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बुधवार, 18 नवंबर 2020

मार्गदर्शन

 

         साइमन को जब कार्य-स्थल पर एक नई भूमिका निभाने का अवसर मिला तो उसे लगा कि यह परमेश्वर द्वारा दिया गया अवसर है। इस निर्णय के विषय प्रार्थना करने और परामर्श लेने के बाद उसे लगा कि परमेश्वर चाहता है कि वह इस अवसर को स्वीकार कर ले तथा और बड़ी चुनौतियों को उठाए। सब कुछ ठीक से होता लग रहा था, और उसके अफसर ने भी उसके इस निर्णय को सराहा और उसे इसके लिए प्रोत्साहित किया। फिर बात बिगड़ने लगी। उसके कुछ सहकर्मियों को उसकी इस तरक्की से ईर्ष्या हुई और उन्होंने उसके साथ सहयोग करना बन्द कर दिया। साइमन सोचने लगा कि क्या उसे अपने कदम वापस ले लेने चाहिएँ।

         परमेश्वर के वचन बाइबल में हम पाते हैं कि जब इस्राएली परमेश्वर के घर के पुनःनिर्माण के लिए यरूशलेम लौट कर आए तब उनके शत्रुओं ने उन्हें धमकाना और निराश करना चाहा (एज्रा 4:4)। पहले तो इस्राएलियों ने कार्य रोक दिया, परन्तु हाग्गै तथा ज़कर्याह भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा परमेश्वर से प्रोत्साहन प्राप्त करने के बाद उन्होंने कार्य को फिर से आरंभ कर दिया (एज्रा 4:24-5:2)।

         एक बार फिर शत्रु उन्हें तंग करने के लिए आए, परन्तु इस बार वे कार्य में लगे रहे, क्योंकि उन्हें पता था कि उनका परमेश्वर उन पर दृष्टि बनाए हुए है और उनकी देखभाल कर रहा है (एज्रा 5:5)। वे परमेश्वर के निर्देशों को दृढ़ता के साथ थामे रहे और अपने भरोसे को बनाए रखा कि हर विरोध में परमेश्वर उनका मार्गदर्शन करता रहेगा और उन्हें सफल करेगा। यही हुआ, और परमेश्वर ने फारस के राजा को मंदिर के निर्माण को पूरा करने में उनकी सहायता करने के लिए उभारा (पद 13-14)।

         इसी प्रकार से साइमन ने भी परमेश्वर से बुद्धिमत्ता माँगी, कि वह निर्णय ले सके, कि उसे वहीं रहना है या किसी अन्य स्थान पर जाना है। जब उसे लगा कि परमेश्वर चाहता है कि वह वहीं बना रहे, तो उसने परमेश्वर के मार्गदर्शन पर भरोसा किया, परमेश्वर से दृढ़ बने रहने के लिए सामर्थ्य माँगी। धीरे-धीरे, समय के साथ उसके साथियों का विरोध घटता गया और वे उसे स्वीकार करते चले गए।

         जब हम परमेश्वर का अनुसरण करने का प्रयास करते हैं, तो वह हमें जहाँ भी रखता है, संभव है कि हमें वहाँ लोगों के प्रतिरोध का सामना करना पड़े। यही वह समय होता है जब हमें परमेश्वर के मार्गदर्शन का पालन करना चाहिए। वह हर परिस्थिति से हमें अपने मार्गदर्शन में निकालते हुए ले जाएगा। - लेसली कोह

 

दृढ़ बने रहो, क्योंकि परमेश्वर की दृष्टि तुम पर बनी हुई है।


देखो, यहोवा की दृष्टि उसके डरवैयों पर और उन पर जो उसकी करुणा की आशा रखते हैं बनी रहती है - भजन 33:18

बाइबल पाठ: एज्रा 5:1-5

एज़्रा 5:1 तब हाग्गै नामक नबी और इद्दो का पोता जकर्याह यहूदा और यरूशलेम के यहूदियों से नबूवत करने लगे, उन्होंने इस्राएल के परमेश्वर के नाम से उन से नबूवत की।

एज़्रा 5:2 तब शालतीएल का पुत्र जरुब्बाबेल और योसादाक का पुत्र येशू, कमर बान्ध कर परमेश्वर के भवन को जो यरूशलेम में है बनाने लगे; और परमेश्वर के वे नबी उनका साथ देते रहे।

एज़्रा 5:3 उसी समय महानद के इस पार का तत्तनै नाम अधिपति और शतर्बोजनै अपने सहचरियों समेत उनके पास जा कर यों पूछने लगे, कि इस भवन के बनाने और इस शहरपनाह के खड़े करने की किस ने तुम को आज्ञा दी है?

एज़्रा 5:4 तब हम लोगों से यह कहा, कि इस भवन के बनाने वालों के क्या क्या नाम हैं?

एज़्रा 5:5 परन्तु यहूदियों के पुरनियों के परमेश्वर की दृष्टि उन पर रही, इसलिये जब तक इस बात की चर्चा दारा से न की गई और इसके विषय चिट्ठी के द्वारा उत्तर न मिला, तब तक उन्होंने इन को न रोका।

 

एक साल में बाइबल: 

  • यहेजकेल 8-10
  • इब्रानियों 13