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रविवार, 11 सितंबर 2011

सदैव प्रबल

   मेरी माँ की मृत्यु के एक दिन पहले मुझे तथा मेरे भाई को उनसे मिलने उनके पास बुलाया गया। बहुत कमज़ोरी के कारण वे ज़्यादा बातचीत कर सकने लायक नहीं थीं; तौ भी उन्होंने परमेश्वर के वचन बाइबल के दो पद हमसे कहे - यशायाह ४१:१० तथा युहन्ना १०:२९ - केवल हमें सांत्वना देने के लिए नहीं वरन अपने विश्वास को दृढ़ बनाए रखने के लिए भी। उन्होंने अन्त तक परमेश्वर के वचन को थामे रखा और परमेश्वर के वचन ने उन्हें अन्त तक थामे रखा।

   परमेश्वर के वचन, बाइबल में सशक्त करने की अद्भुत सामर्थ है। हम प्रभु यीशु के जीवन के उदाहरण से देखते हैं कि उन्होंने श्त्रु शैतान के प्रलभनों पर परमेश्वर का वचन उद्वत करके ही जय पाई। वचन के आधार से उन्हें सामर्थ मिली और शैतान उन्हें घबरा न सका। बाइबल स्पष्ट करती है कि प्रभु यीशु को भी हमारे समान परीक्षाओं का सामना करना पड़ा था "क्‍योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी न हो सके; वरन वह सब बातों में हमारी नाई परखा तो गया, तौभी निष्‍पाप निकला (इब्रानियों४:१५)। प्रभु यीशु ने परमेश्वर के वचन को इसलिए उद्वत नहीं किया क्योंकि उसमें कोई जादूई शक्ति है; वरन उद्वत करने के द्वारा उन्होंने अपने लिए आवश्यक मार्गदर्शक बातों को स्मरण किया और अपने विश्वास को दृढ़ किया, जिससे वे परमेश्वर की इच्छा में बने रह सके। क्योंकि उन्हों अपने जीवन को परमेश्वर के वचन की आधीनता में रखा, शैतान उन्हें परमेश्वर पिता की इच्छा को पूरा करने से विचलित नहीं कर पाया।

   जब कभी हम परीक्षाओं और प्रलोभनों से होकर निकलें - वे चाहे कितने भी कठिन हों, या किसी घबरा देने वाले अथवा मृत्यु के डर का सामना हमें करना पड़े, ऐसे में परमेश्वर का वचन हमें बल देने और दृढ़ करने का साधन बनेगा। सदियों से परमेश्वर के सन्त परमेश्वर के वचन पर अपना भरोसा रख कर परिस्थितियों पर प्रबल होते रहे हैं; आज यह वचन हमारे लिए भी वैसा ही दृढ़ और प्रबल है जैसा उनके लिए रहा है। - डेनिस डी हॉन


आत्मा की तलवार जो परमेश्वर का वचन है, उसके सामने शैतान का सबसे सामर्थी हथियार भी कुछ सामर्थ नहीं रखता।

मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूं, इधर उधर मत ताक, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूं; मैं तुझे दृढ़ करूंगा और तेरी सहाथता करूंगा, अपने धर्ममय दाहिने हाथ से मैं तुझे सम्हाले रहूंगा। - यशायाह ४१:१०

बाइबल पाठ: मती ४:१-११
    Mat 4:1  तब उस समय आत्मा यीशु को जंगल में ले गया ताकि इब्‍लीस से उस की परीक्षा हो।
    Mat 4:2  वह चालीस दिन, और चालीस रात, निराहार रहा, अन्‍त में उसे भूख लगी।
    Mat 4:3  तब परखने वाले ने पास आ कर उस से कहा, यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो कह दे, कि ये पत्थर रोटियां बन जाएं।
    Mat 4:4  उस ने उत्तर दिया कि लिखा है कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्‍तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा।
    Mat 4:5  तब इब्‍लीस उसे पवित्र नगर में ले गया और मन्‍दिर के कंगूरे पर खड़ा किया।
    Mat 4:6  और उस से कहा यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को नीचे गिरा दे क्‍योंकि लिखा है, कि वह तेरे विषय में अपने स्‍वर्गदूतों को आज्ञा देगा और वे तुझे हाथों हाथ उठा लेंगे; कहीं ऐसा न हो कि तेरे पांवों में पत्थर से ठेस लगे।
    Mat 4:7  यीशु ने उस से कहा यह भी लिखा है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न कर।
    Mat 4:8  फिर शैतान उसे एक बहुत ऊंचे पहाड़ पर ले गया और सारे जगत के राज्य और उसका वैभव दिखा कर
    Mat 4:9  उस से कहा, कि यदि तू गिर कर मुझे प्रणाम करे, तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूंगा।
    Mat 4:10  तब यीशु ने उस से कहा, हे शैतान दूर हो जा, क्‍योंकि लिखा है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर।
    Mat 4:11  तब शैतान उसके पास से चला गया, और देखो, स्‍वर्गदूत आकर उस की सेवा करने लगे।

एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन १०-१२ 
  • २ कुरिन्थियों ४