2. वैज्ञानिक आविष्कारों के लिए प्रेरणा एवं मार्गदर्शन देने में अनुपम।
बाइबल में प्रयुक्त ऐसे शब्दों और वाक्यांशों
का प्रयोग, जिनके आधार पर वैज्ञानिक खोज की गईं, समकालीन साहित्य तथा गैर-मसीहियों के द्वारा भी होता
रहा है, किन्तु उन्होंने तथा उनके पाठकों ने बाइबल
के शब्दों और बातों को केवल आलंकारिक भाषा समझा, अथवा उन्हें विश्वास करने योग्य मानकर
गंभीरता से नहीं लिया; इसलिए उनके आधार पर कोई कार्यवाही नहीं की।
लेकिन कुछ लोगों ने, जो बाइबल और बाइबल के परमेश्वर पर विश्वास
रखते थे और रखते हैं, उन शब्दों और बातों को गंभीरता से लिया, उन बातों पर विश्वास किया, और इस विचारधारा के साथ उनके विषय कार्यवाही की, कि यदि बाइबल यह कहती है, तो यह सच ही है, और इसकी आगे जाँच करके, इसके आधार पर कार्यवाही करना लाभप्रद होगा।
पृथ्वी का गोलाकार होने, जल का चक्र, संक्रमण की बीमारियों की रोक-थाम के लिए संक्रमित रोगियों को पृथक करना, स्वच्छता और हाथ-पैर धोने के महत्व, आदि बातों के महत्व को वैज्ञानिकों द्वारा पहचानने
और मानने से सदियों पहले,
बाइबल में लिख दिया गया था, और परमेश्वर के लोगों से उनका पालन करने के लिए कहा
गया था।
बाइबल की सबसे प्राचीन पुस्तक, पुराने नियम में अय्यूब की पुस्तक में, जो लगभग 2000 ईस्वी पूर्व में लिखी गई थी, परमेश्वर ने अय्यूब से "समुद्र के सोतों"
के विषय में पूछा,
"क्या तू कभी समुद्र
के सोतों तक पहुंचा है, वा गहिरे सागर
की थाह में कभी चला फिरा है?" (अय्यूब 38:16)। इन "समुद्र के सोतों"
को सबसे पहले सन 1973 में गहरे समुद्र के तल में मिड-एटलांटिक रिज में देखा गया जिन
में से पानी निकल कर समुद्र में मिल रहा था; और 1977 में गहरे सागर के तल में गरम पानी के अद्भुत सोते देखे गए, और उनके चित्र लिए गए। सुविख्यात पत्रिका नैशनल जियोग्राफिक
ने अपने नवंबर 1979 के अंक में इन गहरे सागर-तल में विद्यमान "समुद्र के सोतों"
पर एक लेख प्रकाशित किया।
अमेरिका की नौ सेना के एक मसीही विश्वासी
अफसर, मैथ्यू फ़ौनटेन मौरे का ध्यान बाइबल की सभोपदेशक
नामक पुस्तक में लिखी बात,
"वायु दक्खिन की ओर
बहती है, और उत्तर की ओर घूमती जाती है; वह घूमती और बहती रहती है, और अपने चक्करों में लौट आती है" (सभोपदेशक 1:6), तथा "आकाश के पक्षी और समुद्र की मछलियां, और जितने जीव-जन्तु समुद्रों में चलते फिरते हैं" (भजन 8:8) पर गया, और उसने निर्णय लिया कि वह बाइबल में उल्लेखित वायु
बहने और समुद्र के जलचरों के जल-मार्गों का पता लगाएगा। उसके अथक प्रयासों और वायु
तथा समुद्र-जल के प्रवाहित होने की धाराओं के अध्ययन और प्रकाशन के द्वारा नाविकों
के लिए समुद्र में यात्रा तथा कार्य करने में बहुत सहायता हुई। मैथ्यू फ़ौनटेन मौरे
की मृत्यु-उपरांत, उनकी स्मृति में एक स्मारक बनाया गया जिसमें
एक पत्थर की तख्ती पर तराश कर ये शब्द लिखकर लगाए गए: “Mathew Fontaine Maury, Pathfinder of
the Seas, the genius who first snatched from the oceans and atmosphere the
secret of their laws. His inspiration, Holy Writ, Psalm 8:8; Ecclesiastes 1:6”. ("मैथ्यू फ़ौनटेन मौरे, समुद्र के जल-मार्गों का खोजने वाला, वह अद्भुत प्रतिभाशाली व्यक्ति जिन्होंने सबसे पहले
सागर और वायुमंडल से उनके मार्ग और रहस्य छीन लिए। यह करने की उनके प्रेरणा, पवित्र शास्त्र, भजन 8:8; सभोपदेशक 1:6") - उनकी अद्भुत प्रतिभा का रहस्य – वे बाइबल
में विश्वास रखने वाले एक सामान्य मसीही विश्वासी थे, जिन्हें परमेश्वर के वचन के सत्य और कभी गलत न होने पर अटूट विश्वास था।
चार्ल्स व्हिटशोल्ट भी एक बाइबल में विश्वास
रखने वाले मसीही विश्वासी थे; वे अमेरिका की स्टैंडर्ड
ऑइल कंपनी के एक निर्देशक भी थे। उन्हें उनकी कंपनी ने मिस्र में तेल खोजने के लिए
भेज था - तब जब किसी को यह पता नहीं था कि मिस्र या मध्य-पूर्व खाड़ी देशों की भूमि
में तेल का भण्डार विद्यमान है; और उन्होंने मिस्र
में तेल की खोज कर के भी दी। मिस्र में तेल होने के प्रति चार्ल्स व्हिटशोल्ट का विश्वास, बाइबल के एक पद पर आधारित था "और जब वह उसे
और छिपा न सकी तब उसके लिये सरकंड़ों की एक टोकरी ले कर, उस पर चिकनी मिट्टी और राल लगाकर, उस में बालक को रखकर नील नदी के तीर पर कांसों के
बीच छोड़ आई" (निर्गमन
2:3)। चार्ल्स व्हिटशोल्ट का विश्वास था कि यदि एक गुलाम स्त्री को मिस्र में 'राल' मिल सकती है, जो कि धरती के नीचे तेल से आती है, तो इसका अर्थ है कि मिस्र में तेल है। उनके मसीही
चरित्र और विश्वास के कारण उनकी कंपनी उन पर पूरा भरोसा रखती थी, और कंपनी ने उन्हें, उनके विश्वास के आधार पर, मिस्र
में तेल की खोज करने के लिए भेज दिया; और उन्होंने बाइबल में लिखी बात के आधार पर मिस्र
तथा मध्य-पूर्व में तेल खोज कर दिखा दिया।
सर विलियम
रैमसे एक बहुत माने हुए बाइबल पुरातत्व वैज्ञानिक हुए, जिनके द्वारा किए गए खोज और बातें आज भी, उनके 100 से भी अधिक वर्ष बाद भी, बाइबल संबंधी पुरातत्व
खोजों के लिए पढ़ी और पढ़ाई जाती हैं, और उनके इस कार्य के
लिए उन्हें "सर" की उपाधि से सम्मानित किया गया था। अपने समय के अन्य अनेकों
पढ़े-लिखे और ज्ञानवान लोगों के समान, उनकी भी धारणा थी कि
बाइबल विश्वास योग्य नहीं है, और इसे वह आदर-मान
नहीं दिया जाना चाहिए जो दिया जाता है। अपनी धारणा प्रमाणित करने के लिए वे बाइबल संबंधी
क्षेत्रों में प्रमाण एकत्रित करने के लिए गए जिससे यह प्रमाणित कर सकें कि बाइबल विश्वासयोग्य
नहीं है। उन्होंने जा कर पुरातत्व महत्व के स्थानों पर खुदाई करनी तथा प्रमाण एकत्रित करने आरंभ किए।
शीघ्र ही उन्हें एहसास हो गया कि बाइबल में लिखी बातें, छोटे से छोटे विवरण में भी बिल्कुल सटीक और सही हैं, और बाइबल संबंधी उनके पुरातत्व खोज और ज्ञान ने बाइबल
के पक्ष में अनेकों प्रमाण उजागर कर दिए। विलियम रैमसे स्वयं इन प्रमाणों से इतने प्रभावित
हुए कि वे भी एक मसीही विश्वासी बन गए, उन्होंने बाइबल कॉलेज
में दाखिल लिया, मसीही सेवकाई में सम्मिलित हुए, और अपनी खोज के कार्यों से कई पुस्तकें और लेख लिखे, जिन्हें आज भी बहुत सम्मान के साथ देखा और पढ़ा जाता
है। बाइबल को झूठ प्रमाणित करने का प्रयास करने वाला व्यक्ति बाइबल के सत्य को प्रमाणित
मरने वाला मसीही विश्वासी बन गया।
वास्तविकता में, ऐसी कोई भी पुरातत्व खोज नहीं है जो बाइबल की किसी भी बात को असत्य प्रमाणित
करती हो। परमेश्वर की सृष्टि और रचना, परमेश्वर के वचन के
विरुद्ध कभी हो ही नहीं सकती है। सही भावना और दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता है, और परमेश्वर के वचन के तथ्य, उसकी सृष्टि में प्रमाण प्रत्यक्ष कर देंगे।
बाइबल पाठ: भजन
19:1-6
भजन 19:1 आकाश ईश्वर
की महिमा वर्णन कर रहा है;
और आकाशमण्डल उसकी हस्तकला को
प्रगट कर रहा है।
भजन 19:2 दिन से
दिन बातें करता है, और रात को रात ज्ञान सिखाती है।
भजन 19:3 न तो कोई
बोली है और न कोई भाषा जहां उनका शब्द सुनाई नहीं देता है।
भजन 19:4 उनका स्वर
सारी पृथ्वी पर गूंज गया है, और उनके वचन जगत की
छोर तक पहुंच गए हैं। उन में उसने सूर्य के लिये एक मण्डप खड़ा किया है,
भजन 19:5 जो दुल्हे
के समान अपने महल से निकलता है। वह शूरवीर के समान अपनी दौड़ दौड़ने को हर्षित होता
है।
भजन 19:6 वह आकाश
की एक छोर से निकलता है,
और वह उसकी दूसरी छोर तक चक्कर
मारता है; और उसकी गर्मी सब को पहुंचती है।
- भजन 70-71
- रोमियों 8:22-39