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सोमवार, 6 अक्तूबर 2014

शिथिल हाथ


   बचपन में मैं बहुत चंचल स्वभाव का था और कुछ स्थानों पर, जैसे कि चर्च में, मेरे लिए शान्त बैठे रहना बहुत कठिन होता था। चर्च में थोड़ी थोड़ी देर में मेरी माँ को मेरे घुटने दबा कर मुझे शान्त बैठे रहने के लिए कहते रहना पड़ता था। इसलिए जब मेरे सामने परमेश्वर के वचन बाइबल का पद, "चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं" (भजन 46:10) आता था तो मेरी समझ यही रहती थी कि इसका तात्पर्य चंचल या व्याकुल ना होने से है।

   कई वर्ष बाद मुझे मालूम हुआ कि मूल इब्रानी भाषा के जिस शब्द का अनुवाद "शान्त" या "चुप" हो जाना हुआ है उसका वास्तविक अर्थ मेरी धारणा से कहीं अधिक गहरा है; उसका वास्तविक अर्थ है "व्याकुलता छोड़ देना"। वह शब्द बताता है कि अपने हाथ और प्रयास शिथिल छोड़कर, सब कुछ परमेश्वर के हाथों में छोड़ दें, अपनी ओर से उसे कार्य करने दें और उसके कार्य में अपने सुझावों या प्रयासों का व्यवधान ना डालें। इस शब्द का यह चित्रण रोचक है क्योंकि हम अकसर अपने हाथों को ही व्यवधान के लिए प्रयोग करते हैं, चाहे वह किसी वस्तु का सामने से हटाने के लिए हो, या फिर उसे सामने लाने के लिए हो, या अपने बचाव के लिए कुछ बीच में लाने के लिए हो अथवा किसी पर प्रहार करने के लिए हो - हमारे हाथ ही सबसे पहले आगे आते हैं। जब हम अपने हाथों को शिथिल कर के नीचे लटका देते हैं तो हम अपने आप को कमज़ोर तथा असुरक्षित अनुभव करने लगते हैं। इस असुरक्षा और असहाय होने की स्थिति से हम तब ही बच सकते हैं जब हम परमेश्वर पर पूरा-पूरा भरोसा कर के यह स्वीकार कर लें कि, "परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक" (पद 1) तथा "सेनाओं का यहोवा हमारे संग है; याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है" (पद 7); दूसरे शब्दों में, व्याकुल होकर फड़फड़ाने की बजाए परमेश्वर को अपना कार्य अपनी रीति से करने दें और उसके समय की प्रतीक्षा करें।

   जीवन की हर परिस्थिति में हम परमेश्वर पर भरोसा रखने से आने वाली शान्ति का अनुभव कर सकते हैं (यूहन्ना 14:27)। हर परेशानी में परमेश्वर की सामर्थ हम मसीही विश्वासियों के साथ बनी रहती है, हमें बस प्रार्थनापूर्वक और बिना व्याकुल हुए उसके समय और विधि की प्रतीक्षा करनी है, और वह हमारे लिए मार्ग निकालेगा, हमें सुरक्षित रखे हुए उस मार्ग पर लेकर चलता रहेगा जब तक परेशानी से हमारा छुटकारा ना हो जाए। इसलिए अपनी हर परेशानी को परमेश्वर के हाथों में सौंप कर अपने हाथों को शिथिल छोड़ दें, व्याकुल ना हों और परमेश्वर को अपना कार्य अपनी रीति से करने दें; वह जो करेगा सर्वोत्तम करेगा और आपके भले के लिए ही करेगा। आपके शिथिल हाथ ही आपकी सबसे सामर्थी और कारगर सहायता होंगे। - जो स्टोवैल


जब हम अपने हाथ परमेश्वर के हाथों में छोड़ देते हैं, तब वह अपनी शान्ति हमारे मनों में भर देता है।

मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे। - यूहन्ना 14:27  

बाइबल पाठ: भजन 46
Psalms 46:1 परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक। 
Psalms 46:2 इस कारण हम को कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएं; 
Psalms 46:3 चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से कांप उठें।। 
Psalms 46:4 एक नदी है जिसकी नहरों से परमेश्वर के नगर में अर्थात परमप्रधान के पवित्र निवास भवन में आनन्द होता है। 
Psalms 46:5 परमेश्वर उस नगर के बीच में है, वह कभी टलने का नहीं; पौ फटते ही परमेश्वर उसकी सहायता करता है। 
Psalms 46:6 जाति जाति के लोग झल्ला उठे, राज्य राज्य के लोग डगमगाने लगे; वह बोल उठा, और पृथ्वी पिघल गई। 
Psalms 46:7 सेनाओं का यहोवा हमारे संग है; याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है।
Psalms 46:8 आओ, यहोवा के महाकर्म देखो, कि उसने पृथ्वी पर कैसा कैसा उजाड़ किया है। 
Psalms 46:9 वह पृथ्वी की छोर तक लड़ाइयों को मिटाता है; वह धनुष को तोड़ता, और भाले को दो टुकड़े कर डालता है, और रथों को आग में झोंक देता है! 
Psalms 46:10 चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं! 
Psalms 46:11 सेनाओं का यहोवा हमारे संग है; याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है।

एक साल में बाइबल: 
  • सपन्याह 1-3