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शनिवार, 13 जून 2020

नम्रता


     बेंजामिन फ्रैंकलिन जब एक युवक थे, तब उन्होंने बारह सदगुणों की एक सूची तैयार की, जिन में वे अपने जीवन में उन्नति करते रहना चाहते थे। उन्होंने वह सूची अपने एक मित्र को दिखाई, और उस मित्र ने उन्हें परामर्श दिया कि वह एक और सद्गुण, “नम्रता”, को भी उस में सम्मिलत कर लें। फ्रैंकलिन को उस की बात पसंद आई। फिर उन्होंने अपनी सूची के प्रत्येक सदगुण के सामने कुछ मार्गदर्शिकाएँ भी जोड़ लीं जो उन्हें उस सदगुण में उन्नति करने में सहायक होंगी। नम्रता के विषय फ्रैंकलिन के विचारों में मार्गदर्शिका थी, प्रभु यीशु का अनुसरण करना।

     प्रभु यीशु हमें अनुसरण करने के लिए नम्रता का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण प्रदान करते हैं। परमेश्वर का वचन बाइबल बताती है, “जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो। जिसने परमेश्वर के स्‍वरूप में हो कर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्‍वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया” (फिलिप्पियों 2:5-7)।

     प्रभु यीशु ने नम्रता का सबसे महान उदाहरण प्रस्तुत किया। यद्यपि वे अनन्तकाल से परमेश्वर पिता के साथ थे, फिर भी उन्होंने हमारे प्रति अपने प्रेम के अंतर्गत क्रूस के नीचे झुक जाने, उस क्रूस पर बलिदान हो जाने को चुन लिया ताकि अपनी मृत्यु के द्वारा उन पर विश्वास करने वाले प्रत्येक जन को अपने साथ अनन्त जीवन का आनन्द प्रदान कर सकें।

     जब हम अपने स्वर्गीय परमेश्वर पिता की आज्ञाकारिता में हो कर औरों की सेवा करते हैं, तब हम अपने प्रभु परमेश्वर की सेवा करते हैं। बाइबल के नए नियम खण्ड के आरम्भ में दिए चार सुसमाचार हमें प्रभु यीशु की दयालुता, कृपालुता, तथा औरों की सेवा करते रहने के जीवन की, तथा उसके प्रति समर्पित रहने तथा उसका अनुसरण करते रहने वाले जीवन की स्तब्ध कर देने वाली सुन्दरता की एक झलक प्रदान करते हैं। इस “पहले मैं” से भरे संसार में नम्र होकर रहना सरल नहीं है; परन्तु जब हम अपने उद्धाकर्ता प्रभु परमेश्वर के प्रेम में आश्वस्त होकर शान्ति से रहेंगे, तो उसका अनुसरण करने के लिए जो कुछ भी आवश्यक है वह हमें प्रदान करता रहेगा। - जेम्स बैंक्स

 

हम सेवा कर सकते हैं, क्योंकि हम से प्रेम किया गया है।


जो तुम में बड़ा हो, वह तुम्हारा सेवक बने। - मत्ती 23:11

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 2:1-11

फिलिप्पियों 2:1 सो यदि मसीह में कुछ शान्‍ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है।

फिलिप्पियों 2:2 तो मेरा यह आनन्द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो।

फिलिप्पियों 2:3 विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो।

फिलिप्पियों 2:4 हर एक अपने ही हित की नहीं, वरन दूसरों के हित की भी चिन्‍ता करे।

फिलिप्पियों 2:5 जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो।

फिलिप्पियों 2:6 जिसने परमेश्वर के स्‍वरूप में हो कर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा।

फिलिप्पियों 2:7 वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्‍वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया।

फिलिप्पियों 2:8 और मनुष्य के रूप में प्रगट हो कर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।

फिलिप्पियों 2:9 इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है।

फिलिप्पियों 2:10 कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें।

फिलिप्पियों 2:11 और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।   

 

एक साल में बाइबल: एज्रा 6-8; यूहन्ना 21