परमेश्वर के वचन बाइबल में एक घटना है, याकूब के विवाह की। याकूब अपने मामा लाबान के यहाँ रहता और कार्य करता था, और लाबान की छोटी बेटी राहेल से प्रेम करता था। याकूब ने लाबान से राहेल का हाथ माँगा तो लाबान ने स्वीकार कर लिया, लेकिन शादी के समय राहेल के स्थान पर उसकी बड़ी बहिन लियाह को, जो आँखों से कमज़ोर थी, याकूब को दे दिया। शादी की रात याकूब ने लियाह के साथ यह समझते हुए बिताई कि वह राहेल के साथ है, लेकिन दिन निकलने पर उसे पता पड़ा कि उसके साथ धोखा हुआ है। अब अपनी प्रेमिका को पाने के लिए याकूब को लाबान के साथ एक और समझौते में पड़ना पड़ा। लाबान ने लियाह को याकूब से ब्याह तो दिया लेकिन वह लियाह से याकूब को सच्चा प्रेम करवाने में असफल रहा, याकूब सदा ही लियाह से कम और राहेल से अधिक प्रेम करता रहा।
लियाह द्वारा अपने आप को याकूब की नज़रों में "दूसरे दर्जे" का होना का आभास सदा ही होता रहा। इस बात का एहसास हमें होता है लियाह द्वारा अपने पहले तीन पुत्रों को दिए गए नामों के द्वारा। उसने अपने सबसे पहले पुत्र का नाम रखा रूबेन जिसका अर्थ है "देखो, एक पुत्र"; फिर दूसरे पुत्र का नाम रखा शिमौन जिसका अर्थ है "सुन लेना" और तीसरे पुत्र का नाम रखा लेवी जिसका अर्थ है "मिलाना"; जबकि राहेल जिससे याकूब प्रेम रखता था बाँझ ही रही। अपने हर पुत्र के जन्म के साथ लियाह को आशा होती थी कि उसका पति अब उसे प्रेम करने लगेगा, अपने पुत्रों में होकर वह अपने पति के प्रेम को पाना चाहती थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, और समय के साथ लियाह की आशा भी बदलने लगी, उसे अब एहसास होने लगा कि चाहे उसका पति उससे प्रेम ना भी करे तौ भी परमेश्वर उससे प्रेम करता है और उसे आशीष दे रहा है, और परमेश्वर के प्रेम को पाने के लिए उसे अपने किसी प्रयास के करने की आवश्यकता नहीं है - वह पहले से ही उससे प्रेम करता आ रहा है, इसलिए उसने अपने चौथे पुत्र का नाम रखा यहूदा जिसका अर्थ है "उत्सव मनाना"।
यही बात हम सभी के लिए भी ऐसी ही लागू है - हम परमेश्वर के प्रेम को "कमा" नहीं सकते क्योंकि हमारे प्रति उसका प्रेम हमारे किए किसी कार्य पर निर्भर नहीं है। परमेश्वर ने हमसे हमारे पाप की दशा में होने पर भी प्रेम किया, इतना प्रेम कि हमारे लिए अपने एकलौते पुत्र प्रभु यीशु मसीह को बलिदान होने संसार में भेजा, जिससे उसके साथ हमारे मेल-मिलाप का रास्ता बन जाए (रोमियों 5:8)। परमेश्वर की नज़रों में हमारा मूल्य बहुत है, हम "दूसरे दर्जे" के नहीं हैं; वह हमारे साथ रहना चाहता है, संगति करना चाहता है, अपने साथ स्वर्ग में रखना चाहता है। क्या आप उसके द्वारा इस प्रकार मूल्यवान आंके जाने को महत्व देंगे? - सिंडी हैस कैस्पर
प्रभु यीशु के क्रूस पर दिए गए बलिदान से बढ़कर हम मनुष्यों के प्रति परमेश्वर के प्रेम को और कुछ वर्णन नहीं कर सकता।
परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा। - रोमियों 5:8
बाइबल पाठ: उत्पत्ति 29:16-35
Genesis 29:16 लाबान के दो बेटियां थी, जिन में से बड़ी का नाम लिआ: और छोटी का राहेल था।
Genesis 29:17 लिआ: के तो धुन्धली आंखे थी, पर राहेल रूपवती और सुन्दर थी।
Genesis 29:18 सो याकूब ने, जो राहेल से प्रीति रखता था, कहा, मैं तेरी छोटी बेटी राहेल के लिये सात बरस तेरी सेवा करूंगा।
Genesis 29:19 लाबान ने कहा, उसे पराए पुरूष को देने से तुझ को देना उत्तम होगा; सो मेरे पास रह।
Genesis 29:20 सो याकूब ने राहेल के लिये सात बरस सेवा की; और वे उसको राहेल की प्रीति के कारण थोड़े ही दिनों के बराबर जान पड़े।
Genesis 29:21 तब याकूब ने लाबान से कहा, मेरी पत्नी मुझे दे, और मैं उसके पास जाऊंगा, क्योंकि मेरा समय पूरा हो गया है।
Genesis 29:22 सो लाबान ने उस स्थान के सब मनुष्यों को बुला कर इकट्ठा किया, और उनकी जेवनार की।
Genesis 29:23 सांझ के समय वह अपनी बेटी लिआ: को याकूब के पास ले गया, और वह उसके पास गया।
Genesis 29:24 और लाबान ने अपनी बेटी लिआ: को उसकी लौंडी होने के लिये अपनी लौंडी जिल्पा दी।
Genesis 29:25 भोर को मालूम हुआ कि यह तो लिआ है, सो उसने लाबान से कहा यह तू ने मुझ से क्या किया है? मैं ने तेरे साथ रहकर जो तेरी सेवा की, सो क्या राहेल के लिये नहीं की? फिर तू ने मुझ से क्यों ऐसा छल किया है?
Genesis 29:26 लाबान ने कहा, हमारे यहां ऐसी रीति नहीं, कि जेठी से पहिले दूसरी का विवाह कर दें।
Genesis 29:27 इसका सप्ताह तो पूरा कर; फिर दूसरी भी तुझे उस सेवा के लिये मिलेगी जो तू मेरे साथ रह कर और सात वर्ष तक करेगा।
Genesis 29:28 सो याकूब ने ऐसा ही किया, और लिआ: के सप्ताह को पूरा किया; तब लाबान ने उसे अपनी बेटी राहेल को भी दिया, कि वह उसकी पत्नी हो।
Genesis 29:29 और लाबान ने अपनी बेटी राहेल की लौंडी होने के लिये अपनी लौंडी बिल्हा को दिया।
Genesis 29:30 तब याकूब राहेल के पास भी गया, और उसकी प्रीति लिआ: से अधिक उसी पर हुई, और उसने लाबान के साथ रहकर सात वर्ष और उसकी सेवा की।
Genesis 29:31 जब यहोवा ने देखा, कि लिआ: अप्रिय हुई, तब उसने उसकी कोख खोली, पर राहेल बांझ रही।
Genesis 29:32 सो लिआ: गर्भवती हुई, और उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ, और उसने यह कहकर उसका नाम रूबेन रखा, कि यहोवा ने मेरे दु:ख पर दृष्टि की है: सो अब मेरा पति मुझ से प्रीति रखेगा।
Genesis 29:33 फिर वह गर्भवती हुई और उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ; और उसने यह कहा कि यह सुनके, कि मैं अप्रिय हूं यहोवा ने मुझे यह भी पुत्र दिया: इसलिये उसने उसका नाम शिमोन रखा।
Genesis 29:34 फिर वह गर्भवती हुई और उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ; और उसने कहा, अब की बार तो मेरा पति मुझ से मिल जाएगा, क्योंकि उस से मेरे तीन पुत्र उत्पन्न हुए: इसलिये उसका नाम लेवी रखा गया।
Genesis 29:35 और फिर वह गर्भवती हुई और उसके एक और पुत्र उत्पन्न हुआ; और उसने कहा, अब की बार तो मैं यहोवा का धन्यवाद करूंगी, इसलिये उसने उसका नाम यहूदा रखा; तब उसकी कोख बन्द हो गई।
एक साल में बाइबल:
- लैव्यवस्था 15-16
- मत्ती 27:1-26