अप्रैल 1937 में मुसुलोनी की आक्रमणकारी सेना ने इथियोपिया के वालामो क्षेत्र में काम कर रहे सभी मसीही मिशनरी सेवकों को छोड़कर जाने पर विवश कर दिया। वे अपने पीछे 48 जन जिन्होंने मसीह यीशु को अपना उद्धाकर्ता माना था छोड़कर गए। उन पीछे छोड़े गए लोगों के पास उनके आत्मिक पोषण के लिए केवल मरकुस रचित सुसमाचार ही था और उन में से बहुत थोड़े ही थे जिन्हें पढ़ना आता था। लेकिन 4 वर्ष पश्चात जब वे मसीही मिशनरी उस इलाके में लौट कर आए तो ना केवल वह चर्च बचा हुआ था, वरन अब उसके 10,000 सदस्य थे!
जब प्रेरित पौलुस को थिस्सलुनीके छोड़ने को विवश किया गया (प्रेरितों 17:1-10) उसकी लालसा रही कि वह उन थोड़े से मसीही विश्वासियों के हाल-चाल को जाने जिन्हें वह पीछे छोड़ कर आया था (1 थिस्स्लुनिकीयों 2:17)। बाद में तिमुथियुस थिस्स्लुनीके की मसीही मण्डली से मिला और पौलुस के पास उनके विश्वास और प्रेम का समाचार लाया (1 थिस्स्लुनिकीयों 3:6)। तब तक वे लोग अन्य मसीही विश्वासियों और मकिदूनिया तथा अखया के क्षेत्र के लोगों के लिए उदाहरण और मसीही विश्वास के प्रचार का माध्यम बन चुके थे (1 थिस्स्लुनिकीयों 1:8)।
पौलुस ने कभी अपनी सेवकाई में लोगों की संख्या की किसी वृद्धि के लिए कोई श्रेय नहीं लिया, और ना ही उसने यह श्रेय किसी अन्य मनुष्य को दिया, वरन उसने इसका सारा श्रेय परमेश्वर को ही दिया। उसने अपनी सेवकाई से मसीही विश्वासियों की बढ़ोतरी के संबंध में लिखा: "मैं ने लगाया, अपुल्लोस ने सींचा, परन्तु परमेश्वर ने बढ़ाया" (1 कुरिन्थियों 3:6)।
कठिन परिस्थितियाँ हमारे अच्छे से अच्छे इरादों को भी बाधित कर सकती हैं, मित्रों और संबंधियों को एक दूसरे से पृथक कर सकती हैं, लेकिन परमेश्वर के इरादों को कभी बाधित नहीं कर सकतीं, उसकी योजनाओं को पनपने और बढ़ने से कभी रोक नहीं सकतीं। परमेश्वर अपनी मण्डली को बना और बढ़ा रहा है; हमें केवल विश्वासयोग्य रहकर, परिणामों की चिन्ता किए बगैर, उसका आज्ञाकारी बने रहना है और उसे अपना कार्य करने का अवसर प्रदान करते रहना है। - सी. पी. हिया
...मैं इस पत्थर पर अपनी कलीसिया बनाऊंगा: और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे। - प्रभु यीशु (मत्ती 16:18)
क्योंकि तुम्हारे यहां से न केवल मकिदुनिया और अखया में प्रभु का वचन सुनाया गया, पर तुम्हारे विश्वास की जो परमेश्वर पर है, हर जगह ऐसी चर्चा फैल गई है, कि हमें कहने की आवश्यकता ही नहीं। - 1 थिस्सलुनीकियों 1:8
बाइबल पाठ: 1 थिस्स्लुनिकीयों 2:17-3:7
1 Thessalonians 2:17 हे भाइयों, जब हम थोड़ी देर के लिये मन में नहीं वरन प्रगट में तुम से अलग हो गए थे, तो हम ने बड़ी लालसा के साथ तुम्हारा मुंह देखने के लिये और भी अधिक यत्न किया।
1 Thessalonians 2:18 इसलिये हम ने (अर्थात मुझ पौलुस ने) एक बार नहीं, वरन दो बार तुम्हारे पास आना चाहा, परन्तु शैतान हमें रोके रहा।
1 Thessalonians 2:19 भला हमारी आशा, या आनन्द या बड़ाई का मुकुट क्या है? क्या हमारे प्रभु यीशु के सम्मुख उसके आने के समय तुम ही न होगे?
1 Thessalonians 2:20 हमारी बड़ाई और आनन्द तुम ही हो।
1 Thessalonians 3:1 इसलिये जब हम से और भी न रहा गया, तो हम ने यह ठहराया कि एथेन्स में अकेले रह जाएं।
1 Thessalonians 3:2 और हम ने तीमुथियुस को जो मसीह के सुसमाचार में हमारा भाई, और परमेश्वर का सेवक है, इसलिये भेजा, कि वह तुम्हें स्थिर करे; और तुम्हारे विश्वास के विषय में तुम्हें समझाए।
1 Thessalonians 3:3 कि कोई इन क्लेशों के कारण डगमगा न जाए; क्योंकि तुम आप जानते हो, कि हम इन ही के लिये ठहराए गए हैं।
1 Thessalonians 3:4 क्योंकि पहिले भी, जब हम तुम्हारे यहां थे, तो तुम से कहा करते थे, कि हमें क्लेश उठाने पड़ेंगे, और ऐसा ही हुआ है, और तुम जानते भी हो।
1 Thessalonians 3:5 इस कारण जब मुझ से और न रहा गया, तो तुम्हारे विश्वास का हाल जानने के लिये भेजा, कि कहीं ऐसा न हो, कि परीक्षा करने वाले ने तुम्हारी परीक्षा की हो, और हमारा परिश्रम व्यर्थ हो गया हो।
1 Thessalonians 3:6 पर अभी तीमुथियुस ने जो तुम्हारे पास से हमारे यहां आकर तुम्हारे विश्वास और प्रेम का सुसमाचार सुनाया और इस बात को भी सुनाया, कि तुम सदा प्रेम के साथ हमें स्मरण करते हो, और हमारे देखने की लालसा रखते हो, जैसा हम भी तुम्हें देखने की।
1 Thessalonians 3:7 इसलिये हे भाइयों, हम ने अपनी सारी सकेती और क्लेश में तुम्हारे विश्वास से तुम्हारे विषय में शान्ति पाई।
एक साल में बाइबल:
- उत्पत्ति 31-32
- मत्ती 9:18-38