एक खगोल शास्त्री ने अन्दाज़ा लगाया कि करोड़ों वर्ष पहले मंगल ग्रह से जीवाणु पृथ्वी पर आ गिरे, और उन जीवाणुओं के क्रमिक विकास द्वारा ही धरती तरह तरह के प्राणियों से भर गई है। विज्ञान पर भरोसा रखने वाले अनेक लोग पृथ्वी पर जीवन के आरंभ का कारण दूरस्त अंतरिक्ष में खोज रहे हैं, वे तरह तरह के अन्दाज़े लगाते हैं, मत प्रतिपादित करते हैं किंतु आज तक भी यह नहीं जान पाए कि पृथ्वी पर जीवन कैसे आरंभ हुआ क्योंकि वे परमेश्वर के वचन बाइबल में स्पष्ट लिखित बात को मानने से इंकार करते हैं कि परमेश्वर ने ही हर प्रकार के जीव जन्तु और मानव की सृष्टि की और उन्हें पृथ्वी पर रखा है।
ये लोग यह तो मानने को तैयार हैं कि किसी भी रीति से जीवन को ना संभाल सकने वाले मंगल ग्रह पर जीवन आरंभ हुआ और वहाँ तो विकसित नहीं होने पाया परन्तु बिना किसी अन्तरिक्ष यान के जीवन की संभावना के बिलकुल प्रतिकूल अन्तरिक्ष की लाखों मील की दूरी तय करके वह जीवन पृथ्वी पर जीवित पहुँच भी गया और अपने मूल ग्रह से बिलकुल पृथक ग्रह और वहाँ के अलग ही वातावरण में उसे जीवित बने रहने, बढ़ने तथा अनेक रूप से विकसित होते रहने के लायक वातावरण भी मिल गया; लेकिन वे यह कदापि मानने को तैयार नहीं हैं कि परमेश्वर है और उसने ही पृथ्वी को जीवन संभाल सकने के योग्य बनाया है, और अनेक प्रकार के जीव-जन्तुओं की सृष्टि करके प्रत्येक को अपने अपने स्थान पर फलने-फूलने को रखा है; वे यह भी मानने को कदापि तैयार नहीं हैं कि परमेश्वर ने ही मानव जाति की सृष्टि करी और अपनी श्वास के द्वार उसे जीवन प्रदान किया (उत्पत्ति 1:27)।
उन लोगों के लिए परमेश्वर द्वारा सृष्टि की रचना के आश्चर्यक्रम को स्वीकार करने से सरल है यह स्वीकार करना कि बिना किसी आरंभिक वस्तु के ही सब कुछ स्वतः ही आरंभ हो गया, सुचारू रूप से स्थापित हो गया और कार्य करने लगा और सुनियोजित रीति से बढ़ने और विकसित भी होने लगा। इन लोगों को परमेश्वर के वचन बाइबल में अय्युब को दी गई सलाह, "हे अय्यूब! इस पर कान लगा और सुन ले; चुपचाप खड़ा रह, और ईश्वर के आश्चर्यकर्मों का विचार कर" (अय्युब 37:14) पर गंभीरता से सोचना चाहिए। साथ ही परमेश्वर ने जो प्रश्न अय्युब से किया था, "जब मैं ने पृथ्वी की नेव डाली, तब तू कहां था? यदि तू समझदार हो तो उत्तर दे" (अय्युब 38:4), उसका उत्तर भी देना चाहिए।
भला हो कि हम परमेश्वर के अस्तित्व और उसकी अद्भुत सृजन की सामर्थ पर विश्वास करें, उसकी विलक्षण सृष्टि को सराहें और हमें बनाने तथा हमारी देख-भाल करने के लिए उसका धन्यवाद करें। - डेव ब्रैनन
केवल परमेश्वर ही है जो कुछ नहीं से सब कुछ बना सकता है।
आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। - भजन 19:1
बाइबल पाठ: अय्युब 38:3-18
Job 38:3 पुरुष की नाईं अपनी कमर बान्ध ले, क्योंकि मैं तुझ से प्रश्न करता हूँ, और तू मुझे उत्तर दे।
Job 38:4 जब मैं ने पृथ्वी की नेव डाली, तब तू कहां था? यदि तू समझदार हो तो उत्तर दे।
Job 38:5 उसकी नाप किस ने ठहराई, क्या तू जानता है उस पर किस ने सूत खींचा?
Job 38:6 उसकी नेव कौन सी वस्तु पर रखी गई, वा किस ने उसके कोने का पत्थर बिठाया,
Job 38:7 जब कि भोर के तारे एक संग आनन्द से गाते थे और परमेश्वर के सब पुत्र जयजयकार करते थे?
Job 38:8 फिर जब समुद्र ऐसा फूट निकला मानो वह गर्भ से फूट निकला, तब किस ने द्वार मूंदकर उसको रोक दिया;
Job 38:9 जब कि मैं ने उसको बादल पहिनाया और घोर अन्धकार में लपेट दिया,
Job 38:10 और उसके लिये सिवाना बान्धा और यह कहकर बेंड़े और किवाड़ लगा दिए, कि
Job 38:11 यहीं तक आ, और आगे न बढ़, और तेरी उमंडने वाली लहरें यहीं थम जाएं?
Job 38:12 क्या तू ने जीवन भर में कभी भोर को आज्ञा दी, और पौ को उसका स्थान जताया है,
Job 38:13 ताकि वह पृथ्वी की छोरों को वश में करे, और दुष्ट लोग उस में से झाड़ दिए जाएं?
Job 38:14 वह ऐसा बदलता है जैसा मोहर के नीचे चिकनी मिट्टी बदलती है, और सब वस्तुएं मानो वस्त्र पहिने हुए दिखाई देती हैं।
Job 38:15 दुष्टों से उनका उजियाला रोक लिया जाता है, और उनकी बढ़ाई हुई बांह तोड़ी जाती है।
Job 38:16 क्या तू कभी समुद्र के सोतों तक पहुंचा है, वा गहिरे सागर की थाह में कभी चला फिरा है?
Job 38:17 क्या मृत्यु के फाटक तुझ पर प्रगट हुए, क्या तू घोर अन्धकार के फाटकों को कभी देखने पाया है?
Job 38:18 क्या तू ने पृथ्वी की चौड़ाई को पूरी रीति से समझ लिया है? यदि तू यह सब जानता है, तो बतला दे।
एक साल में बाइबल:
- यशायाह 4-6