्ना द्वारा लिखित यह पत्री छोटी ही है, लेकिन इसमें हम उस आनन्द को स्पष्ट देख सकते हैं जो आने वाली पीढ़ी का आत्मिक पालन-पोषण करने, उन्हें संभालने और प्रोत्साहित करने और उन्हें बढ़ता हुआ देखने से आता है।
हर परिपक्व मसीही विश्वासी का यह ध्येय होना चाहिए कि वह मसीही विश्वासियों की अगली पीढ़ी को आत्मिक समझ-बूझ में बढ़ावा दे, समझाए, प्रोत्साहित करे। ऐसा करने के लिए वे विभिन्न तरीके अपना सकते हैं - प्रोत्साहन के कुछ शब्द लिखकर भेजना, उनके साथ प्रार्थना करना, उन्हें अच्छी और सही सलाह देना इत्यादि, जिनके द्वारा वे परमेश्वर के साथ अपनी आत्मिक यात्रा में आगे बढ़ सकते हैं। परिपक्व विश्वासियों द्वारा आत्मिक बच्चों के जीवनों में दिखाई गई रुचि उन बच्चों को परिपक्व होने में बहुत सहायक होगी। - डेनिस फिशर
मार्ग की जानकारी रखने वाले के साथ यात्रा करना यात्रा को बेहतर बना देता है।
यह मनुष्य का पुत्र कौन है? यीशु ने उन से कहा, ज्योति अब थोड़ी देर तक तुम्हारे बीच में है, जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है तब तक चले चलो; ऐसा न हो कि अन्धकार तुम्हें आ घेरे; जो अन्धकार में चलता है वह नहीं जानता कि किधर जाता है। जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है, ज्योति पर विश्वास करो कि तुम ज्योति के सन्तान होओ। ये बातें कहकर यीशु चला गया और उन से छिपा रहा। - यूहन्ना 12:35-36
बाइबल पाठ: 3 यूहन्ना
3 John 1:1 मुझ प्राचीन की ओर से उस प्रिय गयुस के नाम, जिस से मैं सच्चा प्रेम रखता हूं।
3 John 1:2 हे प्रिय, मेरी यह प्रार्थना है; कि जैसे तू आत्मिक उन्नति कर रहा है, वैसे ही तू सब बातों मे उन्नति करे, और भला चंगा रहे।
3 John 1:3 क्योंकि जब भाइयों ने आकर, तेरे उस सत्य की गवाही दी, जिस पर तू सचमुच चलता है, तो मैं बहुत ही आनन्दित हुआ।
3 John 1:4 मुझे इस से बढ़कर और कोई आनन्द नहीं, कि मैं सुनूं, कि मेरे लड़के-बाले सत्य पर चलते हैं।
3 John 1:5 हे प्रिय, जो कुछ तू उन भाइयों के साथ करता है, जो परदेशी भी हैं, उसे विश्वासी की नाईं करता है।
3 John 1:6 उन्होंने मण्डली के साम्हने तेरे प्रेम की गवाही दी थी: यदि तू उन्हें उस प्रकार विदा करेगा जिस प्रकार परमेश्वर के लोगों के लिये उचित है तो अच्छा करेगा।
3 John 1:7 क्योंकि वे उस नाम के लिये निकले हैं, और अन्यजातियों से कुछ नहीं लेते।
3 John 1:8 इसलिये ऐसों का स्वागत करना चाहिए, जिस से हम भी सत्य के पक्ष में उन के सहकर्मी हों।
3 John 1:9 मैं ने मण्डली को कुछ लिखा था; पर दियुत्रिफेस जो उन में बड़ा बनना चाहता है, हमें ग्रहण नहीं करता।
3 John 1:10 सो जब मैं आऊंगा, तो उसके कामों की जो वह कर रहा है सुधि दिलाऊंगा, कि वह हमारे विषय में बुरी बुरी बातें बकता है; और इस पर भी सन्तोष न कर के आप ही भाइयों को ग्रहण नहीं करता, और उन्हें जो ग्रहण करना चाहते हैं, मना करता है: और मण्डली से निकाल देता है।
3 John 1:11 हे प्रिय, बुराई के नहीं, पर भलाई के अनुयायी हो, जो भलाई करता है, वह परमेश्वर की ओर से है; पर जो बुराई करता है, उसने परमेश्वर को नहीं देखा।
3 John 1:12 देमेत्रियुस के विषय में सब ने वरन सत्य ने भी आप ही गवाही दी: और हम भी गवाही देते हैं, और तू जानता है, कि हमारी गवाही सच्ची है।
3 John 1:13 मुझे तुझ को बहुत कुछ लिखना तो था; पर सियाही और कलम से लिखना नहीं चाहता।
3 John 1:14 पर मुझे आशा है कि तुझ से शीघ्र भेंट करूंगा: तब हम आम्हने साम्हने बातचीत करेंगे: तुझे शान्ति मिलती रहे। यहां के मित्र तुझे नमस्कार करते हैं: वहां के मित्रों से नाम ले ले कर नमस्कार कह देना।
एक साल में बाइबल:
- ज़कर्याह 9-12
- प्रकाशितवाक्य 20