हाँलांकि मेरी पकाने की कला कुछ खास विकसित नहीं है, फिर भी मैं कभी-कभी एक अच्छा केक बना लेता हूँ, जबकि केक में पड़ने वाले सामान और उन के परस्पर के अनुपात का मुझे कुछ पता नहीं है। मैं तो बस पहले सही अनुपात में मिला कर डब्बे में बन्द करके बेचे गए केक के पाउडर को लेता हूँ, उसमें निर्देशानुसार अण्डे, घी और पानी डाल कर अच्छे से फेंट लेता हूँ और फिर उस मिश्रण को पकाने वाले डब्बे में डाल कर तन्दूर में निर्धारित समय के लिए रख देता हूँ; कुछ ही समय में मीठा और स्वादिष्ट केक तैयार हो जाता है!
यह मुझे सिखाता है कि सही अनुपात में सही सामग्री का एक साथ होना तथा उनके उपयोग के लिए सही निर्देशों का मिलना और उनका पालन करना एक अच्छे परिणाम के लिए कितना आवश्यक है। इस से मुझे प्रभु यीशु द्वारा दी गई सबसे महान आज्ञा (मत्ती 22:36-38) और सुसमाचार प्रचार के लिए महान सेवकाई (मत्ती 28:19-20) के बीच का संबंध समझने में भी सहायता मिलती है।
जब प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा कि वे जाकर सारे संसार में सुसमाचार प्रचार करें और लोगों को चेला बनाएं, तो उन्होंने इस कार्य के करने में चेलों को किसी अशिष्ट व्यवहार या बेपरवाह होने की कोई छूट नहीं दी। प्रभु द्वारा, सुसमाचार प्रचार कि आज्ञा देने से पहले चेलों के सामने सबसे बड़ी आज्ञा को रखना - कि वे परमेश्वर से अपने सारे मन, प्राण और बुद्धि के साथ प्रेम रखें और इसके साथ ही यह कहना कि साथ ही वे अपने पड़ौसी से अपने समान प्रेम रखें (मत्ती 22:37-39) उनकी नज़र में परमेश्वर और मनुष्यों के प्रति व्यवहार के परस्पर तालमेल की अनिवार्यता को दिखाता है। परमेश्वर के वचन बाइबल के संपूर्ण नए नियम खण्ड में हम प्रभु यीशु द्वारा दिए गए व्यवहार के इसी नमूने को अनेक स्थानों पर भिन्न रीति से व्यक्त किया हुआ पाते हैं, प्रेम के अध्याय 1 कुरिन्थियों 13 में भी।
दूसरों के साथ प्रभु यीशु में समस्त संसार के सभी लोगों के लिए सेंत-मेंत मिलने वाली पापों की क्षमा और उद्धार के सुसमाचार को जब हम संसार के लोगों के साथ बाँटते हैं, तो हमें भी इसी नमूने और इसकी दोनों मुख्य ’सामग्रियों’, सुसमाचार की सच्चाई तथा आवश्यकता एवं परमेश्वर द्वार सृजे गए संसार के सभी लोगों के लिए परमेश्वर के प्रेम का प्रगटिकरण, के एक साथ होने और सही अनुपात में होने का विशेष ध्यान रखना चाहिए; साथ ही यह ध्यान भी रखना चाहिए कि इन्हें ठीक रीति से पकाना केवल परमेश्वर के प्रेम की गर्मी से ही संभव है। यदि सामग्री सही होगी, सही अनुपात में होगी और प्रभु यीशु के निर्देशानुसार प्रयोग करी जाएगी तो, नतीजा भी मीठा और स्वादिष्ट होगा। - डेविड मैक्कैसलैंड
उन्हीं की साक्षी सबसे प्रभावी होती है जो अपने जीवन से परमेश्वर के प्रेम और सुसमाचार की साक्षी देते हैं।
पर मसीह को प्रभु जान कर अपने अपने मन में पवित्र समझो, और जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, तो उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय के साथ। - 1 पतरस 3:15
बाइबल पाठ: मत्ती 22:34-39; मत्ती 28:16-20
Matthew 22:34 जब फरीसियों ने सुना, कि उसने सदूकियों का मुंह बन्द कर दिया; तो वे इकट्ठे हुए।
Matthew 22:35 और उन में से एक व्यवस्थापक ने परखने के लिये, उस से पूछा।
Matthew 22:36 हे गुरू; व्यवस्था में कौन सी आज्ञा बड़ी है?
Matthew 22:37 उसने उस से कहा, तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख।
Matthew 22:38 बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है।
Matthew 22:39 और उसी के समान यह दूसरी भी है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।
Matthew 28:16 और ग्यारह चेले गलील में उस पहाड़ पर गए, जिसे यीशु ने उन्हें बताया था।
Matthew 28:17 और उन्होंने उसके दर्शन पाकर उसे प्रणाम किया, पर किसी किसी को सन्देह हुआ।
Matthew 28:18 यीशु ने उन के पास आकर कहा, कि स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है।
Matthew 28:19 इसलिये तुम जा कर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो।
Matthew 28:20 और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूं।
एक साल में बाइबल:
- यिर्मयाह 18-19
- 2 तीमुथियुस 3