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रविवार, 6 मार्च 2016

भय


   अपने बच्चों के साथ खेले गए सबसे आरंभिक खेलों में से एक अकसर होता है माता-पिता द्वारा एक बनावटी भय का प्रयोग। माता-पिता अपने हाथों से अपना चेहरा छुपा लेते हैं और फिर अचानक ही मूँह से "भू" की आवाज़ निकालते हुए चेहरे से हाथ हटाकर बच्चे के सामने अपना चेहरा प्रगट कर देते हैं जिससे बच्चे रोमांचित और आनन्दित होते हैं। ऐसे बनावटी भय से भयभीत होना रोमांचकारी और मज़ेदार होता है, जब तक कि बच्चा वास्तविक भय का सामना नहीं करता; और तब वह भय किसी आनन्द और हंसी का कारण नहीं होता। यह अनुभव भी बच्चों को अकसर तब होता है जब वे एक से दूसरी चीज़ से आकर्षित होकर माता-पिता से दूर चलते चले जाते हैं और फिर अचानक ही उन्हें आभास होता है कि वे अकेले हैं, उन्हें आश्वस्त रखने वाला कोई परिचित जन उनके साथ नहीं है; और तब बच्चों के मूँह से हंसी नहीं वरन चिल्लाकर रोने की आवाज़ निकलती है। उस आवाज़ को सुनते ही माता-पिता उस बच्चे के पास आकर उसे गोद में उठा लेते हैं, पुचकारते हैं आश्वस्त करते हैं, विश्वास दिलाते है कि वे अकेले नहीं हैं।

   जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं हमारे बनावटी भय भी अलग-अलग और भिन्न स्वरूप लेने लगते हैं - डरावने कथानक वाली पुस्तकें और फिल्में, या फिर मनोरंजन पार्कों में ऐसे झूले और कार्य जिनमें भय का समावेश होता है, इत्यादि हमें रोमांचित करने लगते हैं। यह कृत्रिम भय कई दफा इतना रोमांच उत्पन्न करता है कि हम और अधिक रोमांच पाने के लिए और अधिक जोखिम उठाने लग जाते हैं।

   संसार के आकर्षण और रोमांच कई दफा हमें परमेश्वर के मार्गों और परमेश्वर से दूर भी ले जाते हैं, और फिर किसी कठिन या कष्टदायक परिस्थिति में पड़ने पर ही हमें एहसास होता है कि हम उस प्रेम करने और ध्यान रखने वाले परमेश्वर पिता से दूर निकल आए हैं, जैसा कि प्राचीन इस्त्राएलियों ने अनुभव किया (यशायाह 30), और तब हम वास्तव में भयभीत होते हैं। ऐसे में हमें सहायता के लिए परमेश्वर को पुकारने के लिए कोई विशेष शब्दों के प्रयोग की या फिर किसी स्पष्टीकरण की या अपनी बात को सही दिखाने के लिए कोई तर्क देने की आवश्यकता नहीं है; बस सच्चे दिल से निकली एक पुकार ही काफी है, और परमेश्वर हमारी सहायता के लिए तुरंत हाज़िर हो जाता है, हमें संभालता है, आश्वस्त करता है।

   प्रेम करने वाले माता-पिता के समान परमेश्वर सदा तत्पर रहता है कि हमें आश्वस्त रखे कि उसे हमारी परवाह है और वह यही चाहता है कि उसके बच्चे उसके साथ, उसके संरक्षण में बने रहें जिससे उन्हें कभी किसी परिस्थिति का सामना करने में घबराना ना पड़े; किसी भय से परेशान ना होना पड़े। - जूली ऐकैअरमैन लिंक


परमेश्वर की विश्वासयोग्यता पर भरोसा रखने से भय हम से दूर रहते हैं।

और संकट के दिन मुझे पुकार; मैं तुझे छुड़ाऊंगा, और तू मेरी महिमा करने पाएगा। - भजन 50:15 

बाइबल पाठ: यशायाह 30:1-5; 18-19
Isaiah 30:1 यहोवा की यह वाणी है, हाय उन बलवा करने वाले लड़कों पर जो युक्ति तो करते परन्तु मेरी ओर से नहीं; वाचा तो बान्धते परन्तु मेरे आत्मा के सिखाये नहीं; और इस प्रकार पाप पर पाप बढ़ाते हैं। 
Isaiah 30:2 वे मुझ से बिन पूछे मिस्र को जाते हैं कि फिरौन की रक्षा में रहे और मिस्र की छाया में शरण लें। 
Isaiah 30:3 इसलिये फिरौन का शरणस्थान तुम्हारी लज्जा का, और मिस्र की छाया में शरण लेना तुम्हारी निन्दा का कारण होगा। 
Isaiah 30:4 उसके हाकिम सोअन में आए तो हैं और उसके दूत अब हानेस में पहुंचे हैं। 
Isaiah 30:5 वे सब एक ऐसी जाति के कारण लज्जित होंगे जिस से उनका कुछ लाभ न होगा, जो सहायता और लाभ के बदले लज्जा और नामधराई का कारण होगी।
Isaiah 30:18 तौभी यहोवा इसलिये विलम्ब करता है कि तुम पर अनुग्रह करे, और इसलिये ऊंचे उठेगा कि तुम पर दया करे। क्योंकि यहोवा न्यायी परमेश्वर है; क्या ही धन्य हैं वे जो उस पर आशा लगाए रहते हैं।
Isaiah 30:19 हे सिय्योन के लोगों तुम यरूशलेम में बसे रहो; तुम फिर कभी न रोओगे, वह तुम्हारी दोहाई सुनते ही तुम पर निश्चय अनुग्रह करेगा: वह सुनते ही तुम्हारी मानेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 1-2
  • मरकुस 10:1-31