डायना और डेव को, जब दिन गर्म हो और सूर्य चमक रहा हो तो अपनी स्की पर झील में पानी के ऊपर इधर से उधर विचरण करना अच्छा लगता है। एक सुबह जब मौसम थोड़ा ठंडा था और बादल भी थे तो डायना डेव को स्कीइंग के लिए मना नहीं सकी, इसलिए उसने अकेले ही स्कीइंग करने की ठान ली। स्कीइंग करना आरंभ करने पर उसे पता चला कि वहां झील के पानी के ऊपर बहुत ठंडा था और वह कुछ गर्मी पाने के लिए बादलों की छाया के बीच यहां-वहां चमकते सूर्य के स्थानों के पीछे स्की लेकर भागती रही, किंतु जब तक वह उस स्थान पर पहुँचती, बादल वहां भी छाया कर देते और उसे फिर से कोई ऐसा स्थान ढूंढना पड़ता जहां सूर्य चमक रहा हो। कुछ देर के बाद उसे अपने इन प्रयासों की व्यर्थता का एहसास हुआ और वह पानी से बाहर आ गई, क्योंकि जिस आनन्द की उसे अभिलाषा थी वह उसे नहीं मिला।
परमेश्वर के वचन बाइबल में हम पाते हैं राजा सुलेमान ने एक अन्य प्रकार से संतुष्टि पाने के लिए अभिलाषाओं का पीछा किया (सभोपदेशक २:१)। सभोपदेशक पुस्तक के दूसरे अध्याय के पहले ११ पदों में ही सुलेमान बताता है कि उसने संतुष्टि पाने के लिए जिन अभिलाषाओं का पीछा किया वे थीं आनन्द, विनोद, मदिरा, बुद्धि, मकान, बाग़-बग़ीचे, धन, संपत्ति, संगीत, वासना और हर प्रकार की इच्छापूर्ति। इन सब का पीछा करने और भोगने के बाद उसका निष्कर्ष था, "तब मैं ने फिर से अपने हाथों के सब कामों को, और अपने सब परिश्रम को देखा, तो क्या देखा कि सब कुछ व्यर्थ और वायु को पकड़ना है, और संसार में कोई लाभ नहीं" (सभोपदेशक २:११)। सुलेमान अपनी इस पुस्तक का आरंभ करता है सांसारिक अभिलाषाओं की व्यर्थता को बताने से, "उपदेशक का यह वचन है, कि व्यर्थ ही व्यर्थ, व्यर्थ ही व्यर्थ! सब कुछ व्यर्थ है" (सभोपदेशक १:२) और इस पुस्तक के अन्त में उसका बुद्धिमतापूर्ण निष्कर्ष था, "सब कुछ सुना गया; अन्त की बात यह है कि परमेश्वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर; क्योंकि मनुष्य का सम्पूर्ण कर्त्तव्य यही है। क्योंकि परमेश्वर सब कामों और सब गुप्त बातों का, चाहे वे भली हों या बुरी, न्याय करेगा" (सभोपदेशक १२:१३, १४)।
कहीं आप भी उन ही अभिलाषाओं के पीछे तो नहीं भाग रहे हैं जिनके पीछे राजा सुलेमान था? यदि हां, तो जान लीजिए कि यह एक व्यर्थ प्रयास है। सच्ची संतुष्टि अभिलाषाओं के पीछे भागने से नहीं केवल एकमात्र सच्चे परमेश्वर प्रभु यीशु को जानने और उसकी आज्ञाकरिता में रहने से मिलती है। व्यर्थ अभिलाषाओं के पीछे अपना जीवन व्यर्थ मत कीजिए; परमेश्वर के वचन बाइबल और उन के अनुभवों से सीखिए जो इस मार्ग पर चलकर देख चुके हैं। - ऐने सेटास
केवल परमेश्वर ही एक खाली हृदय को भर सकता है।
तब मैं ने फिर से अपने हाथों के सब कामों को, और अपने सब परिश्रम को देखा, तो क्या देखा कि सब कुछ व्यर्थ और वायु को पकड़ना है, और संसार में कोई लाभ नहीं। - सभोपदेशक २:११
बाइबल पाठ: सभोपदेशक २:१-११
Ecc 2:1 मैं ने अपने मन से कहा, चल, मैं तुझ को आनन्द के द्वारा जांचूंगा; इसलिये आनन्दित और मगन हो। परन्तु देखो, यह भी व्यर्थ है।
Ecc 2:2 मैं ने हंसी के विषय में कहा, यह तो बावलापन है, और आनन्द के विषय में, उस से क्या प्राप्त होता है?
Ecc 2:3 मैं ने मन में सोचा कि किस प्रकार से मेरी बुद्धि बनी रहे और मैं अपने प्राण को दाखमधु पीने से क्योंकर बहलाऊं और क्योंकर मूर्खता को थामे रहूं, जब तक मालूम न करूं कि वह अच्छा काम कौन सा है जिसे मनुष्य जीवन भर करता रहे।
Ecc 2:4 मैं ने बड़े बड़े काम किए; मैं ने अपने लिये घर बनवा लिए और अपने लिये दाख की बारियां लगवाईं;
Ecc 2:5 मैं ने अपने लिये बारियां और बाग लगावा लिए, और उन में भांति भांति के फलदाई वृक्ष लगाए।
Ecc 2:6 मैं ने अपने लिये कुण्ड खुदवा लिए कि उन से वह वन सींचा जाए जिस में पौधे लगाए जाते थे।
Ecc 2:7 मैं ने दास और दासियां मोल लीं, और मेरे घर में दास भी उत्पन्न हुए; और जितने मुझ से पहिले यरूशलेम में थे उन से कहीं अधिक गाय-बैल और भेड़-बकरियों का मैं स्वामी था।
Ecc 2:8 मैं ने चान्दी और सोना और राजाओं और प्रान्तों के बहुमूल्य पदार्थों का भी संग्रह किया; मैं ने अपने लिये गवैयों और गाने वालियों को रखा, और बहुत सी कामिनियां भी, जिन से मनुष्य सुख पाते हैं, अपनी कर लीं।
Ecc 2:9 इस प्रकार मैं अपने से पहिले के सब यरूशलेमवासियों से अधिक महान और धनाढय हो गया; तौभी मेरी बुद्धि ठिकाने रही।
Ecc 2:10 और जितनी वस्तुओं के देखने की मैं ने लालसा की, उन सभों को देखने से मैं न रूका; मैं ने अपना मन किसी प्रकार का आनन्द भोगने से न रोका क्योंकि मेरा मन मेरे सब परिश्रम के कारण आनन्दित हुआ; और मेरे सब परिश्रम से मुझे यही भाग मिला।
Ecc 2:11 तब मैं ने फिर से अपने हाथों के सब कामों को, और अपने सब परिश्र्म को देखा, तो क्या देखा कि सब कुछ व्यर्थ और वायु को पकड़ना है, और संसार में कोई लाभ नहीं।
एक साल में बाइबल:
- भजन ११९:१-८८
- १ कुरिन्थियों ७:२०-४०