ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

गुरुवार, 27 सितंबर 2018

धन



      मेरी सहेली के पिता की अन्त्येष्टि के समय किसी ने उससे कहा, “तुम्हारे पिता से मिलने से पहले मैं नहीं जानता था कि कोई किसी की सहायता करते हुए इतना आनन्दित रहा सकता है।” मेरी सहेली के पिता ने परमेश्वर के राज्य के निर्माण में लोगों की सेवा करने, हंसते रहने और प्रेम करते रहने, और अपरिचितों से मिलने तथा उन्हें मित्र बना लेने के द्वारा अपना योगदान दिया था । जब उनका देहांत हुआ तो उन्होंने प्रेम की विरासत अपने पीछे छोड़ी; इसकी तुलना में जब मेरी सहेली की फूफी – उसके पिता की बड़ी बहन ने अपनी धन-संपत्ति को ही अपनी विरासत माना और अपने अंतिम वर्ष इसी चिन्ता में बिताए कि उनकी विरासत और दुर्लभ पुस्तकों की देखभाल उनके बाद कौन करेगा।

      अपनी शिक्षाओं और अपने जीवन के उदाहरण के द्वारा प्रभु यीशु ने अपने शिष्यों को चिताया कि वे सांसारिक धन एकत्रित न करें, वरन निर्धनों को दें, और उसकी कीमत पहिचानें जिसे न काई और न ही ज़ंक नाश करेगा। परमेश्वर के वचन बाइबल में, इस संदर्भ में, इस बात का महत्व समझाने वाला प्रभु यीशु का कथन दर्ज है, “क्योंकि जहां तुम्हारा धन है, वहां तुम्हारा मन भी लगा रहेगा” (लूका 12:34)।

      हमारा यह विचार हो सकता है कि हमारी वस्तुएँ हमारे जीवनों को सार्थक करती हैं। परन्तु जब हमारा कोई नवीनतम उपकरण टूट जाता है, या जब हम किसी बहुमूल्य वस्तु को खो देते हैं, तब हमें एहसास होता है कि सांसारिक वस्तुएँ स्थाई नहीं हैं, वरन प्रभु यीशु के साथ हमारा संबंध ही है जो स्थिर एवँ स्थाई बना रहता है तथा शान्ति प्रदान करता है। औरों के प्रति हमारा प्रेम और चिन्ता धूमिल नहीं होते हैं, परन्तु बने रहते हैं।

      हम प्रभु परमेश्वर से प्रार्थना करें कि वह उस वस्तु के मूल्य की वास्तविक सच्चाई को समझने में हमारी सहायता करे, जिसे हम मूल्यवान समझते हैं, जिससे हम समझ सकें कि हमारे मन कहाँ लगे रहते हैं; और सबसे बढ़कर हमें परमेश्वर के राज्य के खोजी बनाए, सच्चे और चिर-स्थाई धन की लालसा हमारे अन्दर जागृत करे। - एमी बाउचर पाई


हम जिसे बहुमूल्य समझते हैं वही हमारे मनों की दशा को प्रकट करता है।

यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे, और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा? या मनुष्य अपने प्राण के बदले में क्या देगा? – मत्ती 16:26

बाइबल पाठ: लूका 12:22-34
Luke 12:22 फिर उसने अपने चेलों से कहा; इसलिये मैं तुम से कहता हूं, अपने प्राण की चिन्‍ता न करो, कि हम क्या खाएंगे; न अपने शरीर की कि क्या पहिनेंगे।
Luke 12:23 क्योंकि भोजन से प्राण, और वस्‍त्र से शरीर बढ़कर है।
Luke 12:24 कौवों पर ध्यान दो; वे न बोते हैं, न काटते; न उन के भण्‍डार और न खत्ता होता है; तौभी परमेश्वर उन्हें पालता है; तुम्हारा मूल्य पक्षियों से कहीं अधिक है।
Luke 12:25 तुम में से ऐसा कौन है, जो चिन्‍ता करने से अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है?
Luke 12:26 इसलिये यदि तुम सब से छोटा काम भी नहीं कर सकते, तो और बातों के लिये क्यों चिन्‍ता करते हो?
Luke 12:27 सोसनों के पेड़ों पर ध्यान करो कि वे कैसे बढ़ते हैं; वे न परिश्रम करते, न कातते हैं: तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में, उन में से किसी एक के समान वस्‍त्र पहिने हुए न था।
Luke 12:28 इसलिये यदि परमेश्वर मैदान की घास को जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा पहिनाता है; तो हे अल्प विश्वासियों, वह तुम्हें क्यों न पहिनाएगा?
Luke 12:29 और तुम इस बात की खोज में न रहो, कि क्या खाएंगे और क्या पीएंगे, और न सन्‍देह करो।
Luke 12:30 क्योंकि संसार की जातियां इन सब वस्‍तुओं की खोज में रहती हैं: और तुम्हारा पिता जानता है, कि तुम्हें इन वस्‍तुओं की आवश्यकता है।
Luke 12:31 परन्तु उसके राज्य की खोज में रहो, तो ये वस्‍तुऐं भी तुम्हें मिल जाएंगी।
Luke 12:32 हे छोटे झुण्ड, मत डर; क्योंकि तुम्हारे पिता को यह भाया है, कि तुम्हें राज्य दे।
Luke 12:33 अपनी संपत्ति बेचकर दान कर दो; और अपने लिये ऐसे बटुए बनाओ, जो पुराने नहीं होते, अर्थात स्वर्ग पर ऐसा धन इकट्ठा करो जो घटता नहीं और जिस के निकट चोर नहीं जाता, और कीड़ा नहीं बिगाड़ता।
Luke 12:34 क्योंकि जहां तुम्हारा धन है, वहां तुम्हारा मन भी लगा रहेगा।


एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 3-4
  • गलतियों 6