कई बार कुछ लोग जो परमेश्वर के नाम से कोई सेवकाई करते हैं, इसे परमेश्वर के साथ किए गई एक ठेके के रूप में देखते हैं - क्योंकि मैंने अपना समय, सामर्थ और धन परमेश्वर के नाम पर कार्य करने में व्यय किया है इसलिए प्रत्युत्तर में परमेश्वर को मेरी विशेष देखभाल करनी चाहिए।
किंतु मेरा मित्र डगलस ऐसा नहीं है। उसका जीवन परमेश्वर के वचन के पात्र अय्युब के समान ही है जिसने अपने परिवार, संपदा और स्वास्थ्य की भारी हानि उठाने और उस दशा में मित्रों द्वारा अपमानित होने पर भी परमेश्वर से अपने विश्वास को टलने नहीं दिया। डगलस ने भी अपनी सेवकाई की असफलता, कैंसर से अपनी पत्नि की मृत्यु, नशे में धुत एक वाहन चालक द्वारा अपने आप तथा अपने एक बच्चे को लगी चोटें सही हैं। किंतु डगलस की सलाह रहती है, "परमेश्वर को अपने जीवन की परिस्थितियों से मत आंको।"
जब कठिनाईयां आती हैं और शंकाएं उत्पन्न होती हैं तो मैं परमेश्वर के वचन बाइबल में रोमियों ८ अध्याय की ओर अकसर मुड़ता हूँ। रोमियों की पत्री के लेखक पौलुस ने यहां प्रश्न उठाया: "कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार?" (रोमियों ८:३५); इस एक वाक्य में पौलुस ने अपनी सेवकाई के जीवन का सारांश प्रस्तुत कर दिया। उसने सुसमाचार प्रचार के लिए बहुत क्लेष उठाए, लेकिन उसका विश्वास था कि चाहे इन क्लेषों में कोई भी बात अपने आप में भली नहीं है, किंतु परमेश्वर इन क्लेष की बातों से भी भलाई उत्पन्न कर सकता है। उसने कठिनाईयों और क्लेषों से भी आगे उस प्रेमी परमेश्वर को देखना सीख लिया था जो एक दिन सब को सब बातों का योग्य प्रतिफल देगा। पौलुस ने आगे लिखा: "क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई, न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी" (रोमियों ८:३८-३९)।
ऐसा विश्वास निराशाओं पर जयवंत होने में बहुत सहायक होता है, क्योंकि तब हम जीवन को अपनी योजनाओं की सफलता या असफलता की दृष्टि से नहीं वरन परमेश्वर की योजनाओं की दृष्टि से देखने लगते हैं। - फिलिप यैन्सी
और मुझे इस बात का भरोसा है, कि जिसने तुम में अच्छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा। - फिलिप्पियों १:६
और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिल कर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों ८:२८
बाइबल पाठ: रोमियों ८:२८-३९
Rom 8:28 और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिल कर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।
Rom 8:29 क्योंकि जिन्हें उसने पहिले से जान लिया है उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे।
Rom 8:30 फिर जिन्हें उसने पहिले से ठहराया, उन्हें बुलाया भी, और जिन्हें बुलाया, उन्हें धर्मी भी ठहराया है, और जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी है।
Rom 8:31 सो हम इन बातों के विषय में क्या कहें? यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?
Rom 8:32 जिसने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्योंकर न देगा?
Rom 8:33 परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उन को धर्मी ठहराने वाला है।
Rom 8:34 फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है।
Rom 8:35 कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेष, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार?
Rom 8:36 जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेंडों की नाईं गिने गए हैं।
Rom 8:37 परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिसने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं।
Rom 8:38 क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई,
Rom 8:39 न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।
एक साल में बाइबल:
- उत्पत्ति ३१-३२
- मत्ती ९:१८-३८