ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शुक्रवार, 12 अगस्त 2016

उदाहरण


   कहते हैं कि सन 1800 के अन्त की ओर, यूरोप से कुछ पास्टर मैसाच्यूसेट्स में आयोजित डी० एल० मूडी के बाइबल सम्मेलन में भाग लेने आए। अपने स्थान की प्रथानुसार, रात को सोते समय उन्होंने अपने जूते उतार कर कमरे के बाहर रख दिए, इस आश्य से कि होटल के कर्मचारी उन्हें साफ कर देंगे। जब मूडी ने वे जूते देखे, तो वे उनके वहाँ रखे होने के आश्य को समझ गए क्योंकि मूडी उन पास्टरों के स्थान की प्रथा से परिचित थे। मूडी ने यह बात अपने साथी कार्यकर्ताओं को बताई, लेकिन सभी चुप रहे और किसी ने भी कुछ भी करने के लिए कोई रुचि नहीं दिखाई। बाद में मूडी ने सारी जूतियाँ एकत्रित करीं और स्वयं ही उन्हें साफ करके वापस रख दिया। उनका एक मित्र जो अनायास ही उनके कमरे में मिलने आ गया था, उस ने यह देखा और बाकी लोगों को यह बात बताई। इसके बाद स्वतः ही मूडी के शेष साथी अगले कुछ दिनों तक बारी-बारी जूतियों को साफ करने का कार्य करते रहे।

   मूडी की नम्र नेतृत्व-शैली का उदाहरण अन्य लोगों के लिए उनका अनुसरण करने की प्रेरणा बन गया। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने अपने सह-कर्मी तिमुथियुस को स्मरण करवाया: "इसलिये हे मेरे पुत्र, तू उस अनुग्रह से जो मसीह यीशु में है, बलवन्‍त हो जा। और जो बातें तू ने बहुत गवाहों के साम्हने मुझ से सुनी हैं, उन्हें विश्वासी मनुष्यों को सौंप दे; जो औरों को भी सिखाने के योग्य हों" (2 तिमुथियुस 2:1-2)। जब हम यह स्मरण रखते हैं कि हमारी सामर्थ परमेश्वर से है, और हम जो कुछ भी हैं परमेश्वर के अनुग्रह ही से हैं, तो यह हमें दीन और नम्र बने रहने की प्रेरणा और सहायता करता है। हमारी यही दीनता और नम्रता का उदाहरण परमेश्वर के सत्य और सुसमाचार को दूसरों तक पहुँचाने, और उनके द्वारा अनुसरण करने के लिए सहायक होता है।

   हमारा प्रभु यीशु स्वयं ही संसार के सभी लोगों के लिए दीनता, नम्रता और सेवकाई का उदाहरण है; वह जिसने दूसरों के पापों की क्षमा और उद्धार प्राप्ति के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। इस उदाहरण और उसके अनुसरण का प्रचार करना हमारे लिए अनिवार्य है। - एलबर्ट ली


नम्रता और दीनता परमेश्वर को जानने और उसके समक्ष अपने आप को पहचानने से आती है।

विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो। हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों की हित की भी चिन्‍ता करे। जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो। - फिलिप्पियों 2:3-5

बाइबल पाठ:  2 तिमुथियुस 2:1-7
2 Timothy 2:1 इसलिये हे मेरे पुत्र, तू उस अनुग्रह से जो मसीह यीशु में है, बलवन्‍त हो जा। 
2 Timothy 2:2 और जो बातें तू ने बहुत गवाहों के साम्हने मुझ से सुनी हैं, उन्हें विश्वासी मनुष्यों को सौंप दे; जो औरों को भी सिखाने के योग्य हों। 
2 Timothy 2:3 मसीह यीशु के अच्‍छे योद्धा की नाईं मेरे साथ दुख उठा। 
2 Timothy 2:4 जब कोई योद्धा लड़ाई पर जाता है, तो इसलिये कि अपने भरती करने वाले को प्रसन्न करे, अपने आप को संसार के कामों में नहीं फंसाता 
2 Timothy 2:5 फिर अखाड़े में लड़ने वाला यदि विधि के अनुसार न लड़े तो मुकुट नहीं पाता। 
2 Timothy 2:6 जो गृहस्थ परिश्रम करता है, फल का अंश पहिले उसे मिलना चाहिए। 
2 Timothy 2:7 जो मैं कहता हूं, उस पर ध्यान दे और प्रभु तुझे सब बातों की समझ देगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 84-86
  • रोमियों 12