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सोमवार, 28 जनवरी 2019

प्रेम



      हम मसीही विश्वासी उस परमेश्वर की सेवा करते हैं जो हमारी सेवा के कार्यों से बढ़कर, हम से प्रेम करता है। यह सच है कि परमेश्वर चाहता है कि अपने परिवारों की आवश्यकताओं के लिए हम कार्य करें, और उसके द्वारा रचे गए सँसार की ज़िम्मेदारी के साथ देख-भाल करें। वह हमसे यह भी आशा रखता है कि हम दुर्बल, भूखे, प्यासे, और दुखी लोगों की सेवा करें, तथा उनके प्रति भी सजग और संवेदनशील रहें जिन्होंने अब तक परमेश्वर की पवित्र आत्मा की प्रेम भरी पुकार को प्रत्युत्तर नहीं दिया है। परन्तु फिर भी जिस परमेश्वर के लिए हम यह सब कार्य करते हैं, वह हमारे कार्यों से बढ़कर हम से प्रेम रखता है।

      हमें इस बात को कभी नहीं भूलना चाहिए, क्योंकि वह समय आ सकता है कि किसी अप्रत्याशित दुर्घटना, कोई स्वास्थ्य हानि, किसी परिस्थिति के कारण हमारे लिए परमेश्वर के लिए कुछ कर पाना संभव न रहे। परमेश्वर चाहता है कि ऐसे समयों में भी हम स्मरण रखें कि वह हम से प्रेम रखता है, जो हम उसके लिए करते हैं उसके कारण नहीं, वरन जो हम हैं – उसकी सन्तान, उसके कारण!

      जब एक बार हमने पापों से पश्चाताप करके प्रभु यीशु मसीह को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार कर लिया, उसे अपना जीवन समर्पित कर दिया, उसके बाद फिर कोई भी “परेशानी, या कठिनाई, या सताव, या अकाल, या नग्नता, या खतरा, या तलवार” हमें “परमेश्वर के प्रेम से जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग [नहीं] कर सकेगी” (रोमियों 8:35, 39)।

      जब वह सब जो हम हैं या जो हम कर सकते हैं, हम से ले लिया जाए, तब भी परमेश्वर इतना ही चाहता है कि हम हमारे प्रति उसके प्रेम में आश्वस्त रहें, उसपर भरोसा बनाए रखें। - रैंडी किल्गोर


हमारे अस्तित्व का कारण परमेश्वर के साथ हमारी संगति है।

यहोवा ने मुझे दूर से दर्शन देकर कहा है। मैं तुझ से सदा प्रेम रखता आया हूँ; इस कारण मैं ने तुझ पर अपनी करुणा बनाए रखी है। - यिर्मयाह 31:3

बाइबल पाठ: रोमियों 8:31-29
Romans 8:29 क्योंकि जिन्हें उसने पहिले से जान लिया है उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे।
Romans 8:30 फिर जिन्हें उसने पहिले से ठहराया, उन्हें बुलाया भी, और जिन्हें बुलाया, उन्हें धर्मी भी ठहराया है, और जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी है।
Romans 8:31 सो हम इन बातों के विषय में क्या कहें? यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?
Romans 8:32 जिसने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्योंकर न देगा?
Romans 8:33 परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उन को धर्मी ठहराने वाला है।
Romans 8:34 फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है।
Romans 8:35 कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार?
Romans 8:36 जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेंडों के समान गिने गए हैं।
Romans 8:37 परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिसने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं।
Romans 8:38 क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई,
Romans 8:39 न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।
                                                                                                                                                        
एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 19-20
  • मत्ती 18:21-35