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शुक्रवार, 22 नवंबर 2013

धन्यवादी


   किसी को, उसके द्वारा दिए गए किसी उपहार के लिए, ’धन्यवाद’ कहकर हम उसे इस बात की जानकारी देते हैं कि उसके द्वारा हमें दिया गया उपहार हमारी नज़रों में मूल्यवान है तथा हम उसका आदर करते हैं। लेखक जी. बी. स्टर्न ने एक बार कहा, "एक मूक धन्यवाद किसी के लिए भी किसी काम का नहीं है"। जब हमारा बेटा छोटा था तो हमें अनेक बार उसे स्मरण दिलाना पड़ता था कि सर झुकाकर, बिना आँखों से आँखें मिलाए, धीमी आवाज़ में मात्र कुछ अस्पष्ट से शब्द बुदबुदा देना एक मान्य धन्यवाद देना नहीं है।

   शादी के कई वर्षों बाद भी मैं और मेरे पति, हम दोनो ही यह अभी भी सीख रहे हैं कि यह आवश्यक है कि हम परस्पर एक दूसरे को धन्यवाद कहते रहें। जब भी हम में से एक किसी दूसरे के प्रति धन्यवादी अनुभव करता है तो यह आवश्यक है कि हम उस भावना को प्रगट करें, शब्दों में व्यक्त भी करें - चाहे हम वही बात अनेक बार पहले भी कह चुके हों। विलियम आर्थर वार्ड ने कहा, "धन्यवादी अनुभव करने के बाद उसे व्यक्त ना करना, उपहार को सुन्दर रीति से लपेट और तैयार करके फिर उसे ना देने के समान ही है।" मानव संबंधों में धन्यवाद व्यक्त करना वास्तव में महत्वपूर्ण है।

   परमेश्वर के प्रति प्रगट रूप में धन्यवादी होना, मनुष्यों के प्रति प्रगट रूप में धन्यवादी होने से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि परमेश्वर का प्रेम और अनुग्रह अपार है; वह तो उनको भी देता रहता है जो उसे मानते तक नहीं। दिन में जितनी बार हम परमेश्वर से मिली आशीष अथवा सहायता को अनुभव करते हैं, या बीते समय में मिली सहायता और आशीषें हमें स्मरण आती हैं तो क्या हम परमेश्वर को उसी समय उनके लिए अपना धन्यवाद व्यक्त करते हैं? और हमारे पापों की क्षमा और हमारे उद्धार के लिए जो महान बलिदान उसने दिया, जब वह स्मरण करते हैं तो क्या हमारे हृदय परमेश्वर के प्रति श्रद्धा, आदर और धन्यवाद से उमड़ते हैं? (रोमियों 6:23; 2 कुरिन्थियों 9:15)

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 107:1 में दिए गए निर्देश को कभी ना भूलें, उसे प्रतिदिन स्मरण रखें: "यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; और उसकी करूणा सदा की है!" (भजन 107:1) - सिंडी हैस कैस्पर


हमारे उद्धार तथा पापों की क्षमा के लिए परमेश्वर की महान भेंट, सदैव ही हमारी सबसे गहन कृतज्ञता के योग्य है।

यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; और उसकी करूणा सदा की है! यहोवा के छुड़ाए हुए ऐसा ही कहें, जिन्हें उसने द्रोही के हाथ से दाम दे कर छुड़ा लिया है, - भजन 107:1-2

बाइबल पाठ: भजन 107:31-43
Psalms 107:31 लोग यहोवा की करूणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें। 
Psalms 107:32 और सभा में उसको सराहें, और पुरनियों के बैठक में उसकी स्तुति करें।
Psalms 107:33 वह नदियों को जंगल बना डालता है, और जल के सोतों को सूखी भूमि कर देता है। 
Psalms 107:34 वह फलवन्त भूमि को नोनी करता है, यह वहां के रहने वालों की दुष्टता के कारण होता है। 
Psalms 107:35 वह जंगल को जल का ताल, और निर्जल देश को जल के सोते कर देता है। 
Psalms 107:36 और वहां वह भूखों को बसाता है, कि वे बसने के लिये नगर तैयार करें; 
Psalms 107:37 और खेती करें, और दाख की बारियां लगाएं, और भांति भांति के फल उपजा लें। 
Psalms 107:38 और वह उन को ऐसी आशीष देता है कि वे बहुत बढ़ जाते हैं, और उनके पशुओं को भी वह घटने नहीं देता। 
Psalms 107:39 फिर अन्धेर, विपत्ति और शोक के कारण, वे घटते और दब जाते हैं। 
Psalms 107:40 और वह हाकिमों को अपमान से लाद कर मार्ग रहित जंगल में भटकाता है; 
Psalms 107:41 वह दरिद्रों को दु:ख से छुड़ा कर ऊंचे पर रखता है, और उन को भेड़ों के झुंड सा परिवार देता है। 
Psalms 107:42 सीधे लोग देख कर आनन्दित होते हैं; और सब कुटिल लोग अपने मुंह बन्द करते हैं। 
Psalms 107:43 जो कोई बुद्धिमान हो, वह इन बातों पर ध्यान करेगा; और यहोवा की करूणा के कामों पर ध्यान करेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल 18-19 
  • याकूब 4