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बुधवार, 24 जून 2020

सान्तवना


     मैंने एक माँ के बारे में पढ़ा जो स्कूल से लौटी अपनी बेटी को कमर से नीचे कीचड़ में लथपथ देखकर चकित रह गई। उसकी बेटी ने स्पष्टीकरण दिया, स्कूल से लौटते समय उसकी एक सहेली फिसल कर कीचड़ में गिर गई, और उसका पैर चोटिल हो गया, वह खड़ी नहीं हो पा रही थी। उनकी एक अन्य सहेली दौड़कर किसी को सहायता करने के लिए लेने गई, और वह वहीं अपनी सहेली के साथ खड़ी थी। उसे अपनी सहेली को अपनी दुखती हुई टांग पकडे हुए कीचड़ में बैठे देखना अच्छा नहीं लगा, इसलिए वह भी उसके साथ वहीं कीचड़ में बैठ गई, जब तक कि सहायता के लिए उनकी शिक्षिका नहीं आ गई।

     परमेश्वर के वचन बाइबल में जब अय्यूब पर विपदाएँ आईं, उसके बच्चे और धन-संपत्ति जाते रहे, और उसके शरीर पर पीड़ादायक फोड़े निकल आए, तो उसका दुःख असहनीय था। बाइबल बताती है कि उसके तीन मित्र उसे सांत्वना देने के लिए आए। जब वे अय्यूब के पास पहुंचे और उन्होंने उसके हाल देखे, “जब उन्होंने दूर से आंख उठा कर अय्यूब को देखा और उसे न चीन्ह सके, तब चिल्लाकर रो उठे; और अपना अपना बागा फाड़ा, और आकाश की ओर धूलि उड़ाकर अपने अपने सिर पर डाली। तब वे सात दिन और सात रात उसके संग भूमि पर बैठे रहे, परन्तु उसका दु:ख बहुत ही बड़ा जान कर किसी ने उस से एक भी बात न कही” (अय्यूब 2:12-13)।

     अय्यूब के मित्रों ने आरंभ में तो सराहनीय समझदारी दिखाई। वे समझ गए कि अय्यूब को बस उसके साथ बैठकर शोक करने वाला कोई चाहिए, और उन्होंने यही किया। परन्तु आगे के अध्यायों में हम देखते हैं कि जब उन्होंने उसके साथ बोलना और परामर्श देना आरम्भ किया, तो उनकी बातें और परामर्श व्यर्थ तथा दुखदायी थे (अय्यूब 16:1-4)।

     अपने किसी दुखी मित्र को सान्तवना देने के लिए हम जो सबसे अच्छा कार्य कर सकते हैं, वह है उनके साथ उनकी परिस्थिति में आकर बैठ जाएँ। - लीसा सामरा

 

दुःख के समय में एक मित्र की उपस्थिति बहुत शान्तिदायक होती है।


प्रभु यहोवा ने मुझे सीखने वालों की जीभ दी है कि मैं थके हुए को अपने वचन के द्वारा संभालना जानूं। भोर को वह नित मुझे जगाता और मेरा कान खोलता है कि मैं शिष्य के समान सुनूं। - यशायाह 50:4

बाइबल पाठ: अय्यूब 2:7-13

अय्युब 2:7 तब शैतान यहोवा के साम्हने से निकला, और अय्यूब को पांव के तलवे से ले सिर की चोटी तक बड़े बड़े फोड़ों से पीड़ित किया।

अय्युब 2:8 तब अय्यूब खुजलाने के लिये एक ठीकरा ले कर राख पर बैठ गया।

अय्युब 2:9 तब उसकी स्त्री उस से कहने लगी, क्या तू अब भी अपनी खराई पर बना है? परमेश्वर की निन्दा कर, और चाहे मर जाए तो मर जा।

अय्युब 2:10 उसने उस से कहा, तू एक मूढ़ स्त्री की सी बातें करती है, क्या हम जो परमेश्वर के हाथ से सुख लेते हैं, दु:ख न लें? इन सब बातों में भी अय्यूब ने अपने मुंह से कोई पाप नहीं किया।

अय्युब 2:11 जब तेमानी एलीपज, और शूही बिलदद, और नामाती सोपर, अय्यूब के इन तीन मित्रों ने इस सब विपत्ति का समाचार पाया जो उस पर पड़ी थीं, तब वे आपस में यह ठान कर कि हम अय्यूब के पास जा कर उसके संग विलाप करेंगे, और उसको शान्ति देंगे, अपने अपने यहां से उसके पास चले।

अय्युब 2:12 जब उन्होंने दूर से आंख उठा कर अय्यूब को देखा और उसे न चीन्ह सके, तब चिल्लाकर रो उठे; और अपना अपना बागा फाड़ा, और आकाश की ओर धूलि उड़ाकर अपने अपने सिर पर डाली।

अय्युब 2:13 तब वे सात दिन और सात रात उसके संग भूमि पर बैठे रहे, परन्तु उसका दु:ख बहुत ही बड़ा जान कर किसी ने उस से एक भी बात न कही।    

 

एक साल में बाइबल: 

  • अय्यूब 1-2
  •  प्रेरितों 7:22-43