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शनिवार, 27 अक्तूबर 2018

विचार



      परमेश्वर के वचन बाइबल में गिनती 33 एक ऐसा अध्याय है जिस पर हम बिना मनन किए आगे बढ़ जाते होंगे। यह अध्याय इस्राएल के मिस्र से निकलकर मोआब के मैदान तक आने की यात्रा के पड़ावों की लंबी सूची है। परन्तु अवश्य ही यह महतवपूर्ण होगा, क्योंकि गिनती की पुस्तक का यही एकमात्र खण्ड है जिसके पहले यह लिखा हुआ आया है कि “जब से इस्त्राएली मूसा और हारून की अगुवाई से दल बान्धकर मिस्र देश से निकले, तब से उनके ये पड़ाव हुए। मूसा ने यहोवा से आज्ञा पाकर उनके कूच उनके पड़ावों के अनुसार लिख दिए; और वे ये हैं” (गिनती 33: 1-2)।

      इस प्रकार यात्रा के पड़ावों का लेखा रखने का क्या महत्व हो सकता है? क्या यह संभव है कि यह सूची इस्राएलियों को एक ऐसा ख़ाका प्रदान करती, जिसके सहारे वे अपनी चालीस वर्ष की यात्रा के अनुभवों की स्मृतियों को ताज़ा कर सकते थे, उन्हें अपनी संतानों के समक्ष दोहरा सकते थे।

      मैं कल्पना कर सकता हूँ कि इस्राएल के किसी परिवार का कोई वृद्ध अपने परिवार के साथ अलाव के चारों ओर बैठा हुआ है, और बच्चों को उस चालीस वर्ष की यात्रा के अनुभवों के संसमरणों को बता रहा है; वह कह रहा होगा, “मैं रपीदीम को कभी नहीं भूल सकता हूँ! हम प्यास से बेहाल थे, चारों ओर सैकड़ों मीलों तक केवल रेत और सूखी झाड़ियों के अतिरिक्त और कुछ नहीं था। फिर परमेश्वर ने मूसा को निर्देश दिया कि वह अपनी लाठी ले और वहाँ की एक चट्टान पर, जो कठोर पत्थर के अतिरिक्त और कुछ नहीं थी, मारे! हम सोचने लगे, यह कितना व्यर्थ कार्य है; उस चट्टान को मारने से भला क्या होगा? परन्तु हम सब आश्चर्यचकित रह गए जब मूसा के चट्टान पर मारते ही उसमें से पानी की नदी फूट निकली जो हम लाखों इस्राएलियों की प्यास बुझाने और अन्य आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त थी। मैं उस दिन को कभी नहीं भूलूंगा।” (देखिए भजन 114:8; निर्गमन 17:1-7; गिनती 20:1-13)।

      क्यों न हम अपने जीवनों के साथ भी ऐसा ही करके देखें? अपने जीवनों को उनके विभिन्न पड़ावों, परिस्थितियों और आयु के अनुसार स्मरण कर के देखें, और विचार करें कि परमेश्वर हमें कैसे लिए चलता आया है, हमारे प्रति विश्वासयोग्य रहा है, हमारी आवश्यकताओं को पूरा करता है, अपने प्रेम में हमें सँभाले रहा है। - डेविड रोपर


परमेश्वर की विश्वासयोग्यता प्रति पीढ़ी बनी रहती है।

और उन्हें अपने पवित्र विश्राम दिन का ज्ञान दिया, और अपने दास मूसा के द्वारा आज्ञाएं और विधियां और व्यवस्था दीं। और उनकी भूख मिटाने को आकाश से उन्हें भोजन दिया और उनकी प्यास बुझाने को चट्टान में से उनके लिये पानी निकाला, और उन्हें आज्ञा दी कि जिस देश को तुम्हें देने की मैं ने शपथ खाई है उसके अधिकारी होने को तुम उस में जाओ। - नहेम्याह 9:14-15

बाइबल पाठ: निर्गमन 17:1-7
Exodus 17:1 फिर इस्राएलियों की सारी मण्डली सीन नाम जंगल से निकल चली, और यहोवा के आज्ञानुसार कूच कर के रपीदीम में अपने डेरे खड़े किए; और वहां उन लोगों को पीने का पानी न मिला।
Exodus 17:2 इसलिये वे मूसा से वादविवाद कर के कहने लगे, कि हमें पीने का पानी दे। मूसा ने उन से कहा, तुम मुझ से क्यों वादविवाद करते हो? और यहोवा की परीक्षा क्यों करते हो?
Exodus 17:3 फिर वहां लोगों को पानी की प्यास लगी तब वे यह कहकर मूसा पर बुड़बुड़ाने लगे, कि तू हमें लड़के बालों और पशुओं समेत प्यासों मार डालने के लिये मिस्र से क्यों ले आया है?
Exodus 17:4 तब मूसा ने यहोवा की दोहाई दी, और कहा, इन लोगों से मैं क्या करूं? ये सब मुझे पत्थरवाह करने को तैयार हैं।
Exodus 17:5 यहोवा ने मूसा से कहा, इस्राएल के वृद्ध लोगों में से कुछ को अपने साथ ले ले; और जिस लाठी से तू ने नील नदी पर मारा था, उसे अपने हाथ में ले कर लोगों के आगे बढ़ चल।
Exodus 17:6 देख मैं तेरे आगे चलकर होरेब पहाड़ की एक चट्टान पर खड़ा रहूंगा; और तू उस चट्टान पर मारना, तब उस में से पानी निकलेगा जिससे ये लोग पीएं। तब मूसा ने इस्राएल के वृद्ध लोगों के देखते वैसा ही किया।
Exodus 17:7 और मूसा ने उस स्थान का नाम मस्सा और मरीबा रखा, क्योंकि इस्राएलियों ने वहां वादविवाद किया था, और यहोवा की परीक्षा यह कहकर की, कि क्या यहोवा हमारे बीच है वा नहीं?


एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 12-14
  • 2 तिमुथियुस 1