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मंगलवार, 7 जुलाई 2015

मूल्यांकन


   मेरे शहर की मुख्य सड़क के दोनों ओर हो रहे सौंदर्यकरण-कार्य के अन्तरगत 1930 के दशक में बने एक चर्च भवन को गिराना पड़ा। गिराने से पहले उस चर्च भवन की खिडकियाँ निकाल ली गई थीं किन्तु दरवाज़े बहुत समय तक लगे रहे, यद्यपि बुलडोज़र अन्दर दीवारों को गिराने का काम कर रहे थे। लोगों की सुरक्षा के लिए चर्च के उन दरवाज़ों पर चमकने वाले बड़े-बड़े अक्षरों में लिख कर लगा दिया गया था, "बाहर रहें!" यह एक विडंबना ही थी कि परमेश्वर के भवन के दरवाज़ों पर, जहाँ सबका स्वागत रहता है, यह लिखा गया था।

   लेकिन इससे भी अधिक दुखी करने वाली ऐसी ही एक अन्य प्रकार की विडंबना होती है; कुछ चर्च ऐसे भी होते जहाँ के भवन के दरवाज़े चाहे खुले रहते हों किंतु उसमें आने वाले लोगों के दिलों पर आगन्तुकों के लिए स्पष्ट लिखा होता है, "बाहर रहें", विशेषकर उन लोगों के लिए जो उन चर्च वालों के मूल्यांकन में उनके अपने स्तर के अनुरूप नहीं होते। उन्हें कुछ कहना भी नहीं पड़ता, उन्हें चमकने वाले या बड़े अक्षरों में कुछ लिखना नहीं पड़ता; वे हिकारत से भरी अपनी एक ही दृष्टि से तथा अपने शरीर के हाव-भाव द्वारा आने वालों को स्पष्ट कर देते हैं कि उस चर्च में उनका स्वागत नहीं है।

   लोग जैसा बाहर से दिखते हैं, आवश्यक नहीं कि वह उनके मन के अन्दर की स्थिति का सच्चा प्रतिरूप हो। बाहरी स्वरूप तो दिखावा होता है जो समय, व्यक्ति और परिस्थिति के साथ बदलता रहता है। इसीलिए परमेश्वर हमारे बाहरी स्वरूप का नहीं, हमारे अन्दर गहराई से झांककर हमारे मन का मूल्यांकन करता है (1 शमूएल 16:7); और वह भली-भांति जानता है कि जो बाहर से धर्मी दिखाई देते हैं वे अन्दर से कैसे अधर्म और दोगलेपन से भरे हैं (मत्ती 23:28)। इसीलिए परमेश्वर चाहता है कि हम मसीही विश्वासी भी लोगों का मूल्यांकन अपने स्वर्गीय पिता के उदाहरणानुसार भीतरी स्थिति को जानकर ही करें, ना कि बाहरी स्वरूप को देखकर।

   हमारा प्रेमी परमेश्वर पिता किसी को भी अपने पास आने से नहीं रोकता; चाहे वह अपनी या संसार कि नज़रों में कैसा भी हो, कितना भी गिरा हुआ और पाप से भरा हुआ क्यों ना हो (यशायाह 55:7)। और वह चाहता है कि हम मसीही विश्वासी भी इसी प्रेम, अनुग्रह और सहिषुणता को लोगों के दिखाएं; उनके लिए अपने दिलों के दरवाज़ों पर "बाहर रहें" नहीं वरन "स्वागत है" लगा कर रखें। - सिंडी हैस कैस्पर


आपका कथन, "परमेश्वर प्रेम है" किसी की समझ में नहीं आएगा जब तक आप अपने जीवन तथा व्यवहार से उसे दिखाएंगे नहीं।

परन्तु यहोवा ने शमूएल से कहा, न तो उसके रूप पर दृष्टि कर, और न उसके डील की ऊंचाई पर, क्योंकि मैं ने उसे अयोग्य जाना है; क्योंकि यहोवा का देखना मनुष्य का सा नहीं है; मनुष्य तो बाहर का रूप देखता है, परन्तु यहोवा की दृष्टि मन पर रहती है। - 1 शमूएल 16:7

बाइबल पाठ: यशायाह 55:1-9
Isaiah 55:1 अहो सब प्यासे लोगो, पानी के पास आओ; और जिनके पास रूपया न हो, तुम भी आकर मोल लो और खाओ! दाखमधु और दूध बिन रूपए और बिना दाम ही आकर ले लो। 
Isaiah 55:2 जो भोजनवस्तु नहीं है, उसके लिये तुम क्यों रूपया लगाते हो, और, जिस से पेट नहीं भरता उसके लिये क्यों परिश्रम करते हो? मेरी ओर मन लगाकर सुनो, तब उत्तम वस्तुएं खाने पाओगे और चिकनी चिकनी वस्तुएं खाकर सन्तुष्ट हो जाओगे। 
Isaiah 55:3 कान लगाओ, और मेरे पास आओ; सुनो, तब तुम जीवित रहोगे; और मैं तुम्हारे साथ सदा की वाचा बान्धूंगा अर्थात दाऊद पर की अटल करूणा की वाचा। 
Isaiah 55:4 सुनो, मैं ने उसको राज्य राज्य के लोगों के लिये साक्षी और प्रधान और आज्ञा देने वाला ठहराया है। 
Isaiah 55:5 सुन, तू ऐसी जाति को जिसे तू नहीं जानता बुलाएगा, और ऐसी जातियां जो तुझे नहीं जानतीं तेरे पास दौड़ी आएंगी, वे तेरे परमेश्वर यहोवा और इस्राएल के पवित्र के निमित्त यह करेंगी, क्योंकि उसने तुझे शोभायमान किया है।
Isaiah 55:6 जब तक यहोवा मिल सकता है तब तक उसकी खोज में रहो, जब तक वह निकट है तब तक उसे पुकारो; 
Isaiah 55:7 दुष्ट अपनी चालचलन और अनर्थकारी अपने सोच विचार छोड़कर यहोवा ही की ओर फिरे, वह उस पर दया करेगा, वह हमारे परमेश्वर की ओर फिरे और वह पूरी रीति से उसको क्षमा करेगा। 
Isaiah 55:8 क्योंकि यहोवा कहता है, मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं है, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है। 
Isaiah 55:9 क्योंकि मेरी और तुम्हारी गति में और मेरे और तुम्हारे सोच विचारों में, आकाश और पृथ्वी का अन्तर है।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 34-35
  • प्रेरितों 15:1-21