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बुधवार, 9 मई 2018

प्रोत्साहन



   रिचर्ड को प्रोत्साहन की आवश्यकता थी, और उसे मिल भी गया। वह अपने मित्र केविन के साथ पहाड़ पर चढ़ रहा था, और चढ़ाई करते करते थक गया था तथा चढ़ना बन्द करके अब वापस लौट जाना चाहता था। लेकिन केविन ने उसे समझाया कि इतना चढ़ लेने के पश्चात, अब छोड़ कर वापस लौट जाना उचित नहीं है, उसे और आगे बढ़ते जाने का प्रयास करते रहना चाहिए। इस प्रोत्साहन से उसमें नई हिम्मत आई, और वह पहाड़ की चढ़ाई को पूरी कर सका।

   प्रारंभिक चर्च में,मसीह यीशु के अनुयायी एक दूसरे को प्रोत्साहित करते रहते थी कि वे प्रभु का अनुसरण करते रहें और अपने जीवन तथा व्यवहार से प्रभु की करुणा को लोगों को दिखाते रहें। अनैतिकता से भरे समाज में वे एक-दूसरे से आग्रह करते रहते थे कि पवित्रता का जीवन व्यतीत करें (रोमियों 12:1; 1 थिस्सुलुनीकियों 4:1)। जैसे परमेश्वर उन्हें प्रतिदिन उभारता था, वे मसीही विश्वासी भी एक दूसरे को प्रोत्साहित करते रहते थे (प्रेरितों 13:15)। वे मसीह की देह अर्थात उसके विश्वासियों की मण्डली के लिए एक-दूसरे से प्रार्थना के लिए गुहार लगाते थे (रोमियों 15:30), प्रयास करते थे कि सभी मसीही मण्डली के साथ जुड़े रहें (इब्रानियों 10:25), और एक-दूसरे के प्रति प्रेम में बढ़ते जाएँ (1 थिस्सुलुनीकियों 4:10)।

   अपने मारे जाने और पुनरुत्थान के द्वारा प्रभु यीशु ने हम विश्व भर के मसीही विश्वासियों को एक-दूसरे के साथ जोड़ दिया है। इसलिए यह हमारा विशेषाधिकार और दायित्व है कि प्रभु परमेश्वर की सहायता एवँ मार्गदर्शन के द्वारा अपने सह-विश्वासियों को प्रोत्साहित करते रहें जिससे वे मसीह यीशु में विश्वास और उसकी आज्ञाकारिता की जिम्मेदारी को भली-भांति पूरा करते रहें। - मारविन विलियम्स


इस कारण एक दूसरे को शान्‍ति दो
और एक दूसरे की उन्नति के कारण बनो
निदान, तुम ऐसा करते भी हो। -  1 थिस्सुलुनीकियों 5:11

सो जिन्हों ने उसका वचन ग्रहण किया उन्होंने बपतिस्मा लिया; और उसी दिन तीन हजार मनुष्यों के लगभग उन में मिल गए। और वे प्रेरितों से शिक्षा पाने, और संगति रखने में और रोटी तोड़ने में और प्रार्थना करने में लौलीन रहे। - प्रेरितों 2:41-42

बाइबल पाठ: 1 थिस्सुलुनीकियों 4:1-12
1 Thessalonians 4:1 निदान, हे भाइयों, हम तुम से बिनती करते हैं, और तुम्हें प्रभु यीशु में समझाते हैं, कि जैसे तुम ने हम से योग्य चाल चलना, और परमेश्वर को प्रसन्न करना सीखा है, और जैसा तुम चलते भी हो, वैसे ही और भी बढ़ते जाओ।
1 Thessalonians 4:2 क्योंकि तुम जानते हो, कि हम ने प्रभु यीशु की ओर से तुम्हें कौन कौन सी आज्ञा पहुंचाई।
1 Thessalonians 4:3 क्योंकि परमेश्वर की इच्छा यह है, कि तुम पवित्र बनो: अर्थात व्यभिचार से बचे रहो।
1 Thessalonians 4:4 और तुम में से हर एक पवित्रता और आदर के साथ अपने पात्र को प्राप्त करना जाने।
1 Thessalonians 4:5 और यह काम अभिलाषा से नहीं, और न उन जातियों के समान, जो परमेश्वर को नहीं जानतीं।
1 Thessalonians 4:6 कि इस बात में कोई अपने भाई को न ठगे, और न उस पर दांव चलाए, क्योंकि प्रभु इन सब बातों का पलटा लेने वाला है; जैसा कि हम ने पहिले तुम से कहा, और चिताया भी था।
1 Thessalonians 4:7 क्योंकि परमेश्वर ने हमें अशुद्ध होने के लिये नहीं, परन्तु पवित्र होने के लिये बुलाया है।
1 Thessalonians 4:8 इस कारण जो तुच्‍छ जानता है, वह मनुष्य को नहीं, परन्तु परमेश्वर को तुच्‍छ जानता है, जो अपना पवित्र आत्मा तुम्हें देता है।
1 Thessalonians 4:9 किन्‍तु भाईचारे की प्रीति के विषय में यह अवश्य नहीं, कि मैं तुम्हारे पास कुछ लिखूं; क्योंकि आपस में प्रेम रखना तुम ने आप ही परमेश्वर से सीखा है।
1 Thessalonians 4:10 और सारे मकिदुनिया के सब भाइयों के साथ ऐसा करते भी हो, पर हे भाइयों, हम तुम्हें समझाते हैं, कि और भी बढ़ते जाओ।
1 Thessalonians 4:11 और जैसी हम ने तुम्हें आज्ञा दी, वैसे ही चुपचाप रहने और अपना अपना काम काज करने, और अपने अपने हाथों से कमाने का प्रयत्न करो।
1 Thessalonians 4:12 कि बाहर वालों के साथ सभ्यता से बर्ताव करो, और तुम्हें किसी वस्तु की घटी न हो।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • 2 राजा 7-9
  • यूहन्ना 1:1-28