जोएन की परवरिश एक मसीही घर में हुई थी। लेकिन कॉलेज जाने के बाद उसे अपने मसीही विश्वास पर शंका होने लगी और वह परमेश्वर से दूर हो गई। स्नातक होने के बाद, मन के आनन्द की खोज में वह अनेक देशों के भ्रमण पर निकली, लेकिन उसे कहीं सन्तुष्टि नहीं मिली। कुछ कठिनाईयों से निकलने के समय में उसे आभास हुआ कि अभी भी परमेश्वर उसके साथ बना हुआ है, और उसे परमेश्वर की आवश्यकता है।
जर्मनी से जोएन ने अमेरिका में रह रहे अपने माता-पिता को फोन करके बताया, "मैंने अपना जीवन प्रभु यीशु मसीह को समर्पित कर दिया है, और वह मुझे परिवर्तित करता जा रहा है। जो दुःख और चिंताएं मेरे कारण आप लोगों को हुई हैं मैं उनके लिए क्षमा चाहती हूं।" यह सुनकर जोएन के माता-पिता हर्षोत्साहित हो गए, उनकी आँखों से आनन्द के आँसू बहने लगे और उन्होंने जोएन के भाईयों और भाभियों तो तुरन्त घर बुला लिया जिससे उन सब को वे व्यक्तिगत रीति से बता सकें कि उनकी बहन ने प्रभु यीशु मसीह को ग्रहण कर लिया, वह परमेश्वर के पास लौट आई है।
परमेश्वर के वचन बाइबल में लूका 15 अध्याय में खोए हुए को पा लेने से संबंधित प्रभु यीशु द्वारा दिए गए तीन दृष्टांत हैं। पहले दृष्टांत एक खोई हुई भेड़ पर है जिसे ढूंढ़ने के लिए उसका चरवाहा निकल जाता है। दूसरे दृष्टांत में एक स्त्री का एक सिक्का खो गया था और उसना यत्न करके उस सिक्के को ढूँढ़ लिया, और फिर अपने पड़ौसियों को अपने साथ उस खोए हुए सिक्के के मिल जाने का आनन्द मनाने के लिए निमंत्रित किया और तीसरा दृष्टांत एक भटके हुए पुत्र का है जो अपने पिता से संपत्ति का अपना हिस्सा लेकर दुराचार में सब कुछ उड़ा देता है और फिर कठिन समयों में पड़ने पर लौट कर पश्चाताप के साथ अपने पिता के पास आता है और पिता उसे परिवार में बहाल कर देता है, आनन्द मनाता है। इन तीनों दृष्टांतो के द्वारा प्रभु यीशु ने यह समझाया कि कैसे वह पाप में खोए हुए लोगों को वापस परमेश्वर के पास लौटा लाने के लिए आया है; और जब कोई परमेश्वर से पाप क्षमा और उद्धार की भेंट को स्वीकार कर के परमेश्वर के पास लौट आता है, तब "...इसी रीति से एक मन फिराने वाले पापी के विषय में परमेश्वर के स्वर्गदूतों के साम्हने आनन्द होता है" (लूका 15:10)।
यह कितनी अद्भुत और अनुग्रहपूर्ण बात है कि प्रभु यीशु स्वर्ग से हमें पापों से बचाने के लिए पृथ्वी पर उतर आया, और जब हम उसकी पुकार सुनकर उससे पापों की क्षमा माँगते हैं, अपना जीवन उसे समर्पित कर देते हैं, तब स्वर्ग में आनन्द मनाया जाता है। - ऐनी सेटास
जब मनुष्य पश्चाताप करते हैं तब स्वर्गदूत आनन्द मनाते हैं।
प्रभु यहोवा की यह वाणी है, क्या मैं दुष्ट के मरने से कुछ भी प्रसन्न होता हूँ? क्या मैं इस से प्रसन्न नहीं होता कि वह अपने मार्ग से फिरकर जीवित रहे? - यहेजकेल 18:23
बाइबल पाठ: लूका 15:1-10
Luke 15:1 सब चुंगी लेने वाले और पापी उसके पास आया करते थे ताकि उस की सुनें।
Luke 15:2 और फरीसी और शास्त्री कुड़कुड़ा कर कहने लगे, कि यह तो पापियों से मिलता है और उन के साथ खाता भी है।
Luke 15:3 तब उसने उन से यह दृष्टान्त कहा।
Luke 15:4 तुम में से कौन है जिस की सौ भेड़ें हों, और उन में से एक खो जाए तो निन्नानवे को जंगल में छोड़कर, उस खोई हुई को जब तक मिल न जाए खोजता न रहे?
Luke 15:5 और जब मिल जाती है, तब वह बड़े आनन्द से उसे कांधे पर उठा लेता है।
Luke 15:6 और घर में आकर मित्रों और पड़ोसियों को इकट्ठे कर के कहता है, मेरे साथ आनन्द करो, क्योंकि मेरी खोई हुई भेड़ मिल गई है।
Luke 15:7 मैं तुम से कहता हूं; कि इसी रीति से एक मन फिराने वाले पापी के विषय में भी स्वर्ग में इतना ही आनन्द होगा, जितना कि निन्नानवे ऐसे धर्मियों के विषय नहीं होता, जिन्हें मन फिराने की आवश्यकता नहीं।
Luke 15:8 या कौन ऐसी स्त्री होगी, जिस के पास दस सिक्के हों, और उन में से एक खो जाए; तो वह दीया बारकर और घर झाड़ बुहार कर जब तक मिल न जाए, जी लगाकर खोजती न रहे?
Luke 15:9 और जब मिल जाता है, तो वह अपने सखियों और पड़ोसिनियों को इकट्ठी कर के कहती है, कि मेरे साथ आनन्द करो, क्योंकि मेरा खोया हुआ सिक्का मिल गया है।
Luke 15:10 मैं तुम से कहता हूं; कि इसी रीति से एक मन फिराने वाले पापी के विषय में परमेश्वर के स्वर्गदूतों के साम्हने आनन्द होता है।
एक साल में बाइबल:
- यहोशु 1-3
- मरकुस 16