फारस देश की एक छोटी कहानी है; एक बुद्धिमान और प्रजा की प्रिय शाह वहाँ पर राज्य करता था। शाह ने एक दिन अपना भेस बदला और नगर के सार्वजनिक स्नानागार के हाल देखने गया। स्नानागार में पानी, तहखाने में लगी आग की भट्टी द्वारा गरम कर के लोगों को दिया जाता था। शाह उस अन्धेरे, धुएं और घुटन भरे तहखाने में गया और भट्टी को प्रज्वलित रखने के कार्य में लगे व्यक्ति के पास जा कर बैठ गया और उससे बातें करने लगा। शाह ने उस अकेले स्थान पर कठिन परिस्थितियों काम पर लगे व्यक्ति से मित्रता करी और प्रतिदिन उसके पास आकर और उसके साथ बैठ कर बातें करने में समय बिताने लगा, और उसके भोजन में से भी उसके साथ संभागी होने लगा। भट्टी पर काम करने वाला मज़दूर अपने इस मित्र से बहुत प्रभावित हुआ क्योंकि वह वहाँ आता था जहाँ वह स्वयं था और वह शाह को बहुत प्रीय जानने लगा। एक दिन शाह ने उसे अपने महल बुलवाया और उसे अपना वास्तविक परिचय दिया। शाह सोच रहा था कि अब अपनी स्थिति सुधारने के लिए वह साधारण सा मज़दूर अब उस से बहुत धन और भेंट की आशा रखेगा, किंतु उस मज़दूर ने बड़े प्रेम, आदर और विस्मय से अपने शाह कि ओर देखा और कहा, "आपने अपने ऐश्वर्य, वैभव और महिमा को मेरे साथ उस अन्धेरे, धुंए और घुटन से भरे कमरे बैठने के लिए छोड़ा, मेरे साथ ज़मीन पर बैठ कर मेरा साधारण सा खाना खाया। अन्य लोगों को तो आप कीमती उपहार देते हैं, लेकिन मुझे तो आपने अपने आप को ही दे दिया। अब इससे अधिक और क्या होगा? मैं और क्या उम्मीद रख सकता हूँ? आपका यह प्रेम ही मेरे लिए सब कुछ है।"
जो प्रभु यीशु ने हमारे लिए किया, जब हम उस के बारे में विचार करते हैं तो जैसे उस भट्टी देखने वाले मज़दूर की भावनाएं अपने शाह के लिए थीं, उसी के समान ही हमारी भी भावनाएं प्रभु यीशु के लिए हो जाती हैं। प्रभु यीशु ने हमें पापों से मुक्ति और अनन्त काल का उद्धार देने के लिए एक दास का स्वरूप ले लिया; वे स्वर्ग से उतर कर धरती पर आ गए; स्वर्गदूतों की आराधना छोड़ कर क्रूर मनुष्यों के उपहास और निन्दा को सुनने आ गए; स्वर्ग के आदर और महिमा को छोड़ कर अपमान और तिरिस्कार को लेने आ गए। प्रभु यीशु ने "मनुष्य के रूप में प्रगट हो कर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली" (फिलिप्पियों २:८)।
हमारा सृष्टीकर्ता हमारा उद्धारकर्ता बन गया। केवल वही हमारी आरधना और विनीत श्रद्धा का विष्य होने के योग्य है, क्योंकि वह आज भी हमारी हर परिस्थिति में हमारे लिए हमारे साथ है। - पौल वैन गोर्डर
परमेश्वर की सर्वोच्च भेंट, प्रभु यीशु को, हमारे हृदय की सर्वाधिक गहराई से निकली कृतज्ञता का पात्र सदैव रहना चाहिए।
और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण हो कर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा। - युहन्ना १:१४
बाइबल पाठ: युहन्ना १:१-१४
Joh 1:1 आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था।
Joh 1:2 यही आदि में परमेश्वर के साथ था।
Joh 1:3 सब कुछ उसी के द्वारा उत्पन्न हुआ और जो कुछ उत्पन्न हुआ है, उस में से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्पन्न न हुई।
Joh 1:4 उस में जीवन था; और वह जीवन मुनष्यों की ज्योति थी।
Joh 1:5 और ज्योति अन्धकार में चमकती है; और अन्धकार ने उसे ग्रहण न किया।
Joh 1:6 एक मनुष्य परमेश्वर की ओर से आ उपस्थित हुआ जिस का नाम यूहन्ना था।
Joh 1:7 यह गवाही देने आया, कि ज्योति की गवाही दे, ताकि सब उसके द्वारा विश्वास लाएं।
Joh 1:8 वह आप तो वह ज्योति न था, परन्तु उस ज्योति की गवाही देने के लिये आया था।
Joh 1:9 सच्ची ज्योति जो हर एक मनुष्य को प्रकाशित करती है, जगत में आने वाली थी।
Joh 1:10 वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना।
Joh 1:11 वह अपने घर में आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया।
Joh 1:12 परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उस ने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं।
Joh 1:13 वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं।
Joh 1:14 और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण हो कर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा।
एक साल में बाइबल:
- मीका १-३
- प्रकाशितवाक्य ११