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बुधवार, 20 जुलाई 2016

मात्रा या माप


   मसीही सेवकाई के भ्रमण के समयों में मुझे अनेकों ऐसे लोगों से मिलने और बात करने के अवसर मिले हैं जो छोटे-छोटे कार्यों द्वारा छोटे स्थानों पर सेवकाई कर रहे हैं। अकसर ये लोग एकाकीपन से ग्रसित रहते हैं, उन्हें लगता है कि उनकी वह सेवकाई बहुत गौण है, उसका कोई विशेष महत्व नहीं है। जब मैं उन लोगों की बातें सुनता हूँ तो मुझे सुप्रसिद्ध मसीही लेखक सी. एस. ल्यूईस की पुस्तक Out of the Silent Planet में एक स्वर्गदूत द्वारा कही गई बात: "मेरे लोगों के पास एक नियम है कि वे कभी मात्रा या माप की बातें आप से नहीं करेंगे...ऐसा करने से आप महत्वहीन को आदर देने लगते हैं और महत्वपूर्ण को नज़रन्दाज़ कर देते हैं" स्मरण हो आती है।

   हमारे समाज की धारणाएं कभी-कभी हम से कहती है कि जितना अधिक या जितना बड़ा उतना ही बेहतर - अर्थात आकार ही सफलता का मापदण्ड है। इस धारणा का सामना करने, इसको अनदेखा करने, इसे बदलने के लिए बहुत सामर्थ चाहिए, विशेषकर किसी ऐसे व्यक्ति को जो किसी छोटे से स्थान पर किसी छोटे प्रतीत होने वाले कार्य द्वारा सेवकाई में मेहनत कर रहा हो। ऐसे में हमें ध्यान बनाए रखना है कि कहीं हम भी तो उसे जो महत्वपूर्ण है, नज़रन्दाज़ तो नहीं कर दे रहे हैं।

   ऐसा नहीं है कि संख्या का कोई महत्व ही नहीं है। संख्या अननतकाल की आवश्यकता रखने वाले जीवित मनुष्यों को दर्शाती है; और हम सब को यह प्रार्थना करते रहना चाहिए कि अधिक से अधिक लोग प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास लाकर, उस से पापों की क्षमा माँगकर, सेंत-मेंत में उद्धार पाएं और परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करें; लेकिन हमारे कार्य और उसके महत्व का माप संख्याएं नहीं हैं।

   प्रभु परमेश्वर ने हमें उसके लिए करे गए कार्य की मात्रा में, या फिर उस कार्य में संलग्न लोगों की संख्या में संतुष्टि प्राप्त करने के लिए नहीं बुलाया है; वरन उसने हमें बुलाया है कि हम विश्वासयोयता के साथ उसके द्वारा हमें दिए कार्य को उसके लिए पूरा करते रहें। हमारे महान और सर्वसामर्थी प्रभु परमेश्वर की सेवा, उसके द्वारा प्रदान करी गई सामर्थ में होकर करना ही हमारे लिए महानता है - वह सेवा चाहे मात्रा या माप में कैसी ही क्यों ना हो। - डेविड रोपर


जो कोई परमेश्वर की सेवकाई को परमेश्वर की इच्छानुसार करता है, 
वह परमेश्वर की दृष्टि में महत्वपूर्ण है।

क्योंकि किस ने छोटी बातों के दिन तुच्छ जाना है? यहोवा अपनी इन सातों आंखों से सारी पृथ्वी पर दृष्टि कर के साहुल को जरूब्बाबेल के हाथ में देखेगा, और आनन्दित होगा। - ज़कर्याह 4:10

बाइबल पाठ: यशायाह 49:1-6
Isaiah 49:1 हे द्वीपो, मेरी और कान लगाकर सुनो; हे दूर दूर के राज्यों के लोगों, ध्यान लगा कर मेरी सुनो! यहोवा ने मुझे गर्भ ही में से बुलाया, जब मैं माता के पेट में था, तब ही उसने मेरा नाम बताया। 
Isaiah 49:2 उसने मेरे मुंह को चोखी तलवार के समान बनाया और अपने हाथ की आड़ में मुझे छिपा रखा; उसने मुझ को चमकिला तीर बनाकर अपने तर्कश में गुप्त रखा। 
Isaiah 49:3 और मुझ से कहा, तू मेरा दास इस्राएल है, मैं तुझ में अपनी महिमा प्रगट करूंगा। 
Isaiah 49:4 तब मैं ने कहा, मैं ने तो व्यर्थ परिश्रम किया, मैं ने व्यर्थ ही अपना बल खो दिया है; तौभी निश्चय मेरा न्याय यहोवा के पास है और मेरे परिश्रम का फल मेरे परमेश्वर के हाथ में है।
Isaiah 49:5 और अब यहोवा जिसने मुझे जन्म ही से इसलिये रख कि मैं उसका दास हो कर याकूब को उसकी ओर फेर ले आऊं अर्थात इस्राएल को उसके पास इकट्ठा करूं, क्योंकि यहोवा की दृष्टि में मैं आदरयोग्य हूं और मेरा परमेश्वर मेरा बल है, 
Isaiah 49:6 उसी ने मुझ से यह भी कहा है, यह तो हलकी सी बात है कि तू याकूब के गोत्रों का उद्धार करने और इस्राएल के रक्षित लोगों को लौटा ले आने के लिये मेरा सेवक ठहरे; मैं तुझे अन्यजातियों के लिये ज्योति ठहराऊंगा कि मेरा उद्धार पृथ्वी की एक ओर से दूसरी ओर तक फैल जाए।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 26-28
  • प्रेरितों 22