32 देशों के भिन्न शहरों में जीवन की रफतार को नापने के लिए किए गए एक अध्ययन के अनुसार सबसे अधिक जल्दबाज़ी में रहने वाले लोग सिंगापुर में होते हैं। इस अध्ययन के अनुसार सिंगापुर के लोग 60 फुट चलने के लिए 10:55 सेकेण्ड लेते हैं, जबकि इसकी तुलना में न्यूयॉर्क के लोग 12:00 सेकेण्ड तथा अफ्रीका में स्थित मलावी देश के ब्लैंटायर नगर के लोग 31:60 सेकेण्ड लेते हैं।
यह अध्ययन एक और बात भी दिखाता है, हम चाहे जहाँ भी रहते हों, पिछले 20 वर्षों में चलने की गति औसतन 10% बढ़ गई है। यदि चलने की गति हमारे जीवन की व्यस्तता का माप है, तो निश्चित ही हम पहले से कहीं अधिक व्यस्त हो गए हैं।
क्या आप भी अपने आप को व्यस्त जीवन के पागलपन में फँसा हुआ पाते हैं? थोड़ा थम कर प्रभु यीशु द्वारा अपनी मेज़बान मार्था से कहे गए शब्दों पर ध्यान कीजिए: "...मार्था, हे मार्था; तू बहुत बातों के लिये चिन्ता करती और घबराती है। परन्तु एक बात अवश्य है, और उस उत्तम भाग को मरियम ने चुन लिया है: जो उस से छीना न जाएगा" (लूका 10:41-42)। मार्था ने प्रभु को अपने घर में आने का न्यौता दिया था, वह उसके लिए बहुत कुछ करना चाहती थी, और अपनी इस चाह में वह इतनी व्यस्त हो गई कि प्रभु के लिए उसके पास समय ही नहीं रहा।
किंतु प्रभु यीशु के विनम्र शब्दों पर ध्यान किजिए; प्रभु मार्था पर क्रोधित नहीं हुए, अच्छी मेज़बान बनने के उसके प्रयासों की व्यस्तता के कारण प्रभु को समय ना दे पाने के लिए उन्होंने बुरा नहीं माना, वरन उसे प्राथमिकताओं पर ध्यान करने के लिए उसकी बहन मरियम के उदाहरण द्वारा समझाया। मार्था ने आवश्यक को अनुपात में इतना अधिक बढ़ा लिया था कि अनिवार्य को छोटा समझ लिया, और प्रभु यीशु के लिए भला करने की लालसा में प्रभु से ही दूर होने लगी।
आज यह हमारे लिए भी एक बहुत महत्वपूर्ण सबक है - प्रभु यीशु के लिए उपयोगी और प्रभावी होने के प्रयासों में हम इतने व्यस्त ना हो जाएं कि प्रभु से ही दूर हो जाएं। हम यह कभी नहीं भूलें कि प्रभु सबसे अधिक हमारी संगति का इच्छुक है, ना कि उसे प्रसन्न करने के हमारे प्रयासों का। - पोह फैंग चिया
जितना हम प्रभु यीशु को विभिन्न कार्यों द्वारा प्रसन्न करना चाहते हैं,
उससे कहीं अधिक प्रभु यीशु हमारी संगति और सहभागिता को चाहता है।
इसलिये पहिले तुम उस [परमेश्वर] के राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी। सो कल के लिये चिन्ता न करो, क्योंकि कल का दिन अपनी चिन्ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है। - मत्ती 6:33-34
बाइबल पाठ: लूका 10:38-42
Luke 10:38 फिर जब वे जा रहे थे, तो वह एक गांव में गया, और मार्था नाम एक स्त्री ने उसे अपने घर में उतारा।
Luke 10:39 और मरियम नाम उस की एक बहिन थी; वह प्रभु के पांवों के पास बैठकर उसका वचन सुनती थी।
Luke 10:40 पर मार्था सेवा करते करते घबरा गई और उसके पास आकर कहने लगी; हे प्रभु, क्या तुझे कुछ भी सोच नहीं कि मेरी बहिन ने मुझे सेवा करने के लिये अकेली ही छोड़ दिया है? सो उस से कह, कि मेरी सहायता करे।
Luke 10:41 प्रभु ने उसे उत्तर दिया, मार्था, हे मार्था; तू बहुत बातों के लिये चिन्ता करती और घबराती है।
Luke 10:42 परन्तु एक बात अवश्य है, और उस उत्तम भाग को मरियम ने चुन लिया है: जो उस से छीना न जाएगा।
एक साल में बाइबल:
- एस्तेर 3-5
- प्रेरितों 5:22-42