मैं कुछ युवाओं के साथ एक मिशन दौरे पर
जाने की तैयारी कर रही थी, और इस तैयारी के दौरान उन युवाओं के द्वारा मुझ से
सर्वाधिक पूछा जाने वाला प्रश्न था, “क्या वहाँ वाई-फाई होगा?” और मैंने उन्हें आश्वस्त
किया कि हाँ वहाँ वाई-फाई होगा। अब आप उन खिसियाहट, गुस्से,
और निराशा भरी आवाजों के उठने बारे अंदाज़ा लगा सकते हैं जब एक रात वाई-फाई में
खराबी आ गई और वह उपलब्ध नहीं रहा।
आज हम में से बहुतेरे बहुत व्याकुल हो
जाते हैं जब हम अपने स्मार्ट-फोन्स से अलग कर दिए जाते हैं। और जब वो फोन हमारे
हाथों में होते हैं तो हम उनके स्क्रीन पर आँखें गड़ाए रहते हैं। अनेकों अन्य बातों
के समान, इंटरनेट और वो
बातें जिन्हें हम इंटरनेट पर देख सकते हैं, हमारे लिए या तो
ध्यान बंटाने का, या फिर आशीष का कारण बन सकती हैं; यह उस पर
निर्भर करता है जो हम उसके साथ करते हैं – चुनाव हमारा होता है। परमेश्वर के वचन
बाइबल में हम नीतिवचन में पढ़ते हैं, “समझने वाले का मन ज्ञान
की खोज में रहता है, परन्तु मूर्ख लोग मूढ़ता से पेट भरते
हैं” (15:14)।
परमेश्वर के वचन की बुद्धिमानी को अपने
जीवनों में लागू करते हुए हम अपने आप से पूछ सकते हैं: क्या हमारा चुनाव दिन भर
सोशल नेटवर्क्स को बारंबार देखते रहने का रहता है? यदि ऐसा है, तो यह उन बातों के बारे
में क्या कहता है, जिनकी हमें लालसा रहती है? हम जिन बातों को नेट पर देखने और पढ़ने का चुनाव करते हैं, क्या उन से विवेक पूर्ण जीवन जीने का प्रोत्साहन मिलता है, (पद 16-21),
या हम व्यर्थ बातें, जैसे कि बकवाद,
निन्दा, सांसारिकता, या यौन संबंधित
अपवित्रता आदि में समय बिताने का चुनाव करते हैं?
हम जैसे-जैसे परमेश्वर के पवित्र आत्मा के
कार्य के प्रति समर्पित होते चले जाएँगे, तो हम अपने मन और हृदय उन बातों से भरने लगेंगे जो “सत्य, आदरणीय, और उचित, पवित्र, सुहावनी, मनभावनी” हैं। परमेश्वर की बुद्धिमत्ता से
हम उन बातों के पक्ष में चुनाव कर सकते हैं जो परमेश्वर को आदर देती हैं। - पो
फैंग चिया
हम जिन
बातों को अपने मन में आ लेने देते हैं, वे ही हमारी मनोदशा को निर्धारित करती हैं।
निदान, हे भाइयों, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं,
और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र
हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो
जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सदगुण
और प्रशंसा की बातें हैं, उन्हीं पर ध्यान लगाया करो। - फिलिप्पियों
4:8
बाइबल
पाठ: नीतिवचन 15:9-21
नीतिवचन
15:9 दुष्ट के चाल चलन से यहोवा को घृणा आती है, परन्तु जो धर्म का पीछा करता उस से वह प्रेम रखता है।
नीतिवचन
15:10 जो मार्ग को छोड़ देता, उसको बड़ी ताड़ना मिलती है, और जो डांट से बैर रखता,
वह अवश्य मर जाता है।
नीतिवचन
15:11 जब कि अधोलोक और विनाश लोक यहोवा के सामने खुले रहते हैं, तो निश्चय मनुष्यों के मन भी।
नीतिवचन
15:12 ठट्ठा करने वाला डांटे जाने से प्रसन्न नहीं होता, और न वह बुद्धिमानों के पास जाता
है।
नीतिवचन
15:13 मन आनन्दित होने से मुख पर भी प्रसन्नता छा जाती है, परन्तु मन के दु:ख से आत्मा निराश
होती है।
नीतिवचन
15:14 समझने वाले का मन ज्ञान की खोज में रहता है, परन्तु मूर्ख लोग मूढ़ता से पेट भरते हैं।
नीतिवचन
15:15 दुखिया के सब दिन दु:ख भरे रहते हैं, परन्तु जिसका मन प्रसन्न रहता है, वह
मानो नित्य भोज में जाता है।
नीतिवचन
15:16 घबराहट के साथ बहुत रखे हुए धन से, यहोवा के भय के साथ थोड़ा ही धन उत्तम है,
नीतिवचन
15:17 प्रेम वाले घर में साग पात का भोजन, बैर वाले घर में पाले हुए बैल का मांस खाने से उत्तम है।
नीतिवचन
15:18 क्रोधी पुरुष झगड़ा मचाता है,
परन्तु जो विलम्ब से क्रोध करने वाला है, वह मुकद्दमों
को दबा देता है।
नीतिवचन
15:19 आलसी का मार्ग कांटों से रुंधा हुआ होता है, परन्तु सीधे लोगों का मार्ग राजमार्ग ठहरता है।
नीतिवचन
15:20 बुद्धिमान पुत्र से पिता आनन्दित होता है, परन्तु मूर्ख अपनी माता को तुच्छ जानता है।
नीतिवचन
15:21 निर्बुद्धि को मूढ़ता से आनन्द होता है, परन्तु समझ वाला मनुष्य सीधी चाल चलता है।
एक साल में बाइबल:
- नीतिवचन 13-15
- 2 कुरिन्थियों 5