यह मानना सहज है कि परमेश्वर इस प्रतीक्षा में रहता है कि जैसे ही आप उसके पास पहुंचें, वह आपके पापों के लिये आप को दण्ड दे। लेकिन प्रकाशितवाक्य के २ और ३ अध्याय में सात मण्डलियों के लिये लिखित उसके सन्देशों में हम ऐसा नहीं पाते हैं। इन स्न्देशों में हम पथभ्रष्ट लोगों के प्रति परमेश्वर के प्रेम पूर्ण हृदय को देखते हैं।
प्रभु यीशु ने इन सन्देशों का आरंभ, उन मण्डलियों में पाई जाने वाली भली बातों की प्रशंसा के साथ किया। यह दिखाता है कि जब हम वह करते हैं जो सही और भला है तो इससे प्रभु प्रसन्न होता है।
साथ ही प्रभु यीशु हमारे जीवन की बुराइयों के लिये भी चिंतित रहता है। इन सन्देशों में प्रशंसा के साथ मण्डलियों को स्पष्ट शब्दों में ताड़ना भी दी गई है। यद्यपि प्रभु से यह सुनना "पर मुझे तेरे विरूद्ध यह कहना है कि..." (प्रकाशितवाक्य २:४, १४, २०) दुख पहुंचाता है, पर प्रभु प्रगट करता है कि हमारे जीवन में क्या बदलना अनिवार्य है जिससे हम अपनी ही नज़रों में सही होने के धोखे और नुकसान से बच सकें।
यह हमें बात के मर्म पर लेकर आता है - मनफिराव। जब प्रभु इन मण्डलियों से मनफिराव करने को कह रहा था तो वह पथभ्रष्ट संतों के प्रति अपने प्रेम को प्रदर्शित कर रहा था। ताड़ना के द्वारा उसका उद्देश्य उन्हें अपराधी ठहराना नहीं था वरन गलत बातों को ठीक करके उसके साथ निकट संबंधों को पुनः स्थापित करने का मार्ग दिखाना था।
यह मत अन्देखा कीजीये के प्रत्येक सन्देश का अन्त "जय" पाने वालों के लिये दी गयी किसी विशेष प्रतिज्ञा से होता है। स्पष्ट है कि जो परमेश्वेर को भावता हुआ जीवन व्यतीत करते हैं, वह उन्हें विशेष प्रतिफल देना चाहता है।
आज आपसे वह क्या कह रहा है? - जो स्टोवैल
और लौदीकिया की कलीसिया के दूत को यह लिख, कि, जो आमीन, और विश्वासयोग्य, और सच्चा गवाह है, और परमेश्वर की सृष्टि का मूल कारण है, वह यह कहता है।
कि मैं तेरे कामों को जानता हूं कि तू न तो ठंडा है और न गर्म: भला होता कि तू ठंडा या गर्म होता।
सो इसलिये कि तू गुनगुना है, और न ठंडा है और न गर्म, मैं तुझे अपने मुंह से उगलने पर हूं।
तू जो कहता है, कि मैं धनी हूं, और धनवान हो गया हूं, और मुझे किसी वस्तु की घटी नहीं, और यह नहीं जानता, कि तू अभागा और तुच्छ और कंगाल और अन्धा, और नंगा है।
इसी लिये मैं तुझे सम्मति देता हूं, कि आग में ताया हुआ सोना मुझ से मोल ले, कि धनी हो जाए, और श्वेत वस्त्र ले ले कि पहिनकर तुझे अपके नंगेपन की लज्ज़ा न हो, और अपनी आंखों में लगाने के लिये सुर्मा ले, कि तू देखने लगे।
मैं जिन जिन से प्रीति रखता हूं, उन सब को उलाहना और ताड़ना देता हूं, इसलिये सरगर्म हो, और मन फिरा।
देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूं, यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूंगा, और वह मेरे साथ।
जो जय पाए, मैं उसे अपने साथ अपने सिंहासन पर बैठाऊंगा, जैसा मैं भी जय पाकर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर बैठ गया।
जिस के कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है।
एक साल में बाइबल:
प्रभु यीशु ने इन सन्देशों का आरंभ, उन मण्डलियों में पाई जाने वाली भली बातों की प्रशंसा के साथ किया। यह दिखाता है कि जब हम वह करते हैं जो सही और भला है तो इससे प्रभु प्रसन्न होता है।
साथ ही प्रभु यीशु हमारे जीवन की बुराइयों के लिये भी चिंतित रहता है। इन सन्देशों में प्रशंसा के साथ मण्डलियों को स्पष्ट शब्दों में ताड़ना भी दी गई है। यद्यपि प्रभु से यह सुनना "पर मुझे तेरे विरूद्ध यह कहना है कि..." (प्रकाशितवाक्य २:४, १४, २०) दुख पहुंचाता है, पर प्रभु प्रगट करता है कि हमारे जीवन में क्या बदलना अनिवार्य है जिससे हम अपनी ही नज़रों में सही होने के धोखे और नुकसान से बच सकें।
यह हमें बात के मर्म पर लेकर आता है - मनफिराव। जब प्रभु इन मण्डलियों से मनफिराव करने को कह रहा था तो वह पथभ्रष्ट संतों के प्रति अपने प्रेम को प्रदर्शित कर रहा था। ताड़ना के द्वारा उसका उद्देश्य उन्हें अपराधी ठहराना नहीं था वरन गलत बातों को ठीक करके उसके साथ निकट संबंधों को पुनः स्थापित करने का मार्ग दिखाना था।
यह मत अन्देखा कीजीये के प्रत्येक सन्देश का अन्त "जय" पाने वालों के लिये दी गयी किसी विशेष प्रतिज्ञा से होता है। स्पष्ट है कि जो परमेश्वेर को भावता हुआ जीवन व्यतीत करते हैं, वह उन्हें विशेष प्रतिफल देना चाहता है।
आज आपसे वह क्या कह रहा है? - जो स्टोवैल
मनफिराव परमेश्वर के साथ हमारे घनिष्ट संबंधों को पुनःस्थापित एवं तरोताज़ा करता है।
बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य ३:१४-२२और लौदीकिया की कलीसिया के दूत को यह लिख, कि, जो आमीन, और विश्वासयोग्य, और सच्चा गवाह है, और परमेश्वर की सृष्टि का मूल कारण है, वह यह कहता है।
कि मैं तेरे कामों को जानता हूं कि तू न तो ठंडा है और न गर्म: भला होता कि तू ठंडा या गर्म होता।
सो इसलिये कि तू गुनगुना है, और न ठंडा है और न गर्म, मैं तुझे अपने मुंह से उगलने पर हूं।
तू जो कहता है, कि मैं धनी हूं, और धनवान हो गया हूं, और मुझे किसी वस्तु की घटी नहीं, और यह नहीं जानता, कि तू अभागा और तुच्छ और कंगाल और अन्धा, और नंगा है।
इसी लिये मैं तुझे सम्मति देता हूं, कि आग में ताया हुआ सोना मुझ से मोल ले, कि धनी हो जाए, और श्वेत वस्त्र ले ले कि पहिनकर तुझे अपके नंगेपन की लज्ज़ा न हो, और अपनी आंखों में लगाने के लिये सुर्मा ले, कि तू देखने लगे।
मैं जिन जिन से प्रीति रखता हूं, उन सब को उलाहना और ताड़ना देता हूं, इसलिये सरगर्म हो, और मन फिरा।
देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूं, यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूंगा, और वह मेरे साथ।
जो जय पाए, मैं उसे अपने साथ अपने सिंहासन पर बैठाऊंगा, जैसा मैं भी जय पाकर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर बैठ गया।
जिस के कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है।
एक साल में बाइबल:
- भजन ४३, ४५
- प्रेरितों के काम २७:२७-४४