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सोमवार, 26 अक्टूबर 2015

भीतर और बाहर


   मेरी पत्नि मार्टी खरीददारी करने में बड़ी सावधानी बरतती है, वह निश्चित करती है कि जो वह परिवार के लिए खरीद रही है वह पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक है। चाहे उस वस्तु को कितनी भी आकर्षक पैकिंग में क्यों ना रखा गया हो, मार्टी बाहर से दिखने वाले स्वरूप पर नहीं जाती; वह पैकिंग पर लिखा देखती है कि प्रत्येक वस्तु में क्या कुछ डाला गया है क्योंकि अनेक प्रकार के पदार्थ भोजन वस्तुओं को खराब होने से बचाने के लिए उनमें मिलाए जाते हैं और उन पदार्थों में से कुछ स्वस्थ्य के लिए हानिकारक भी होते हैं। इसलिए चाहे उन पदार्थों के नाम पढ़ने में कितने भी कठिन क्यों ना हों, मार्टी उन्हें ध्यान से पढ़कर, उनकी जानकारी लेकर तब ही खरीदती है; यदि कोई वस्तु हानिकारक या अनजाने पदार्थों वाली होती है तो वह उसे वापस रख देती है। मार्टी को अपने तथा अपने परिवार के लिए बाहर से सुन्दर तथा आकर्षक दिखने वाली नहीं वरन अन्दर से अच्छी और स्वास्थ्यवर्धक वस्तुएं चाहिएं।

   मैंने अकसर यह सोचा है कि मार्टी का खरीददारी करने का तरीका परमेश्वर का अपने लिए हमारी उपयोग्यता का आँकलन करने के तरीके के समान है। परमेश्वर भी हमारे जीवनों के बाहरी स्वरूप और सज्जा या अन्य मनुष्यों द्वारा हमारे बारे में रखी गई राय के आधार पर नहीं वरन हम जैसे अन्दर से हैं, जो हमारे मनों में है, उसके अनुसार हमारा आँकलन करता है। इसलिए कोई अचरज की बात नहीं कि परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन का लेखक कहता है, "सब से अधिक अपने मन की रक्षा कर; क्योंकि जीवन का मूल स्रोत वही है" (नीतिवचन 4:23)। संसार की रीति के अनुसार सही फैशन के कपड़े पहनना, अपने आप को सजाए-संवारे रखना, जवान दिखते रहने के प्रयास करते रहना आदि ठीक है, परन्तु इन बातों का कोई महत्व नहीं यदि हमारे मनों में लालच, घृणा, कुड़कुड़ाना, बैर, विरोध, आत्मग्लानि आदि हानिकारक और अनुपयोगी बातें भरी हुई हैं; ये ना तो हमारे अपने स्वास्थ्य के लिए अच्छी होंगी और ना ही हमें परमेश्वर के लिए उपयोगी बनने देंगी।

   इसलिए हमें अपने आप से प्रश्न करना है: जब लोग हमारे बाहरी स्वरूप से पार होकर हमारे भीतरी मनुष्यतव को देखते हैं तो उन्हें क्या दिखाई देता है? क्या मेरी बाहरी सुन्दरता के बाद उन्हें मेरे अन्दर स्वस्थ मसीही चरित्र और गुण नज़र आते हैं? यदि हमारे जीवन आत्मा के फलों (गलतियों 5:22-23) से भरे होंगे, तो हमारे जीवन परमेश्वर के लिए उपयोगी और हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु को महिमा देने वाले, उसकी गवाही देनेवाले भी होंगे। - जो स्टोवैल


आपके बाहरी स्वरूप और सज्जा से कहीं अधिक महत्वपूर्ण आपके मन की दशा और बातें हैं।

पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज, और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई भी व्यवस्था नहीं। - गलतियों 5:22-23

बाइबल पाठ: नीतिवचन4:14-27
Proverbs 4:14 दुष्टों की बाट में पांव न धरना, और न बुरे लोगों के मार्ग पर चलना। 
Proverbs 4:15 उसे छोड़ दे, उसके पास से भी न चल, उसके निकट से मुड़ कर आगे बढ़ जा। 
Proverbs 4:16 क्योंकि दुष्ट लोग यदि बुराई न करें, तो उन को नींद नहीं आती; और जब तक वे किसी को ठोकर न खिलाएं, तब तक उन्हें नींद नहीं मिलती। 
Proverbs 4:17 वे तो दुष्टता से कमाई हुई रोटी खाते, और उपद्रव के द्वारा पाया हुआ दाखमधु पीते हैं। 
Proverbs 4:18 परन्तु धर्मियों की चाल उस चमकती हुई ज्योति के समान है, जिसका प्रकाश दोपहर तक अधिक अधिक बढ़ता रहता है। 
Proverbs 4:19 दुष्टों का मार्ग घोर अन्धकारमय है; वे नहीं जानते कि वे किस से ठोकर खाते हैं।
Proverbs 4:20 हे मेरे पुत्र मेरे वचन ध्यान धरके सुन, और अपना कान मेरी बातों पर लगा। 
Proverbs 4:21 इन को अपनी आंखों की ओट न होने दे; वरन अपने मन में धारण कर। 
Proverbs 4:22 क्योंकि जिनको वे प्राप्त होती हैं, वे उनके जीवित रहने का, और उनके सारे शरीर के चंगे रहने का कारण होती हैं। 
Proverbs 4:23 सब से अधिक अपने मन की रक्षा कर; क्योंकि जीवन का मूल स्रोत वही है। 
Proverbs 4:24 टेढ़ी बात अपने मुंह से मत बोल, और चालबाजी की बातें कहना तुझ से दूर रहे। 
Proverbs 4:25 तेरी आंखें साम्हने ही की ओर लगी रहें, और तेरी पलकें आगे की ओर खुली रहें। 
Proverbs 4:26 अपने पांव धरने के लिये मार्ग को समथर कर, और तेरे सब मार्ग ठीक रहें। 
Proverbs 4:27 न तो दाहिनी ओर मुढ़ना, और न बाईं ओर; अपने पांव को बुराई के मार्ग पर चलने से हटा ले।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 9-11
  • 1 तिमुथियुस 6