क्या आपका लगता हि कि आपका जीवन बहुत व्यस्त है? कारोबार के निर्णय और उन्हें पूरा करने की समय सीमाएं, कार्य को पूरा करने के दबाव, बच्चों को शिक्षा और कार्यक्रमों में लाने-लेजाने के दबाव इत्यादि क्या आपके जीवन में व्यक्तिगत बातों के लिए समय के आभाव को उत्पन्न करते हैं? ऐसी परिस्थितियों में यह सोचना बहुत आसान है कि, "काश मेरे पास निभाने के लिए इतनी सारी ज़िम्मेवारियाँ नहीं होतीं, फिर मैं भी परमेश्वर के साथ एक निकट संबंध में चल पाता।"
यदि ऐसा है तो लेखक सी.एस.ल्यूइस द्वारा कही बात पर ध्यान कीजिए, उन्होंने कहा कि "प्रभु यीशु के समान व्यस्त व्यक्ति और कोई नहीं था। हमारे लिए अनुसरण करने का नमूना हमारा प्रभु यीशु ही है; वह यीशु जो सदा ही हमें अपनी बढ़ई की दुकान में कार्यरत, या सड़क पर, या भीड़ में, या आलोचनाओं, बाधाओं और विरोध का सामना करते, या उसके निज समय में लोगों के हस्ताक्षेप होते हुए मिलता है। वही मानव परिस्थितियों में ईश्वरीय जीवन सफलता से जी के दिखाने का उदाहरण है।"
परमेश्वर के वचन बाइबल में मरकुस १:२१-३५ में हम प्रभु यीशु के जीवन के एक दिन के बारे में पढ़ते हैं; उस व्यस्त दिन के अन्त को देखिए "सन्ध्या के समय जब सूर्य डूब गया तो लोग सब बीमारों को और उन्हें जिन में दुष्टात्मा थीं उसके पास लाए। और सारा नगर द्वार पर इकट्ठा हुआ। और उस ने बहुतों को जो नाना प्रकार की बीमारियों से दुखी थे, चंगा किया; और बहुत से दुष्टात्माओं को निकाला, और दुष्टात्माओं को बोलने न दिया, क्योंकि वे उसे पहचानती थीं" (मरकुस १:२-३४)। और फिर हम पढ़ते हैं कि अगले दिन यीशु तड़के ही उठकर प्रार्थना करने को एकांत में निकल गया (मरकुस १:३५), जहां उसने फिर अपने पिता परमेश्वर से, उस आरंभ हुए दिन की व्यस्तता के लिए निर्देष और सामर्थ प्राप्त करी। यही हमारे प्रभु की सफलता का राज़ था - पिता परमेश्वर से लगातार बनी संगति और पवित्र आत्मा पर निर्भर होकर कार्य करना।
आज भी प्रभु के विश्वासियों के लिए यही उनकी भी सफलता की कुंजी है, परमेश्वर पिता के साथ लगातार बनी रहने वाली संगति और परमेश्वर के निर्देषानुसार पवित्र आत्मा की आज्ञाकारिता और सामर्थ में कार्य करना।
क्या आप का जीवन व्यस्त है? प्रभु यीशु के उदाहरण का अनुसरण कीजिए, परमेश्वर के साथ बातचीत के लिए एक समय निरधारित करके रख लीजिए और फिर परमेश्वर पर निर्भर कीजिए कि वह प्रत्येक दिन की आवश्यक्ताओं के लिए आपको मार्गदर्शन दे और योग्य सामर्थ से परिपूर्ण करे। - डेनिस फिशर
अपने जीवन के सन्तुलन को बनाए रखने के लिए प्रभु यीशु पर आलम्बित हो जाइए।
और भोर को दिन निकलने से बहुत पहिले, वह उठकर निकला, और एक जंगली स्थान में गया और वहां प्रार्थना करने लगा। - मरकुस १:३५
बाइबल पाठ: मरकुस १:२१-३५
Mar 1:21 और वे कफरनहूम में आए, और वह तुरन्त सब्त के दिन सभा के घर में जाकर उपदेश करने लगा।
Mar 1:22 और लोग उसके उपदेश से चकित हुए, क्योंकि वह उन्हें शास्त्रियों की नाईं नहीं, परन्तु अधिकारी की नाईं उपदेश देता था।
Mar 1:23 और उसी समय, उन की सभा के घर में एक मनुष्य था, जिस में एक अशुद्ध आत्मा थी।
Mar 1:24 उस ने चिल्लाकर कहा, हे यीशु नासरी, हमें तुझ से क्या काम? क्या तू हमें नाश करने आया है? मैं तुझे जानता हूं, तू कौन है परमेश्वर का पवित्र जन!
Mar 1:25 यीशु ने उसे डांटकर कहा, चुप रह, और उस में से निकल जा।
Mar 1:26 तब अशुद्ध आत्मा उस को मरोड़ कर, और बड़े शब्द से चिल्ला कर उस में से निकल गई।
Mar 1:27 इस पर सब लोग आश्चर्य करते हुए आपस में वाद-विवाद करने लगे कि यह क्या बात है यह तो कोई नया उपदेश है! वह अधिकार के साथ अशुद्ध आत्माओं को भी आज्ञा देता है, और वे उस की आज्ञा मानती हैं।
Mar 1:28 सो उसका नाम तुरन्त गलील के आस पास के सारे देश में हर जगह फैल गया।
Mar 1:29 और वह तुरन्त आराधनालय में से निकल कर, याकूब और यूहन्ना के साय शमौन और अन्द्रियास के घर आया।
Mar 1:30 और शमौन की सास ज्वर से पीड़ित थी, और उन्होंने तुरन्त उसके विषय में उस से कहा।
Mar 1:31 तब उस ने पास जाकर उसका हाथ पकड़ के उसे उठाया, और उसका ज्वर उस पर से उतर गया, और वह उन की सेवा-टहल करने लगी।
Mar 1:32 सन्ध्या के समय जब सूर्य डूब गया तो लोग सब बीमारों को और उन्हें जिन में दुष्टात्मा थीं उसके पास लाए।
Mar 1:33 और सारा नगर द्वार पर इकट्ठा हुआ।
Mar 1:34 और उस ने बहुतों को जो नाना प्रकार की बीमारियों से दुखी थे, चंगा किया; और बहुत से दुष्टात्माओं को निकाला, और दुष्टात्माओं को बोलने न दिया, क्योंकि वे उसे पहचानती थीं।
Mar 1:35 और भोर को दिन निकलने से बहुत पहिले, वह उठकर निकला, और एक जंगली स्थान में गया और वहां प्रार्थना करने लगा।
Mar 1:21 और वे कफरनहूम में आए, और वह तुरन्त सब्त के दिन सभा के घर में जाकर उपदेश करने लगा।
Mar 1:22 और लोग उसके उपदेश से चकित हुए, क्योंकि वह उन्हें शास्त्रियों की नाईं नहीं, परन्तु अधिकारी की नाईं उपदेश देता था।
Mar 1:23 और उसी समय, उन की सभा के घर में एक मनुष्य था, जिस में एक अशुद्ध आत्मा थी।
Mar 1:24 उस ने चिल्लाकर कहा, हे यीशु नासरी, हमें तुझ से क्या काम? क्या तू हमें नाश करने आया है? मैं तुझे जानता हूं, तू कौन है परमेश्वर का पवित्र जन!
Mar 1:25 यीशु ने उसे डांटकर कहा, चुप रह, और उस में से निकल जा।
Mar 1:26 तब अशुद्ध आत्मा उस को मरोड़ कर, और बड़े शब्द से चिल्ला कर उस में से निकल गई।
Mar 1:27 इस पर सब लोग आश्चर्य करते हुए आपस में वाद-विवाद करने लगे कि यह क्या बात है यह तो कोई नया उपदेश है! वह अधिकार के साथ अशुद्ध आत्माओं को भी आज्ञा देता है, और वे उस की आज्ञा मानती हैं।
Mar 1:28 सो उसका नाम तुरन्त गलील के आस पास के सारे देश में हर जगह फैल गया।
Mar 1:29 और वह तुरन्त आराधनालय में से निकल कर, याकूब और यूहन्ना के साय शमौन और अन्द्रियास के घर आया।
Mar 1:30 और शमौन की सास ज्वर से पीड़ित थी, और उन्होंने तुरन्त उसके विषय में उस से कहा।
Mar 1:31 तब उस ने पास जाकर उसका हाथ पकड़ के उसे उठाया, और उसका ज्वर उस पर से उतर गया, और वह उन की सेवा-टहल करने लगी।
Mar 1:32 सन्ध्या के समय जब सूर्य डूब गया तो लोग सब बीमारों को और उन्हें जिन में दुष्टात्मा थीं उसके पास लाए।
Mar 1:33 और सारा नगर द्वार पर इकट्ठा हुआ।
Mar 1:34 और उस ने बहुतों को जो नाना प्रकार की बीमारियों से दुखी थे, चंगा किया; और बहुत से दुष्टात्माओं को निकाला, और दुष्टात्माओं को बोलने न दिया, क्योंकि वे उसे पहचानती थीं।
Mar 1:35 और भोर को दिन निकलने से बहुत पहिले, वह उठकर निकला, और एक जंगली स्थान में गया और वहां प्रार्थना करने लगा।
एक साल में बाइबल:
- १ राजा ६-७
- लूका २०:२७-४७