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सोमवार, 22 अप्रैल 2019

सुनना



      मेरे पिता बहुत कम बोलते थे। वर्षों तक सेना में किए गए कार्य के कारण उनकी सुनने की क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ा था और वे सुनने के लिए दोनों कानों में मशीन लगाते थे। एक दोपहर, जब मैं और मेरी माँ, उनके दृष्टिकोण से, आवश्यकता से कुछ अधिक देर तक बोलते रहे, तो उन्होंने व्यंग्यात्मक भाव में अपने दोनों हाथ ऊपर को उठा कर कहा, “जब भी मुझे शान्ति और एकांत की आवश्यकता अनुभव होती है, मैं यह करता हूँ” और उन्होंने अपने दोनों कानों की मशीनों को बन्द किया, सर के पीछे हाथ रखे और धीरे से मुस्कुराते हुए अपनी आँखें बन्द कर लीं। हमारी हंसी निकल गई; जहाँ तक उनका प्रश्न था, उनके लिए वार्तालाप पूरा हो चुका था।

      उस दिन मेरे पिताजी की प्रतिक्रिया की तुलना में, हमारे स्वर्गीय परमेश्वर पिता की प्रतिक्रिया कितनी भिन्न होती है; वह सदा ही अपने बच्चों की सुनता है। इस बात की पुष्टि परमेश्वर के वचन बाइबल की सबसे छोटी प्रार्थनाओं में से एक के द्वारा होती है। एक दिन, फारस के राजा अर्तक्षत्र का सेवक नहेम्याह, अपने कार्य के समय राजा की उपस्थिति में प्रगट रूप से उदास था। जब राजा ने उससे उसकी उदासी का कारण पूछा तो नहेम्याह डर गया, किन्तु उसने स्वीकार किया कि उसकी उदासी उसके पुरखाओं के शहर यरूशलेम की बुरी स्थिति के कारण थी, जो अब बरबाद पड़ा हुआ था। नहेम्याह ने स्मरण किया, “राजा ने मुझ से पूछा, फिर तू क्या मांगता है? तब मैं ने स्वर्ग के परमेश्वर से प्रार्थना कर के, राजा से कहा; यदि राजा को भाए, और तू अपने दास से प्रसन्न हो, तो मुझे यहूदा और मेरे पुरखाओं की कबरों के नगर को भेज, ताकि मैं उसे बनाऊं” (नहेम्याह 2:4-5)।

      नहेम्याह की यह प्रार्थना कुछ ही पलों की थी, परन्तु परमेश्वर ने उसे सुना। उस प्रार्थना के करुणामय प्रत्युत्तर ने नहेम्याह द्वारा इससे पहले यरूशलेम के लिए की गई अनेकों प्रार्थनाओं के उत्तर को सक्रीय कर दिया; और उस एक पल में राजा अर्तक्षत्र ने यरूशलेम के पुनःनिर्माण के लिए नहेम्याह के निवेदन को स्वीकार किया और उसे अनुमति प्रदान कर दी।

      यह कितना सुखदायी और आश्वस्त करने वाला है कि हमारा परमेश्वर पिता हमारी सभी प्रार्थनाओं – छोटी से छोटी से लेकर लंबी से लंबी तक, को सुनता है और उनका उत्तर देता है। जेम्स बैंक्स


हमारा महान परमेश्वर पिता हमारी छोटी सी प्रार्थना भी ध्यान से सुनता है।

जितने यहोवा को पुकारते हैं, अर्थात जितने उसको सच्चाई से पुकारते हें; उन सभों के वह निकट रहता है। - भजन 145:18

बाइबल पाठ: नहेम्याह 2:1-9
Nehemiah 2:1 अर्तक्षत्र राजा के बीसवें वर्ष के नीसान नाम महीने में, जब उसके साम्हने दाखमधु था, तब मैं ने दाखमधु उठा कर राजा को दिया। इस से पहिले मैं उसके साम्हने कभी उदास न हुआ था।
Nehemiah 2:2 तब राजा ने मुझ से पूछा, तू तो रोगी नहीं है, फिर तेरा मुंह क्यों उतरा है? यह तो मन ही की उदासी होगी।
Nehemiah 2:3 तब मैं अत्यन्त डर गया। और राजा से कहा, राजा सदा जीवित रहे! जब वह नगर जिस में मेरे पुरखाओं की कबरें हैं, उजाड़ पड़ा है और उसके फाटक जले हुए हैं, तो मेरा मुंह क्यों न उतरे?
Nehemiah 2:4 राजा ने मुझ से पूछा, फिर तू क्या मांगता है? तब मैं ने स्वर्ग के परमेश्वर से प्रार्थना कर के, राजा से कहा;
Nehemiah 2:5 यदि राजा को भाए, और तू अपने दास से प्रसन्न हो, तो मुझे यहूदा और मेरे पुरखाओं की कबरों के नगर को भेज, ताकि मैं उसे बनाऊं।
Nehemiah 2:6 तब राजा ने जिसके पास रानी भी बैठी थी, मुझ से पूछा, तू कितने दिन तक यात्रा में रहेगा? और कब लैटेगा? सो राजा मुझे भेजने को प्रसन्न हुआ; और मैं ने उसके लिये एक समय नियुक्त किया।
Nehemiah 2:7 फिर मैं ने राजा से कहा, यदि राजा को भाए, तो महानद के पार के अधिपतियों के लिये इस आशय की चिट्ठियां मुझे दी जाएं कि जब तक मैं यहूदा को न पहुंचूं, तब तक वे मुझे अपने अपने देश में से हो कर जाने दें।
Nehemiah 2:8 और सरकारी जंगल के रख वाले आसाप के लिये भी इस आशय की चिट्ठी मुझे दी जाए ताकि वह मुझे भवन से लगे हुए राजगढ़ की कड़ियों के लिये, और शहरपनाह के, और उस घर के लिये, जिस में मैं जा कर रहूंगा, लकड़ी दे। मेरे परमेश्वर की कृपादृष्टि मुझ पर थी, इसलिये राजा ने यह बिनती ग्रहण किया।
Nehemiah 2:9 तब मैं ने महानद के पार के अधिपतियों के पास जा कर उन्हें राजा की चिट्ठियां दीं। राजा ने मेरे संग सेनापति और सवार भी भेजे थे।

एक साल में बाइबल:  
  • 2 शमूएल 14-15
  • लूका 17:1-19