ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 3 फ़रवरी 2016

संकल्प


   सामान्यतः लोग नव-वर्ष के आगमन पर अपने जीवनों में सुधार के लिए कुछ संकल्प करते हैं, परन्तु मैंने नव-वर्ष के साथ नए संकल्प करना सन 1975 से छोड़ रखा है। मुझे नए संकल्प करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती - अभी तो मैं अभी पुराने संकल्प जैसे कि, प्रतिदिन जो परमेश्वर मुझे सिखाता है उसे लिख कर संकलित करके रखना, परमेश्वर के वचन बाइबल को नियमित प्रतिदिन पढ़ना, परमेश्वर के साथ प्रार्थना में प्रतिदिन समय बिताना, अपने समय को नियोजित करके उसका सदुप्योग करना, अपने कमरे को साफ-सुथरा रखना (अब तो मेरे पास साफ-सुथरा रखने के लिए पूरा घर है) आदि को ही भली-भांति पूरे करने के प्रयास में लगी हूँ!

   लेकिन इस वर्ष मैंने अपने संकल्पों की सूचि में एक नया संकल्प जोड़ा है, जो मुझे प्रेरित पौलुस द्वारा रोम के मसीही विश्वासियों को लिखी गई पत्री से मिला: "सो आगे को हम एक दूसरे पर दोष ना लगाएं पर तुम यही ठान लो कि कोई अपने भाई के साम्हने ठेस या ठोकर खाने का कारण न रखे" (रोमियों 14:13)। यद्यपि यह संकल्प नया नहीं, अपितु लगभग 2000 वर्ष पुराना है, परन्तु फिर भी यह एक ऐसा संकल्प है जिसे हमें हर वर्ष दोहराते रहना चाहिए। जैसे उस समय रोम के मसीही विश्वासी कर रहे थे, आज के मसीही विश्वासी भी कई बार वैसा ही करते हैं - दूसरों के पालन के लिए नियम बनाते हैं, और दूसरों को बाध्य करते हैं कि वे कुछ ऐसी बातों और व्यवहार पर चलें जिनके बारे में बाइबल या तो कुछ कहती ही नहीं है अथवा उनकी बात से अलग ही कहती है। उनके बनाए ऐसे नियम और व्यवहार लोगों के लिए ठोकर का कारण बनते हैं, मसीही विश्वासियों के जीवनों में कठिनाई लाते हैं तथा दूसरों को मसीह यीशु के पास आने में बाधा बनते हैं।

   प्रभु यीशु ने यह स्पष्ट सिखाया, और बाइबल में भी स्पष्ट लिखा गया है कि उद्धार केवल प्रभु के अनुग्रह से ही है, ना कि किसी परिवार में जन्म लेने अथवा कुछ कर्मों के द्वारा (गलतियों 2:16); पापों की क्षमा प्राप्त करने और उद्धार पाने के लिए प्रत्येक जन को व्यक्तिगत रीति और स्वेच्छा से प्रभु यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान तथा प्रभु यीशु पर विश्वास करना है। इसके विप्रीत बहुत से लोग इस साधारण मसीही विश्वास को धर्म-कर्म और विधि-विधानों के साथ जोड़ देते हैं, जो प्रभु यीशु तथा बाइबल की शिक्षाओं से बिलकुल मेल नहीं खाता है।

   आईए इस नए वर्ष में हम प्रभु यीशु के आगमन के सुसमाचार को लोगों के साथ बाँटने का और उनके आगे प्रभु के निकट आने या प्रभु के साथ साधारण विश्वास का जीवन बिताने में कोई भी अड़चन या बाधा या ठोकर का कारण ना रखने का संकल्प ले कर चलें। - जूली ऐकरमैन लिंक


विश्वास पहले वह हाथ है जो परमेश्वर के वरदान को ग्रहण करता है, फिर वह पाँव है जो परमेश्वर के साथ चलता है

तौभी यह जानकर कि मनुष्य व्यवस्था के कामों से नहीं, पर केवल यीशु मसीह पर विश्वास करने के द्वारा धर्मी ठहरता है, हम ने आप भी मसीह यीशु पर विश्वास किया, कि हम व्यवस्था के कामों से नहीं पर मसीह पर विश्वास करने से धर्मी ठहरें; इसलिये कि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी धर्मी न ठहरेगा। - गलतियों 2:16

बाइबल पाठ: रोमियों 14:1-13
Romans 14:1 जो विश्वास में निर्बल है, उसे अपनी संगति में ले लो; परन्तु उसी शंकाओं पर विवाद करने के लिये नहीं। 
Romans 14:2 क्योंकि एक को विश्वास है, कि सब कुछ खाना उचित है, परन्तु जो विश्वास में निर्बल है, वह साग पात ही खाता है। 
Romans 14:3 और खानेवाला न-खाने वाले को तुच्छ न जाने, और न-खानेवाला खाने वाले पर दोष न लगाए; क्योंकि परमेश्वर ने उसे ग्रहण किया है। 
Romans 14:4 तू कौन है जो दूसरे के सेवक पर दोष लगाता है? उसका स्थिर रहना या गिर जाना उसके स्वामी ही से सम्बन्ध रखता है, वरन वह स्थिर ही कर दिया जाएगा; क्योंकि प्रभु उसे स्थिर रख सकता है। 
Romans 14:5 कोई तो एक दिन को दूसरे से बढ़कर जानता है, और कोई सब दिन एक सा जानता है: हर एक अपने ही मन में निश्चय कर ले। 
Romans 14:6 जो किसी दिन को मानता है, वह प्रभु के लिये मानता है: जो खाता है, वह प्रभु के लिये खाता है, क्योंकि वह परमेश्वर का धन्यवाद करता है, और जा नहीं खाता, वह प्रभु के लिये नहीं खाता और परमेश्वर का धन्यवाद करता है। 
Romans 14:7 क्योंकि हम में से न तो कोई अपने लिये जीता है, और न कोई अपने लिये मरता है। 
Romans 14:8 क्योंकि यदि हम जीवित हैं, तो प्रभु के लिये जीवित हैं; और यदि मरते हैं, तो प्रभु के लिये मरते हैं; सो हम जीएं या मरें, हम प्रभु ही के हैं। 
Romans 14:9 क्योंकि मसीह इसी लिये मरा और जी भी उठा कि वह मरे हुओं और जीवतों, दोनों का प्रभु हो। 
Romans 14:10 तू अपने भाई पर क्यों दोष लगाता है? या तू फिर क्यों अपने भाई को तुच्छ जानता है? हम सब के सब परमेश्वर के न्याय सिंहासन के साम्हने खड़े होंगे। 
Romans 14:11 क्योंकि लिखा है, कि प्रभु कहता है, मेरे जीवन की सौगन्ध कि हर एक घुटना मेरे साम्हने टिकेगा, और हर एक जीभ परमेश्वर को अंगीकार करेगी। 
Romans 14:12 सो हम में से हर एक परमेश्वर को अपना अपना लेखा देगा।
Romans 14:13 सो आगे को हम एक दूसरे पर दोष न लगाएं पर तुम यही ठान लो कि कोई अपने भाई के साम्हने ठेस या ठोकर खाने का कारण न रखे। 

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 31-33
  • मत्ती 22:1-22