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रविवार, 11 जुलाई 2010

मार्गदर्शक

१९वीं सदी के आरंभ में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति थौमस जैफरसन ने लूईसीयाना इलाके को खरीद कर नवजात अमेरिका राष्ट्र में मिला लिया और उस नए देश की पूर्व से पश्चिम की सीमाओं को एक महासमुद्र से दूसरे महासमुद्र तक फैला दिया।

उस समय समस्या यह थी कि कोई नहीं जानता था कि उस विशाल भूभाग में है क्या। जो प्रथम यात्री प्रशांत महासागर की ओर जाते, उनके जाने के लिये नक्शों और स्पष्ट निर्देशों की आवश्यक्ता थी। खोजी यात्री लूइस और क्लार्क उन आरंभिक लोगों के मार्गदर्शक बने और नए मार्ग तैयार किये। अपनी यात्राओं के द्वारा उन्होंने अमेरिका के इतिहास में हुए आबादी के सबसे बड़े स्थानंतरण का मार्ग तैयार किया।

पौलुस प्रेरित का मसीही सेवकाई के प्रति समर्पण ऐसा ही था। उसने रोमियों १५:२० में लिखा "पर मेरे मन की उमंग यह है, कि जहां जहां मसीह का नाम नहीं लिया गया, वहीं सुसमाचार सुनाऊं ऐसा न हो, कि दूसरे की नेव पर घर बनाऊं।" वह चाहता था कि मसीही सेवाकाई में वह नया मार्ग तैयार करे जिसमें फिर और लोग उसका अनुसरण कर सकें। तिमिथियुस, तीतुस, मरकुस, सिलास उन बहुतेरों में से कुछ नाम हैं जो पौलुस के बनाए मार्ग पर चले।

आज यही समर्पण का जज़्बा यीशु के उन अनुयायियों में दिखता है जो उद्धारकर्ता के सुसमाचार को संसार के छोर तक लेकर जाते हैं। आज जब हम प्रार्थना करें तो परमेश्वर का अनुग्रह उसके वचन पर भी मांगें कि हम उसके दूत बनकर अपनी इस नई पीढ़ी के लिये मार्गदर्शक बन सकें। - बिल क्राउडर


परमेश्वर ने आपको एक सन्देश दिया है दुसरों के साथ बांटने के लिये; उसे अपने तक ही सीमित मत रखिये।


बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों :१२-२१


पर मेरे मन की उमंग यह है, कि जहां जहां मसीह का नाम नहीं लिया गया, वहीं सुसमाचार सुनाऊं ऐसा न हो, कि दूसरे की नेव पर घर बनाऊं। - रोमियों १५:२०


एक साल में बाइबल:
  • भजन १-३
  • प्रेरितों के काम १७:१-१५