बीसवीं
सदी के आरंभिक समय में इंग्लैंड में हुए वेल्श मसीही-पुनर्जागरण के समय में बाइबल
शिक्षक और लेखक जी. कैम्पबेल मॉर्गन ने जो होते हुए देखा, उसका वर्णन किया। उनका
मानना था कि परमेश्वर का पवित्र आत्मा, “पवित्र भजनों की उफनती हुई लहरों” पर होकर लोगों में
कार्य कर रहा था। मॉर्गन ने लिखा कि उन्होंने उन सभाओं में संगीत के एकता लाने
वाले प्रभाव को देखा था, जिन में स्वेच्छा से प्रार्थना करना, पाप अंगीकार करना, और भजन गाना
प्रोत्साहित किया जाता था। यदि कोई भावनाओं में बहकर बहुत लंबी प्रार्थना करने
लगता था, या ऐसा बोलने लगता था जो उस माहौल में औरों के साथ तालमेल नहीं रखता था, तो कोई भी जन धीरे
से कोई भजन गाना आरंभ कर देता था। धीरे धीरे अन्य लोग भी उस भजन के गाने में जुड़ते
चले जाते थे, और शीघ्र ही उस संगीत की आवाज़ इतनी ऊँची हो जाती थी कि उस में अन्य सभी
आवाजें दब जाती थीं।
मॉर्गन
ने संगीत के द्वारा जिस पुनः जागृत होने का वर्णन किया है, उसका आधार परमेश्वर के वचन
बाइबल में से है, जहाँ पर संगीत की कई बातों में प्रमुख भूमिका दिखाई गई है। बाइबल
में हम देखते हैं कि संगीत का प्रयोग विजय के उत्सव मनाने के लिए किया गया (निर्गमन
15:1-21); आराधना के साथ मंदिर के परमेश्वर को समर्पित किए जाने के लिए किया गया (2
इतिहास 5:12-14); और शत्रुओं पर विजयी होने के लिए सैनिक रणनीति के समान किया गया
(2 इतिहास 20:21-23)। बाइबल के ठीक मध्य में हम 150 भजनों के संकलन की पुस्तक, भजन संहिता, को
पाते हैं। और पौलुस ने इफिसुस के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में उन्हें
एक दूसरे के साथ वार्तालाप में भी भजनों का प्रयोग करने के लिए लिखा (इफिसियों 5:19)।
चाहे
संघर्ष हों, चाहे आराधना करनी हो, जीवन की चाहे कोई भी परिस्थिति क्यों न हो, हमारे मसीही
विश्वास का संगीत हम सभी को एक स्वर में होकर बोलने वाला बना सकता है। नए और
पुराने गीतों और भजनों के द्वारा, हम बारंबार पुनः जागृत किए जाते हैं – न तो बल से, न शक्ति से, परन्तु परमेश्वर
के आत्मा और परमेश्वर की स्तुति के संगीत के द्वारा। - मार्ट डीहान
जिनके पास सुनने के कान हों, उनके लिए पवित्र आत्मा के
पास उपयुक्त संगीत है।
और आपस में भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाया करो, और अपने अपने मन में प्रभु के
सामने गाते और कीर्तन करते रहो। - इफिसियों 5:19
बाइबल पाठ: 2 इतिहास 5:7-14
2 इतिहास 5:7 तब याजकों ने यहोवा की वाचा का सन्दूक उसके
स्थान में, अर्थात भवन की भीतरी कोठरी में जो परम पवित्र स्थान है, पहुंचा कर, करूबों के पंखों के
तले रख दिया।
2 इतिहास 5:8 सन्दूक के स्थान के ऊपर करूब तो पंख फैलाए
हुए थे, जिससे वे ऊपर से सन्दूक और उसके डंडों को ढांपे थे।
2 इतिहास 5:9 डण्डे तो इतने लम्बे थे, कि उनके सिरे सन्दूक
से निकले हुए भीतरी कोठरी के सामने देख पड़ते थे, परन्तु बाहर से वे दिखाई न पड़ते
थे। वे आज के दिन तक वहीं हैं।
2 इतिहास 5:10 सन्दूक में पत्थर की उन दो पटियाओ को छोड़
कुछ न था, जिन्हें मूसा ने होरेब में उसके भीतर उस समय रखा, जब यहोवा ने इस्राएलियों के
मिस्र से निकलने के बाद उनके साथ वाचा बान्धी थी।
2 इतिहास 5:11 जब याजक पवित्रस्थान से निकले ( जितने याजक
उपस्थित थे, उन सभों ने तो अपने अपने को पवित्र किया था, और अलग अलग दलों में हो कर सेवा
न करते थे;
2 इतिहास 5:12 और जितने लेवीय गवैये थे, वे सब के सब अर्थात
पुत्रों और भाइयों समेत आसाप, हेमान और यदूतून सन के वस्त्र पहने झांझ, सारंगियां और वीणाएँ
लिये हुए, वेदी के पूर्व की ओर खड़े थे, और उनके साथ एक सौ बीस याजक तुरहियां बजा रहे थे।)
2 इतिहास 5:13 तो जब तुरहियां बजाने वाले और गाने वाले
एक स्वर से यहोवा की स्तुति और धन्यवाद करने लगे, और तुरहियां, झांझ आदि बाजे बजाते
हुए यहोवा की यह स्तुति ऊंचे शब्द से करने लगे, कि वह भला है और उसकी करुणा
सदा की है, तब यहोवा के भवन में बादल छा गया,
2 इतिहास 5:14 और बादल के कारण याजक लोग सेवा-टहल करने
को खड़े न रह सके, क्योंकि यहोवा का तेज परमेश्वर के भवन में भर गया था।
एक साल में बाइबल:
- यहोशू 16-18
- लूका 2:1-24