मेरे दादा, मेरे पिता और उनके भाई, सभी कठोर प्रवृति के थे और उन्हें कदापि पसन्द नहीं था कि कोई उनके समक्ष खड़ा रहकर उनसे मसीही विश्वास की बातें करे। जब पता चला कि मेरे पिता को कैंसर है, और ऐसा जो तेज़ी से बढ़ता और फैलता है, तो मुझे उनके अनन्त भविष्य की बहुत चिंता हुई, और मुझे जब भी अवसर मिलता मैं उनसे प्रभु यीशु मसीह और हमारे लिए उसके प्रेम के बारे में बातें करता। लेकिन वे प्रत्येक वार्तालाप को एक शिष्ट किंतु दृढ़ "मुझे जो जानना चाहिए वह मुझे पता है" कह कर अन्त कर देते थे।
अन्ततः मैंने उनसे वायदा किया कि मैं यह विषय फिर कभी नहीं उठाऊँगा, और उन्हें पढ़ने के लिए कुछ कार्ड्स का संकलन दिया जो परमेश्वर द्वारा अपने अनुग्रह से हमें प्रदान करी जाने वाली पापों की क्षमा के बारे में थे, और जिन्हें वे अपनी इच्छा और समयानुसार पढ़ सकते थे। मैंने अपने पिता को परमेश्वर पिता के हाथों में समर्पित कर दिया और उनके उद्धार के लिए प्रार्थना करता रहा। मेरा एक मित्र भी परमेश्वर पिता से उनके लिए प्रार्थना कर रहा था कि वे बस इतना तो जीवित रह सकें कि प्रभु यीशु मसीह और उद्धार के बारे में जान लें।
एक दोपहर वह फोन आ ही गया कि मेरे पिता अब संसार से कूच कर गए हैं। मैं उनके अन्तिम संस्कार के लिए घर गया, जहां मेरा भाई मुझे लेने हवाई-अड्डे पर आया था। भाई ने मुझे बताया कि मेरे पिता ने उसके पास मेरे लिए एक सन्देश छोड़ा था; उससे पिताजी ने कहा था कि वह मुझे बता दे कि उन्होंने प्रभु यीशु से पापों की क्षमा मांग ली थी। मैंने तुरंत पूछा, "कब?" भाई ने उत्तर दिया "उनके देहांत के दिन की प्रातः को" - परमेश्वर ने जैसे हम पर, वैसे ही उन पर भी अपनी दया करी, उन्हें पापों से पश्चताप करने और उन पापों की क्षमा प्राप्त होने का अनुभव होने तक, प्रभु यीशु से उनकी मुलाकात होने तक उन्हें जीवित रखा।
लोगों तक प्रभु यीशु के प्रेम और उनसे मिलने वाली पापों की क्षमा और उद्धार के सन्देश को पहुँचाने के लिए हम विभिन्न तरीके अपनाते हैं, जैसे कि सुसमाचार सुनाना, या अपने जीवन और हृदय परिवर्तन की गवाही देना, कभी-कभी केवल प्रभु यीशु के जीवन और शिक्षाओं को अपने जीवन में जी कर दिखाना, आदि लेकिन हर तरीके के साथ हम प्रार्थना का भी सहारा अवश्य लेते हैं क्योंकि हम यह जानते हैं कि अन्ततः पापों की क्षमा और उद्धार देना परमेश्वर का कार्य है, हम अपने प्रयासों से ना तो इसे किसी को दे सकते हैं और ना ही कोई भी व्यक्ति अपने किसी प्रयास अथवा धार्मिकता से इसे परमेश्वर से कमा सकता है।
परमेश्वर अनुग्रहकारी और दयालु परमेश्वर है; हमारी प्रर्थनाओं का परिणाम चाहे जो भी हो किंतु प्रभु यीशु से मुलाकात का अवसर परमेश्वर सब को प्रदान करता है। क्या आपने आपको दिए गए इस सुअवसर का सही लाभ उठाया है? क्या आपने प्रभु यीशु से मुलाकात कर ली है? - रैंडी किलगोर
हम बीज बोते और सींचते हैं किंतु उसका उगना और फलवंत होना परमेश्वर की ओर से होता है।
वह यह चाहता है, कि सब मनुष्यों का उद्धार हो; और वे सत्य को भली भांति पहिचान लें। क्योंकि परमेश्वर एक ही है: और परमेश्वर और मनुष्यों के बीच में भी एक ही बिचवई है, अर्थात मसीह यीशु जो मनुष्य है। - 1 तिमुथियुस 2:4-5
बाइबल पाठ: 1 तिमुथियुस 1:11-17
1 Timothy 1:11 यही परमधन्य परमेश्वर की महिमा के उस सुसमाचार के अनुसार है, जो मुझे सौंपा गया है।
1 Timothy 1:12 और मैं, अपने प्रभु मसीह यीशु का, जिसने मुझे सामर्थ दी है, धन्यवाद करता हूं; कि उसने मुझे विश्वास योग्य समझकर अपनी सेवा के लिये ठहराया।
1 Timothy 1:13 मैं तो पहिले निन्दा करने वाला, और सताने वाला, और अन्धेर करने वाला था; तौभी मुझ पर दया हुई, क्योंकि मैं ने अविश्वास की दशा में बिन समझे बूझे, ये काम किए थे।
1 Timothy 1:14 और हमारे प्रभु का अनुग्रह उस विश्वास और प्रेम के साथ जो मसीह यीशु में है, बहुतायत से हुआ।
1 Timothy 1:15 यह बात सच और हर प्रकार से मानने के योग्य है, कि मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिये जगत में आया, जिन में सब से बड़ा मैं हूं।
1 Timothy 1:16 पर मुझ पर इसलिये दया हुई, कि मुझ सब से बड़े पापी में यीशु मसीह अपनी पूरी सहनशीलता दिखाए, कि जो लोग उस पर अनन्त जीवन के लिये विश्वास करेंगे, उन के लिये मैं एक आदर्श बनूं।
1 Timothy 1:17 अब सनातन राजा अर्थात अविनाशी अनदेखे अद्वैत परमेश्वर का आदर और महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन।
एक साल में बाइबल:
- एस्तेर 6-8
- प्रेरितों 6